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जिस ब्लाइंड मर्डर केस में 9 दिन बाद भी नहीं था सुराग, उसे 15 मिनट में सुलझाने वाली डॉग ASP की मौत, ऐसे सलामी देकर हुई विदाई
जिस ब्लाइंड मर्डर केस में 9 दिनों तक पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई थी उसे डॉग स्कवॉड की टिंकी (Sniffer Dog Tinki) ने महज 15 मिनट में सुलझा लिया था। ये टिंकी ऐसे एक या दो नहीं बल्कि 47 बड़े क्राइम केस को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी। महज 6 साल की सर्विस में संगीन से संगीन क्राइम का खुलासा करने की वजह से टिंकी को हेड कॉन्स्टेबल से एएसपी (ASP) का पद मिल गया था। लेकिन 3 नवंबर को स्निफर डॉग टिंकी की मौत हो गई। टिंकी उर्फ क्यूटिस (Dog Tinki) की आंत में इंफेक्शन हुआ था। टिंकी की मौत पर यूपी के मुज्जफरनगर के एसएसपी अभिषेक यादव (SSP Abhishek Yadav) और पूरी पुलिस फोर्स ने सलामी देकर अंतिम विदाई दी। एसएसपी अभिषेक यादव ने बताया कि हमने अपनी टीम के सबसे अच्छे दोस्त ASP को खो दिया। जिसकी वजह से आज सभी की आंखें नम हो गईं।
इंडिया की पहली डॉग जिसने 9 दिन बाद भी गंध से ब्लाइंड मर्डर केस सुलझाया
स्निफर डॉग (Sniffer Dog Tinki) टिंकी को इंडिया की शायद ऐसी पहली डॉग है जिसने ब्लाइंड मर्डर केस में 9 दिन बाद मौके पर जाकर केस को सुलझा दिया था। ये मामला वर्ष 2017 का है। यूपी के मुज्जफरनगर के बुढ़ाना थाने के पारासौली गांव में 22 वर्षीय सोनू 9 दिनों से लापता था। इस वजह से गांव के लोग धरने पर बैठ गए थे। लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पाया था। इसके बाद पुलिस ने डॉग स्क्वॉड के एएसपी टिंकी (ASP Tinki) को बुलाया था। डॉग टिंकी के पूर्व व तत्कालीन हैंडलर महेश ने बताया कि किसी भी घटना के 24 घंटे के भीतर ही घटनास्थल से गंध लेकर कोई सुराग लगाया जाता है। लेकिन इस केस में 9 दिनों बाद मौके पर पहुंचने पर हमलोगों को कोई उम्मीद नहीं थी।
पुलिस ने जिसे मामूली खून का धब्बा समझा उसे ही सूंघकर कातिल तक पहुंची थी Tinki
9 दिन बाद क्राइम स्पॉट से जब किसी को केस सुलझने की उम्मीद नहीं थी.. उस वक्त टिंकी को ही बस अपने हुनर पर भरोसा था। छानबीन के दौरान टिंकी को एक जगह खून का थोड़ा धब्बा मिला था। उसे देखने पर वहां मौजूद लोगों ने बताया कि किसी की उंगली में चोट आने से खून आया होगा। लेकिन टिंकी को समझ आ गया था कि वो खून कई दिन पहले का था। उसे सूंघने के बाद वो गांव से 5 किमी दूर जाकर एक तालाब में कूद गई। इस पर गांव के लोगों और पुलिस अधिकारियों को भरोसा नहीं हुआ। इसके बाद टिंकी को फिर से मौके पर ले जाया गया तो वो दोबारा से तालाब में जाकर कूद गई। इसके बाद टिंकी के हैंडलर के कहने पर पुलिस ने तालाब में तलाशी शुरू की तो सोनू का कटा हुआ शव बोरे में मिला था। इसके बाद टिंकी मृत सोनू के दोस्त के पास जाकर रुक गई तो पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि सोनू का उसकी पत्नी से अवैध संबंध थे। इसलिए उसने घर पर ही गला काटकर हत्या की थी और फिर शव को बोरे में भरकर तालाब के पास लाया था। यहां बोरे में शव के साथ भारी पत्थर डालकर तालाब में फेंक दिया था। ताकी शव कभी ना मिले। लेकिन टिंकी ने उसकी साजिश का खुलासा कर दिया था।
