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ओडिशा क्राइम ब्रांच की साइबर अपराधियों पर बड़ी कार्रवाई, 15 गिरफ्तार; क्रिप्टो, स्टॉक और IPO इन्वेस्टमेंट धोखाधड़ी में थे शामिल

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Fake SIM Syndicate Bused By Odisha Police, 7 Arrested, 16,000 SIMs Seized

ओडिशा क्राइम ब्रांच की सीआईडी ​​की साइबर क्राइम यूनिट ने बुधवार को क्रिप्टो,स्टॉक,आईपीओ इन्वेस्टमेंट धोखाधड़ी के साइबर अपराध मामलों की एक सीरीज में शामिल 15 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच के अनुसार साइबर अपराधियों का यह संगठित गिरोह हाई रिटर्न वाले निवेश योजनाओं की आड़ में काम कर रहा था। वे भोले-भाले लोगों को लुभावने ऑफर देकर उन्हें साइबर जालसाजों के खातों में रकम ट्रांसफर करके निवेश कराते थे।

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में दिल्ली के तुषार शर्मा और भावेश ठाकुर शामिल हैं, जो इस स्कैम के मास्टरमाइंड हैं। ओडिशा के अन्य आरोपी व्यक्ति केंद्रपाड़ा के रंजीत कुमार बल, बालासोर के दिलीप कुमार लेंका, गंजम के सुनील प्रसाद और रायगडा के बिशीकेसन पाढ़ी उनसे जुड़े और पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा के लिए विभिन्न बैंकों में करेंट अकाउंट खुलवाए।

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इसी तरह खोरधा के कालंदी सिंह और सुधांशु भूषण पटनायक उर्फ ​​बापी, भुवनेश्वर के उदयभानु घाडेई उर्फ ​​पप्पू, नयागढ़ के जितेन बराड, जगतसिंहपुर के भारत भूषण चक्र, भद्रक के बिकाश चंद्र राउत उर्फ ​​टूटू और उत्तम कुमार साहू, बालासोर के सत्य रंजन साहू और गंजम के अमित कुमार राउत ने अपने नाम से बैंक खाते खोले थे। इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी से प्राप्त धन को ट्रांसफर करने के लिए किया था। वे इस बात से पूरी तरह अवगत थे कि इन खातों का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए किया जा रहा था और वे ठगी गई राशि के लाभार्थी थे।

भुवनेश्वर के एक पीड़ित ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की एक घटना के बारे में शिकायत लेकर साइबर अपराध इकाई, सीआईडी ​​सीबी से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटीज कंपनी के कर्मचारी बनकर ऑनलाइन ट्रेडिंग में शामिल ब्लैकस्टोन इन्वेस्टमेंट ग्रुप के प्रतिनिधि और कुछ अन्य लोगों ने उनके साथ धोखाधड़ी की।

29 मार्च, 2024 को पीड़ित को फेसबुक पर एक संदेश मिला, जिसमें उसे शेयर पर छूट के साथ संस्थागत ट्रेडिंग पर केंद्रित एक व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। निवेश पर हाई रिटर्न का वादा किया गया था। ग्रुप में जुड़ने के बाद, उसने कुछ दिनों तक बातचीत पर ध्यान दिया। ग्रुप ने सफल ट्रेडिंग के दो दौर पूरे करने का दावा किया और उसे पर्याप्त लाभ का आश्वासन देते हुए तीसरे दौर में शामिल होने के लिए राजी किया।

ब्लैकस्टोन ट्रेडिंग में खाता खोला

इसके बाद पीड़ित ने ब्लैकस्टोन ट्रेडिंग में एक ट्रेडिंग खाता खोला और शुरुआत में अपनी पत्नी के खाते से 5 लाख रुपये ट्रांसफर किए। कुछ समय के दौरान उन्होंने अपने पांच खातों से 11 जून 2024 तक साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए विभिन्न खातों में कुल 3,04,00,000 रुपये (केवल तीन करोड़ चार लाख रुपये) ट्रांसफर कर दिए। तमाम कोशिशों के बावजूद वे कोई रकम वापस नहीं निकाल पाए।

