पार्सल में ड्रग्स मिला है, NCB अधिकारी बन 14 लाख ठगे, कपड़े उतरवाए; पुणे में बढ़ रहा साइबर ठगी का यह ट्रेंड

Titiksha Srivastav
By Titiksha Srivastav - Assistant Editor
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पुणे की एक 28 वर्षीय महिला से साइबर अपराधियों ने नर्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)का अधिकारी बनकर 14 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। महिला से कहा गया कि उसने ताइवान एक पार्सल भेजा है उसमें ड्रग्स बरामद हुआ है। यह भी गया कि उसका खाता आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा है। यही नहीं महिला को पुलिस की पहचान के लिए एक तिल दिखाने के बहाने कैमरे के सामने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया।

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मामले में पुणे की एक निजी कंपनी में काम करने वाली महिला ने विमंतल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है। कुछ हफ्ते पहले, उसे कूरियर सेवा अधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति का फोन आया। उसने कहा कि महिला द्वारा ताइवान भेजे गए एक पार्सल को रोक लिया गया है। इसमें पांच एक्सपायर्ड पासपोर्ट और 950 ग्राम ड्रग्स बरामद किए गए हैं। जब वह इस बात से इन्कार करती रही कि उसने कोई पार्सल नहीं भेजा है, तो उसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारी बनकर फोन किया गया।

फर्जी एनसीबी अधिकारी ने दावा किया कि उसका बैंक खाता आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा था। इसमें मौजूद धनराशि को “सरकारी लाभार्थी” खातों में ट्रांसफर करना होगा। महिला से विभिन्न फर्जी खातों में 14 लाख रुपये ट्रांसफर कराए गए, जिनके बारे में कॉल करने वालों का दावा था कि वे सरकारी खाते थे। उसे कैमरे के सामने बैठाया गया और कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। ठगों ने उससे कहा कि उसे पुलिस जांच के लिए तिल और बर्थ मार्क दिखाने की जरूरत है। जब कॉल करने वाले पैसे की मांग करते रहे, तो पीड़िता को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है और उसने पुलिस से संपर्क किया।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के अलावा, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354बी भी लागू की है जो ‘महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का उपयोग’ से संबंधित है।

साइबर ठग लोगों को अब अंतरराष्ट्रीय कूरियर सेवा अधिकारी बनकर चूना लगाने लगे हैं। वह फन करके दावा करते हैं कि उनके पते पर भेजे गए पार्सल में ड्रग्स पाया गया है। इसके बाद उनसे स्काइप पर कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर बात की जाती है। जालसाज पीड़ितों को धोखा देने के लिए खुद को आईपीएस अधिकारी तक बताते हैं। वे पीड़ितों को कस्टम या लीगल फीस सहित विभिन्न कारणों से धन ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं। कई बार जालसाज उन्हें बताते हैं कि उनके बैंक खाते हैकर्स से खतरे में हैं।

कॉल करने वाले अक्सर पीड़ितों को यह दावा करके डराते हैं कि उन पर निगरानी रखी जा रही है। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ पुलिस दोनों ने पिछले साल से ऐसे दर्जनों साइबर अपराध के मामले दर्ज किए हैं।

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