क्राइम
Cyber Crime: आपकी एक गलती डूबा सकती है सारी कमाई, जानें Dark Web को क्यों कहा जाता है अंडरवर्ल्ड की दुनिया

आपने सुना होगा Cyber Crime कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कई बार किसी व्यक्ति के बारे में पता करने के लिए पुलिस खुद Cyber Cell की मदद लेती है। कहते है ना हर सिक्के के दो पहलू होते हैं एक अच्छा तो एक बुरा। ऐसा ही टेक्नोलॉजी के साथ भी है। जहां पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए अपने डिपार्टमेंट के Cyber Cell की मदद लेती है वहीं ठग भी ठगी को अंजाम देने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। जी हां, इंटरनेट की दुनिया में कई ऐसे अपराधी है, जो आपकी जानकारी चोरी करके नीलाम करते हैं। इससे उन्हें काफी फायदा होता है। यहां हम बात कर रहे हैं हैकर्स की, जो की डेटा चोर होते हैं।
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आपने अक्सर Social Media, Banks, Mobile Apps इत्यादि प्लेटफॉर्म्स से डेटा लीक की खबरें अक्सर सुनी होगीं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लीक हुए इस डेटा का क्या होता है। हैकर्स इसे कहां और कैसे बेचते हैं। इसकी कीमत कैसे पक्की की जाती हैं। अक्सर हैकर्स आपका और इंटरनेट पर मौजूद करोड़ों लोगों का डेटा खंगालते रहते हैं। डेटा चोरी करने के लिए वे loop Holes तलाशते हैं। लूप होल एक तरह का खामी है जिसके सहारे डेटा चुरा जा सकता है। आइए जानते हैं डेटा चोरी होने की पूरी कहानी…
आखिर डेटा चोरी कैसे होता है?
अपराधी इंटरनेट पर मौजूद यूजर्स का डेटा चुराने के लिए सबसे पहले वेबसाइट में खामी तलाशते हैं। जिसे लूप होल कहते हैं। इसी खामी के जरिए अपराधी वेबसाइट के डेटाबेस में सेंधमारी करना शुरू कर देते हैं और फिर लाखों यूजर्स का डेटा चुरा लेते हैं। चोरी किया गया ये सारा डेटा Dark Web में सेव हो जाता है, जहां इसकी नीलामी की जाती है।
Dark Web क्या होता है?
दरअसल, इंटरनेट की बड़ी सी दुनिया को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है। इसमें पहला हिस्सा Surface Web होता है, जिसका इस्तेमाल लगभग सभी करते हैं। यानी आप जो कुछ भी इंटरनेट पर सर्च करते हैं, वो सब सर्फेस वेब का ही एक भाग है। इसके बाद आता है Deep Web, जहां तमाम ऐसे वेब पेज मौजूद होते हैं, जो आसानी से इंटरनेट पर नजर नहीं आते हैं। इसे आसान शब्दों में समझते हैं। जब आप किसी भी विषय पर इंटरनेट पर ज्यादा जानकारी के लिए तमाम वेबसाइट का डेटा खंगालते हैं, उसे ही डीप सर्च करते है। अंत में आता है Dark Web। जैसा नाम वैसा काम यानी इसके नाम की तरह ही इसकी दुनिया भी काली है। यहां तक पहुंचना आसान काम नहीं है। यहां अंडरवर्ल्ड की तरह कदम- कदम पर खतरा मंडराता रहता है। खतरा होता है Hackers का, Scammers का और ठगी का। डार्क वेब का एक्सेस Special Browser के जरिए मिलता है. जिसके बाद यहां पर डेटा की नीलामी की जाती है।
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कैसे तय होती है कीमत?
Dark Web में हर डेटा की कीमत अलग-अलग होती है। जानें कैसे तय की जाती है डेटा के हिसाब से कीमत?
* यहां किसी-किसी यूजर का डेटा 1010 डॉलर तक मिल जाता है।
* ऑनलाइन लॉगइन डिटेल्स की कीमत यहां 50 डॉलर तक तय की जाती है।
* Credit Card और उससे जुड़ी दूसरी कई जानकारियों के लिए 17 डॉलर से 120 डॉलर तक दिए जाते हैं।
* ऑनलाइन बैंकिंग लॉगइन डिटेल्स की कीमत 65 डॉलर तक तय होती है।
* फेसबुक अकाउंट की कीमत 45 डॉलर
* क्लोन्ड VISA और पिन की डिटेल्स 20 डॉलर
* स्टोलेन PayPal अकाउंट की डिटेल्स 20 डॉलर
* हैक्ड वेब और Uber व Netflix जैसी एंटरटेनमेंट सर्विसेस के यूजर्स के डेटा की कीमत 40 डॉलर
कैसे बेचा जाता है डेटा?
इन सभी डेटा को हैकर्स Dark Web पर लिस्ट कर देते हैं। इन डेटा के साथ एक छोटा सा सैंपल भी दिया जाता है, जोकी फ्री एक्सेस के लिए होता है। ताकि खरीदार सैंपल और डेटा दोनों को क्रॉस चेक कर सके। इसके बाद जब खरीदार को सब ठीक लगता है, तो खरीदारी के लिए कीमत लगनी शुरू हो जाती है। स्कैमर्स रूल होता है कि वे ज्यादातर डेटा Cryptocurrency के बदले खरीदते हैं, जिससे उनके बारे में किसी को भी कोई जानकारी ना मिल सके।
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