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ठगी के बारे में कैसे बताया

जब ​​उन्होंने निकासी का अनुरोध किया तो उन्हें अपने मुनाफे पर 20% मैनेजिंग फीस देने को कहा गया। इसके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह 300% से अधिक हो गया है। उनके अनुरोधों का कोई जवाब नहीं मिला। व्यक्ति भी गायब हो गया और खाते भी एक्सेस नहीं कर पा पहे थे। इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह इस ग्रुप और उनके सहयोगियों द्वारा एक योजनाबद्ध साजिश और ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं।

9 जुलाई, 2024 को मामला दर्ज

नतीजतन, पीड़ित ने एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच का अनुरोध किया। 9 जुलाई, 2024 को सीआईडी ​​सीबी ने साइबर पीएस केस संख्या 39/2024 के तहत धारा 419/420/465/467/468/471/120-बी/34 आईपीसी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66-सी और 66-डी के तहत दर्ज किया गया।

क्राइम ब्रांच ने 5 स्वतंत्र टीमों का गठन किया

इंस्पेक्टर आशीषदेव साहू को मामले की जांच सौंपी गई थी। चूंकि यह एक जटिल मामला था इसलिए मामले का पता लगाने और आरोपी व्यक्तियों को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच द्वारा 5 स्वतंत्र टीमों का गठन किया गया था।

सबसे पहले उत्तम कुमार साहू को पकड़ा

मनी ट्रेल का पता लगाने के बाद, क्राइम ब्रांच की साइबर क्राइम यूनिट ने सबसे पहले उत्तम कुमार साहू को पकड़ा, जिसने टूटू उर्फ ​​बिकाश चंद्र राउत और फिर दिलीप कुमार लेंका को खाते की जानकारी साझा की थी। इसके बाद उन्होंने शिबा उर्फ ​​बिसिकेसना पाढ़ी और सुनील पी. डोरा को पकड़ा, जो दिल्ली रहने वाले अंकित उर्फ ​​भावेश ठाकुर के साथ महत्वपूर्ण कड़ी थे। अंकित ने धोखाधड़ी वाले लेन-देन को पूरा करने के बाद फंड को क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया और सभी के बीच कमीशन वितरित किया।

मोंटी ने पैसे को क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर किया और कमीशन बांटा

जांच के दौरान यह भी पता चला कि दिलीप कुमार लेंका किसी रंजीत कुमार बल से जुड़ा हुआ था। बुबू उर्फ भारत भूषण चक्र से रंजीत खाते की जानकारी प्राप्त करता था और उन्हें दिल्ली के मोंटी उर्फ तुषार शर्मा के साथ साझा करता था। मोंटी ने पैसे को क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया और कमीशन बांट दिया।

बैंकों में करेंट खाते खोले

अन्य आरोपी व्यक्तियों यानी कलंदी सिंह, जितेंद्र बराड़, सुधांशु पटनायक, सत्य रंजन साहू और पप्पू उर्फ उदयभानु घाडेई ने विभिन्न बैंकों में करेंट बैंक खाते खोले और उन्हें साइबर अपराधियों को प्रदान किया। जांच के दौरान साइबर जांच टीम ने आरोपियों से निम्नलिखित सामान जब्त किए।

  • मोबाइल फोन – 20
  • सिम कार्ड – 42
  • डेबिट कार्ड – 20
  • चेक बुक – 3
  • पैन कार्ड – 3
  • आधार कार्ड – 5

ठगी का तरीका

इन साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली यह थी कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से अपने टारगेट की पहचान करते थे और उनसे संपर्क स्थापित करते थे। फिर वे उन्हें ट्रेडिंग और निवेश पर चर्चा के लिए व्हाट्सएप या टेलीग्राम ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते थे। इसके बाद, पीड़ितों को हाई रिटर्न का वादा करके नकली ट्रेडिंग खाते खोलने के लिए लुभाया जाता था।

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