डॉक्टर की हत्या में 10 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर खोजा था शव, फिर हुआ खुलासा
जनवरी 2019 में मुज्जफरनगर के भोपा थाना एरिया के मोरना में जाने-माने डॉक्टर सतीश की हत्या के खुलासे में भी टिंकी की अहम भूमिका थी। दरअसल, डॉक्टर के लापता होने के बाद ही हत्या का शक जताया गया था। लेकिन 24 घंटे बाद भी उनका शव नहीं मिला था। इसके बाद लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा था। इसे देखते हुए स्निफर डॉग एएसपी टिंकी को बुलाया गया था। टिंकी ने डॉक्टर सतीश के घर पर रखे कपड़े को सूंघने के बाद करीब 10 किमी पैदल चलकर जंगल पहुंची और उनके शव को खोज निकाला था।
खून सूंघकर जिस चारपाई पर जा बैठी Tinki, उसी पर सोया था महिला का कातिल
टिंकी ने कई अनसुलझे केस को सुलझाया था। इसमें 2019 को थाना नई मंडी के बागोवली गांव में महिला की हत्या का केस भी शामिल है। दरअसल, इस हत्या के पीछे कोई रंजिश नहीं मिली और ना ही कोई वजह पुलिस को मिल रही थी। इसके बाद पुलिस ने केस को सुलझाने के लिए टिंकी को बुलाया था। टिंकी ने घटनास्थल पर खून को सूंघने के बाद वहां से कुछ दूरी पर रखी चारपाई पर जाकर लेट गई। इसे देखकर पुलिस कुछ समझ नहीं पाई थी। इसके बाद टिंकी कै हैंडलर महेश ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि जो इस चारपाई पर सोया था वही महिला का कातिल है। इसके बाद पुलिस ने घटना वाली रात चारपाई पर लेटने वाले शख्स का पता लगाया तो वो मृत महिला का भाई निकला। उससे पूछताछ हुई तब उसने बताया कि उसने और उसकी बहन के बेटे ने मिलकर हत्या को अंजाम दिया था। जिसके बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
BSF में हुई थी ट्रेनिंग, 6 साल में 6 प्रमोशन, हेड कॉन्स्टेबल से बनी थी ASP
स्निफर (Sniffer Dog Tinki) मादा डॉग टिंकी ने वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के टनकपुर स्थित बीएसएफ बेस (BSF Base) में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद 2014 से उसे डॉग स्क्वॉयड में शामिल किया गया था। उस समय कागजों में इसका नाम क्यूटिश (Cutis) था। लेकिन बाद में ट्रेनिंग के दौरान टिंकी कहा जाने लगा। तब से टिंकी कहते ही यह समझ जाती थी। एक महीने पहले तक टिंकी के हैंडलर रहे महेश ने बताया कि टिंकी बतौर हेड कॉन्स्टेबल पद से भर्ती हुई थी। लेकिन जिस तरह से ये तेज-तर्रार थी और बड़े से बड़े केस को आसानी से सुलझा देती थी, उसे देखते हुए विभाग में इसे महज 6 साल में 6 प्रमोशन मिले और हेड कॉन्स्टेबल से एएसपी का पद मिल गया। इसने इन 6 सालों में 47 केस सुलझाए थे।
…लेकिन आंतों में इंफेक्शन ने ले ली जान
बड़े से बड़े ब्लाइंड केस को सुलझाने वाली टिंकी को पिछले कई दिनों से आंतों में इंफेक्शन था। इस वजह से वह काफी बीमार थी। मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल हॉस्पिटल में सोमवार रात को टिंकी की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसकी जानकारी मिलते ही पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में उदासी छा गई। इसके बाद पुलिस लाइन में पूरे सम्मान के साथ टिंकी को अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान मुज्जफरनगर के एसएसपी समेत तमाम पुलिस अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।