क्राइम
साइबर हेल्पलाइन – 1930 / 155260 के जरिये उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुछ ही दिनों में साइबर पीडितों के बचाये – 28 लाख 97 हजार से अधिक रूपये
13 मई 2021 से साइबर क्राईम पोर्टल में शुरू हुए सिटिजन फायनेंसियल फ्रॉड सिस्टम का लाभ पूरे राज्य को मिल रहा है । नई प्रणाली के शुरू होने पुलिस द्वारा की गई त्वरित कार्यवाही के फलस्वरूप कुछ ही दिन के अन्दर पीड़ित व्यक्तियों के 28 लाख 97 हजार रुपए से ज्यादा राशि साइबर ठगो के हाथ लगने से पहले ही बचा लिये गये है। साइबर हेल्पलाइन का सुचारू रूप से संचालन करनें हेतु मुख्यालय 112 में हेल्पलाईन नंबर- 1930 / 155260 के लिए अलग से कॉल सेंटर स्थापित किया गया है, जिसका संचालन 24×7 सकुशल कराया जा रहा है । गौरतलब है कि साइबर फाइनेंसियल फ्राड का शिकार व्यक्ति साइबर क्राईम हेल्प लाईन नंबर पर फोन करके साइबर क्राईम पोर्टल में ‘‘सिटिजन फाइनेंसियल फ्रॉड रिपोर्टिग सिस्टम‘‘ के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है।
प्रो0 त्रिवेणी सिंह, पुलिस अधीक्षक, साइबर क्राइम, उत्तर प्रदेश ने कहा कि इस नई प्रणाली से न केवल साइबर फाइनेंसियल फॉड प्रकरणों में कमी आयेगी बल्कि ऐसे अपराधो में लिप्त गिरोहों का मनोबल भी टूटेगा । प्रो0 त्रिवेणी सिंह ने एक बार फिर साइबर फायनेंसियल क्राईम के मामलों में लोगो से तुरंत शिकायत दर्ज करने हेतु अपील किया है ताकि समय रहते पीड़ित को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके ।
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ऐसे काम करता है सिस्टम
इस सुविधा से पुलिस और बैंक दोनों को ताकत मिलती है, दोनों आपस में फ्रॉड से जुड़ी जानकारियां साझा करते हैं, जिससे कार्रवाई भी तुरंत हो जाती है. ऑनलाइन धोखेबाजी में हड़पी गई रकम को मनी ट्रेल के जरिए रोका जा सकता है और आगे धोके के सभी रास्तों को बंद किया जा सकता है. आइए अब बताते हैं कि ये हेल्पलाइन और प्लेटफॉर्म काम कैसे करता है.
- साइबर धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर 1930/155260 पर कॉल करता है और जो राज्य पुलिस द्वारा संचालित होता है
- पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले की निजी जानकारियों को नोट करता है. और उन्हें नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर टिकट के रूप में जमा करता है.
- ये टिकट संबंधित बैंकों, वॉलेट्स, मर्चेंट वगैरह तक पहुंचा दिया जाता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये पीड़ित का बैंक है या वॉलेट जिसमें धोखाधड़ी का पैसा गया है.
- शिकायत के एकनॉलेजमेंट नंबर के साथ पीड़ित को एक SMS भी भेजा जाता है, जिसमें एकनॉलेजमेंट नंबर का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.Gov.In/) पर जमा करने का निर्देश दिया जाता है.
- संबंधित बैंक, जो अब रिपोर्टिंग पोर्टल पर अपने डैशबोर्ड पर टिकट देख सकता है, अपने आंतरिक सिस्टम में विवरण की जांच करता है. अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी वहां मौजूद है तो बैंक उसे वहीं पर ब्लॉक कर देता है. यानी फ्रॉड करने वाला वो पैसा निकाल नहीं सकता है.
- अगर धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है, तो टिकट अगले बैंक में बढ़ जाता है, जहां पैसा निकल गया है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि पैसा धोखेबाजों के हाथों में जाने से रोक न लिया जाए.
वेबसाइट की लें मदद
आप हेल्पलाइन नंबर के अलावा वेबसाइट https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर भी ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़ी शिकायत कर सकते हैं. आपको बता दें कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल साइबर पोर्टल https://cybercrime.gov.in प्रोजेक्ट शुरू किया था. दिल्ली को इस इंडियन साइबर क्राइम को-आर्डिनेशन प्लेटफॉर्म पर सबसे पहले जोड़ा गया था. इसके बाद राजस्थान को इसमें शामिल किया गया है.
सभी बड़े बैंक, RBI, वॉलेट शामिल
हेल्पलाइन को 1 अप्रैल, 2021 को सॉफ्ट लॉन्च किया गया था. हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सभी बड़े बैंकों, पेमेंट बैंकों, वॉलेट और ऑनलाइन मर्चेंट के समर्थन और सहयोग से चालू किया है. फिलहाल इसे सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में लागू किया जा रहा है, जो 35 पर्सेंट से ज्यादा की आबादी को कवर करता है.
इनबातोंकारखेंध्यान
– कंपनियों के अधिकृत वेबसाइट से ही कस्टमर केयर नंबर लेकर कॉल करें और कभी भी ओटीपी या कोड शेयर न करें।
– ट्विटर पर अगर किसी कंपनी का वेरिफाइड अकाउंट यानी नाम के साथ सही का टिक मार्क है तभी उसपर भरोसा करें
– फोन पर कोई भी शख्स कार्ड ब्लॉक होने या वेरिफिकेशन के नाम पर मैसेज भेज उसे फिर से किसी अन्य नंबर पर फारवर्ड करने को कहे तो अलर्ट रहें।
– जालसाज ओएलएक्स पर सामान खरीदने या बेचने के नाम पर यूपीआई के जरिए आपको रिक्वेस्ट मनी (Request money) करते हैं और आप इनके जाल में फंसकर ठगी के शिकार बन जाते हैं।
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