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साइबर सेल का मामला बताकर केस दर्ज करने से मना नहीं कर सकती लोकल थाने की पुलिस

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साइबर सेल का मामला बताकर केस दर्ज करने से मना नहीं कर सकती लोकल थाने की पुलिस

नई दिल्ली: कोरोना काल में साइबर क्राइम के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। एक्सपर्ट के अनुसार इस दौरान पूरे देश में इसके 110% मामले बढ़ गए हैं। इसमें सोशल साइट्स के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर फर्जी नाम से अकाउंट्स बनाना, लड़कियों-महिलाओं को ब्लैकमेल करना, लड़कियों की गलत तस्वीरों को पोस्ट करना, इसके जरिए उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना जैसे मामले अक्सर सामने आ रहे हैं। जब इस तरह के साइबर क्राइम की पीड़ित अपने लोकल थाने जाती है तो उस वक्त पुलिस का रवैया पूरी तरह से टाल-मटोल वाला रहता है।

पीड़ित चाहता है कि पुलिस फर्जी अकाउंट बनाकर ब्लैकमेल करने वाले अपराधी की पहचान करें। मगर, ऐसा होता नहीं है। लोकल थाने की पुलिस केस को साइबर सेल या संसाधन की कमी का हवाला देकर पीड़ित से अपना पिंड छुड़ाने में लग जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस तरह के मामलों में किसी पीड़ित को क्या करना चाहिए?

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लोकल थाने की पुलिस कर सकती है कार्रवाई
अगर किसी के नाम से साइबर क्रिमिनल्स सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट बना देते हैं तो अक्सर साइबर सेल का मामला बताकर लोकल थाने की पुलिस टालमटोल कर देती है। जो गलत है। साइबर एक्सपर्ट दीपक के अनुसार फर्जी अकाउंट को लोकल थाने की पुलिस आराम से बंद कर सकती है। किसी भी फर्जी अकाउंट को बंद करने के लिए साइबर सेल का मामला बताना सही नहीं है। प्रत्येक पुलिस अधिकारी को फेसबुक और इंस्टाग्राम का लिंक उपलब्ध कराया गया। अगर उनके पास नहीं है तो वो एसपी ऑफिस या साइबर सेल से ले सकते हैं। इसके जरिए आगे की कार्रवाई करने में लोकल थाने की पुलिस पूरी तरह से सक्षम है।

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सिर्फ एक आवेदन की जरूरत
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट को बंद कराने के लिए थाने में एफआईआर रजिस्टर कराने की जरूरत नहीं है। इसके लिए लोकल थाने की पुलिस को बस एक आवेदन देने की जरूरत है। इसके साथ अपने पहचान पत्र की एक फोटो कॉपी भी दें। साथ में सोशल साइट पर फर्जी अकाउंट का लिंक और कंप्यूटर से लिया गया स्क्रीनशॉट उपलब्ध जरूर कराएं। पीड़ित को इस बात पर ध्यान देना होगा कि कभी भी मोबाइल से स्क्रीनशॉट न लें। इसमें यूआरएल नहीं आता है।

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10 से 15 मिनट में बंद हो जाता है फर्जी अकाउंट
दीपक बताते हैं कि इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्ट में प्रावधान है कि कंप्लेन मिलने के बाद 24 से 36 घंटे में सोशल साइट की कंपनी को बनाए गए फर्जी अकाउंट को बंद कर देना है। हालांकि, अब कंप्लेन मिलने के बाद महज 10 से 15 मिनट में ही फर्जी अकाउंट को बंद करने प्रक्रिया को कंपनी पूरी कर देती है। फर्जी अकाउंट बंद हो जाता है।

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