क्राइम
साइबर ठगी का हथियार बना मोबाइल गेमिंग एप, जानें- कैसे लोग बन रहे शिकार
साइबर ठग लोगों को चूना लगाने के लिए कुछ न कुछ तरीका ढूंढ़ते ही रहते हैं। इसके लिए अब उन्होंने बच्चों के मोबाइल गेमिंग एप को अपना हथियार बना लिया है। ठगी के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले इस गेमिंग एप का नाम गेरेना फ्री फायर है। पबजी पर प्रतिबंध के बाद यह बहुत तेजी से बच्चों में लोकप्रिय हुआ है। इस एप के जरिए ठगी की अलग-अलग शिकायतें साइबर थाने तक पहुंच रही हैं। झारखंड की राजधानी रांची में दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
साइबर अपराधी गेम खेलने के लिए गेमिंग एप के हथियार, ड्रेस, शील्ड, हैक्स, डायमंड (गेम में ही मौजूद वर्चुअल करेंसी) देने और लेबल बढ़ाने के नाम पर ऑनलाइन पेमेंट करने की मांग करते हैं। इस तरह वे बच्चों के सहारे उनके माता-पिता बैंक के डेबिट कार्ड (एटीएम कार्ड) की डिटेल लेते हैं। कार्ड का नंबर और सीवीवी लेकर खातों में सेंध लगाते है।
खातों में कैसे सेंध लगा रहे साइबर ठग
यही नहीं वे संबंधित गेम में गूगल प्ले के माध्यम से बिना किसी कार्ड डिटेल या वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के भी रुपये उड़ा ले रहे हैं। फ्री फायर गेम कई लोगों को एक ही प्लेटफार्म पर खेलने का प्लेटफॉर्म देता है। इसके लिए एप में वर्चुअल हैक्स, आर्म्स, ड्रेस, शील्ड, डायमंड खरीदे जाते हैं। इसके लिए आनलाइन बैंकिंग, यूपीआई, गूगल पे सहित अन्य प्लेटफार्म से पेमेंट किया जाता है। साइबर ठग इसी के सहारे सेंध लगाकर लोगों के खातों को खाली कर दे रहे हैं।
खिलाड़ी के रूप में कुछ साइबर ठग भी सक्रिय रहते हैं
खिलाड़ी के रूप में कुछ साइबर ठग भी सक्रिय रहते हैं। ये बच्चों से पिता-माता या किसी बड़े के एटीएम कार्ड की जानकारी मांगते हैं। डीटेल मिलते ही खातों से रकम गायब हो जाती है। ठग आपके खाते के आनलाइन पेमेंट के भुगतान के लिंक तक भी पहुंच सकते हैं।
दो केस सामने आए
लालपुर में रहने वाले प्रशांत अग्रवाल के खाते से गेमिंग एप से 3,300 रुपये निकाल लिए गए। उनका आठ साल का बच्चा ऑनलाइन गेम खेलता है। वहीं रांची के बरियातू निवासी किशोर कुमार के साथ कुछ इसी तरह ठगी हुई है। नौ साल का बेटा गेम खेलता है। उनके खाते से 2,400 रुपये उड़ा लिए गए हैं। । उन्हें पता चला कि फ्री फायर गेमिंग एप के जरिए ही ठगी की गई है।