क्राइम
EPFO में 21 करोड़ ‘महा-घोटाला’का मामला उजागर, जानें कैसे हुआ खुलासा? कौन है मास्टरमाइंड
मार्च 2020 से जून 2021 के दौरान जब पूरे देश का ध्यान कोरोना महामारी और लॉकडाउन पर था, तभी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के मुंबई कार्यालय के कर्मचारियों ने सांठगांठ करके कथित रूप से 21 करोड़ रुपये के पीएफ फंड (PF Fund) घोटाले को अंजाम दिया। ईपीएफओ के कर्मचारियों ने फंड एक कॉमन पीएफ पूल पर हाथ साफ करने के लिए फर्जी निकासी का सहारा लिया। इंडियन एक्सप्रेस ने ईपीएफओ की आंतरिक जांच से जुड़े दस्तावेजों के हवाले से इसकी जानकारी दी है।
ईपीएफओ की जांच में इस घोटाले का मास्टरमाइंड चंदन कुमार सिन्हा को पाया गया है। 37 वर्षीय सिन्हा ईपीएफओ के कांदिवली स्थित ऑफिसर में क्लर्क की पोस्ट पर तैनात है और इसने 21.5 करोड़ रुपये का घोटाला करने के लिए 817 बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया। ये बैंक अकाउंट प्रवासी मजदूरों के थे। इनके जरिए 21.5 करोड़ रुपये निकालकर सिन्हा ने अपने खातों में जमा किया।
सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि जिन खातों से पैसे निकाले गए हैं, उनमें से 90 फीसदी पैसा किसी और अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया गया है। घोटाले का आरोपी सिन्हा फरार है और ईपीएफओ कार्यालय के उन पांच कर्मचारियों में शामिल है, जिन्हें कथित घोटाले में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि जैसे ही आंतरिक जांच पूरी होगी, ईपीएफओ मामले को सीबीआई को सौंप देगा।
हालांकि, आंतरिक जांच का फोकस अभी कांदिवली कार्यालय पर ही है, लेकिन इस घोटाले को देखते हुए ईपीएफओ के सभी दफ्तर अलर्ट पर हैं। ईपीएफओ क्लाइंट और वित्तीय लेन-देन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा सोशल सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईपीएफओ व्यक्तिगत रूप से बचत की गई 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि के लेन-देन को संभालता है। ईपीएफ मेंबरशिप औपचारिक रोजगार का संकेत है।
धोखाधड़ी से निकाला गया पैसा ईपीएफओ के पूल फंड का था, जहां हर महीने पंजीकृत संगठनों द्वारा जमा किए गए धन रहता है। आमतौर पर, ईपीएफओ प्राप्त धन को जमा करता है और उसे ज्यादातर गवर्मेंट सक्योरटी में निवेश करता है।
बैंक डकैती के बराबर ईपीएफओ को नुकसान
एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘किसी भी व्यक्तिगत पीएफ खाते का दुरुपयोग (धोखाधड़ी में) नहीं किया गया है। पैसा पूल्ड फंड का था और यह ईपीएफओ को नुकसान हुआ है, किसी व्यक्ति को नहीं। यह एक बैंक डकैती के बराबर है।’
बहुत बड़ा है घोटाला
घोटाले कितना बड़ा इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ईपीएफओ अब अपनी प्रक्रिया को बदलने जा रहा है, ताकि सभी निकासी को सुरक्षित किया जा सके। संगठन ने कांदिवली ऑफिस से हुए कम से कम 12 लाख पीएफ क्लेम की आंतरिक जांच का भी आदेश दिया है। ये क्लेम मार्च 2019 से अप्रैल 2021 के बीच हुए हैं।
संदिग्ध लोग जांच से बचने में कामयाब रहे
अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम में कुछ खामियों के कारण संदिग्ध लोग जांच से बचने में कामयाब रहे। उन्होंने इसे ऐसे समय अंजाम दिया जब संगठन ने अपने मानदंडों में ढील दी थी और महामारी के कारण पैदा हुए हालात के बीच पीएफ निकासी की पुष्टि और मंजूरी से जुड़े अपने कर्मचारियों को कई जिम्मेदारियां सौंप दी थी।
सिस्टम का दुरुपयोग
वरिष्ठ अधिकारी लॉकडाउन के चलते घर पर थे और उन्होंने पासवर्ड को अपने कर्मचारियों के साथ शेयर किया था। ऐसे में कर्मचारियों ने पासवर्ड का प्रयोग करते हुए सिस्टम का दुरुपयोग किया। इस दौरान पीएफ निकासी की रेंज 1 लाख से 3 लाख के बीच थी, 5 लाख ऊपर से निकासी को सिस्टम हाइलाइट करता है, और ये निकासी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दूसरी बार पुष्टि किए जाने पर ही मंजूर होती है।
अधिकारियों ने घोटाले में चंदन की मदद की
ईपीएफओ को अपनी जांच में पता चला है कि कांदिवली शाखा के कुछ अधिकारियों ने घोटाले में चंदन कुमार सिन्हा की मदद की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये शर्म का विषय है कि हमारे अधिकारियों ने अपना पासवर्ड सिन्हा के साथ साझा किया और उन्हें बाद में इतनी भी परवाह नहीं थी कि पासवर्ड को बदल लें।
गायब है चंदन
चंदन कुमार सिन्हा ने 2005 में बिहार के गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में स्नातक किया है। जुलाई महीने की शुरुआत में मामला सामने आने के बाद उसने खुद को स्थानीय अस्पताल में भर्ती करा लिया और उसके बाद से गायब है। सिन्हा के साथ पहले संपर्क में रहे ईपीएफओ अधिकारियों ने उसे मिलनसार और तेजतर्रार बताया। एक अधिकारी ने कहा कि हमें मालूम चला था कि उसके पास महंगी कारें और कई सारी स्पोर्ट्स बाइक भी हैं, जिनमें हर्ले डेविडसन भी शामिल है।
कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश
सूत्रों ने बताया कि घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ, जब ईपीएफओ को एक किसी शख्स ने अपनी पहचान उजागर किए बगैर शिकायत की। माना जा रहा है कि यह शिकायत सिन्हा के किसी रिश्तेदार ने की थी, जो उसकी लाइफ स्टाइल से जलता था। घोटाले का एक मुख्य किरदार, सिन्हा का साथी अभिजीत ओंकर है, जो उसकी तरह क्लर्क था और कथित रूप से बैंक अकाउंट मैनेज करने में उसकी मदद की।
प्रवासी मजदूरों की जानकारी जुटाई गई
अधिकारियों के अनुसार पैसे की निकासी के लिए सबसे पहली चीज बैंक अकाउंट है और उसके बाद खाताधारक का आधार डिटेल्स, जो ज्यादातर प्रवासी मजदूरों के थे। इन्हें 5 हजार रुपये का कमीशन देकर हासिल किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि इतनी जानकारी हासिल करने के बाद पीएफ अकाउंट को खोला गया। ये अकाउंट उन कंपनियों के थे, जो पहले मुंबई में थी, लेकिन 10 से 15 साल पहले बंद हो गईं। 2014 से पहले के पुराने अकाउंट होने के चलते अनिवार्य यूएएन नंबर पैसे की निकासी के समय ही बनाया जाता है।