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Pension पर Tention : सरकारी विभाग से रिटायर होने वाले हैं तो रहें अलर्ट, पेंशनर से 1 साल में 10 करोड़ ठगे, जानें कैसे बचें
Pension Fraud Alert: सरकारी नौकरी हर किसी का सपना होता है। इसकी ज्वाइनिंग से लेकर रिटायरमेंट का दिन दोनों ही बहुत खास होता है। ज्वाइनिंग के समय भले ही बैंक बैलेंस कम हो लेकिन रिटायरमेंट के समय अकाउंट में लाखों रुपये होने की खुशी होती है। क्योंकि ये जिंदगी भर की मेहनत और बचत होती है। लेकिन क्या हो जब एक फोन आए और आपका बैंक अकाउंट ही पूरा खाली हो जाए। बैंक खाते में 1 रुपये भी ना बचे। इस दुख को वही समझ सकता है जिसके साथ ऐसा साइबर क्राइम (Cyber Crime Fraud) हुआ हो। लेकिन आपकी थोड़ी सावधानी ऐसे बड़े साइबर क्राइम से बचा सकती है।
1 साल में 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी, अगला टारगेट आप तो नहीं?
इन दिनों सरकारी कर्मचारियों के रिटायर होते ही उन पर साइबर क्रिमिनल की नजर लग जा रही है। पिछले एक साल में ही यूपी के रिटायर्ड हुए सरकारी कर्मचारियों से 10 करोड़ रुपये से ज्यादा ठगी हो चुकी है। ये आंकड़े वो हैं जो सामने आए है। ठगी की रकम 15 करोड़ या इससे भी ज्यादा हो सकती है। इस तरह की ठगी सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी हो रही है।
दरअसल, सरकारी कर्मचारी के रिटायरमेंट होते ही साइबर क्रिमिनल किसी विभागीय कर्मचारी से मिलीभगत और लालच देकर पूरी डिटेल ले लेते हैं। इसके बाद जिस दिन रिटायर्ड अधिकारी या कर्मचारी के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर होते हैं उसके कुछ दिन बाद ही साइबर क्रिमिनल खुद को ट्रेजरी विभाग का अधिकारी बताते हुए फोन कर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।
ठगी का केस स्टडी : नौकरी की ज्वाइनिंग डेट, रिटायरमेंट डेट बता लिया झांसे में, फिर निकाल लिए 49 लाख, बचे सिर्फ 90 पैसे
अलीगढ़ साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में हाल में ही अमर सिंह ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई। अमर सिंह यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल थे। 31 दिसंबर 2020 को रिटायर हुए। 8 जनवरी 2021 को ही 7479249084 नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने कहा : मैं DSP हाथरस ट्रेजरी कार्यालय बोल रहा हूं। इसके बाद बताया कि अमर सिंह आपकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1961 है और आप 15 अगस्त 1981 को यूपी पुलिस में भर्ती हुए हुए थे। इसके बाद 31 दिसंबर 2020 को रिटायर हुए।
ये जानकर भरोसा हो गया कि कॉल करने वाला ट्रेजरी ऑफिस से ही बोल रहा है। उसने ये भी बताया कि अभी एक दिन पहले ही ट्रेजरी ऑफिस से आपके खाते में 11 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे। इस तरह भरोसा और बढ़ गया। फिर उसने कहा कि पेंशन की अगली किस्त आपके अकाउंट में नहीं आ पाएगी। कुछ तकनीकी दिक्कत आ रही है।
ये कहकर अमर सिंह से बैंक पासबुक, आधार नंबर, एटीएम कार्ड डिटेल और एक्सपायरी डेट की जानकारी भी मांग ली। इसके बाद उस नंबर पर संपर्क नहीं हो पाया और ना ही कोई मैसेज आया। 18 जनवरी को बैंक पासबुक की एंट्री कराने पहुंचे तो पता चला कि ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए उनके अकाउंट से 49 लाख रुपये निकाल लिए गए हैं। ये जानकर अमर सिंह बेहोशी की हालत में चले गए। उनके खाते में अब सिर्फ 90 पैसे बचे हुए थे।
जानें : साइबर क्रिमिनल ऐसे निकाल रहे हैं पेंशनर के लाखों रुपये
यूपी साइबर क्राइम के पुलिस अधिकारी शेखर ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में पेंशनर के साथ फर्जीवाड़े के मामले तेजी से बढ़े हैं। इन केस की जांच में कई अहम जानकारी मिली है। पेंशनर के खाते से दो तरीके से पैसे निकाले जा रहे हैं। पहला बैंकिंग ऐप की कुछ खामियों का फायदा उठाकर और दूसरा सिम कार्ड स्वाइप कराकर भी फर्जीवाड़ा हो रहा है।
बैंकिंग ऐप से फर्जीवाड़ा – साइबर क्रिमिनल पहले तो किसी ट्रेजरी विभागीय कर्मचारी से मिलीभगत कर पेंशनर की सारी डिटेल ले रहे हैं। इसके बाद इन्हें बैंक पास बुक, आधार कार्ड की फोटो और एटीएम कार्ड की डिटेल की जरूरत होती है। इसके लिए ये खुद को ट्रेजरी कार्यालय का अधिकारी बताकर पेंशन रुकने या फंड नहीं मिलने का बहाना बनाकर ये डिटेल भी मांग लेते हैं। फिर ज्यादातर ज्यादातर के एसबीआई में ही अकाउंट है इसलिए उसका मोबाइल ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। इस ऐप के लिए बैंक डिटेल्स के साथ, एटीएम कार्ड और एक्सपायरी डेट की जरूरत होती है।
जिसके जरिए ये ऑनलाइन बैंकिंग शुरू कर लेते हैं और ओटीपी के लिए नई ईमेल आईडी बना लेते हैं। इस तरह मोबाइल ऐप एक्टिव करने के बाद उसें दो ऑप्शन होते हैं। पहला Quick Money Transfer और दूसरा Fund Transfer। क्विक मनी में 25 हजार से कम ही ट्रांसफर कर सकते हैं। इसलिए ये साइबर फ्रॉड अपने अकाउंट को इसमें जोड़कर Fund Transfer करते हैं जिसके जरिए एक साथ कई लाख रुपये भी ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए ओटीपी की जरूरत भी पड़ी तो ईमेल पर मिल जाती है। 80 फीसदी से ज्यादा फर्जीवाड़ा इसी तरीके से अंजाम दिए जा रहे हैं।
नये सिमकार्ड के जरिए – दूसरा तरीका है पेंशनर के आधार कार्ड के जरिए दूसरा सिमकार्ड जारी कराकर भी ये ठग ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए ठगी कर रहे हैं। या फिर सिम स्वाइप के जरिए भी ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
यूपी में 77 ट्रेजरी कार्यालय, 4-5 विभागों से डेटा हो रहे लीक, लखनऊ सचिवालय नंबर-1
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस समय यूपी में लगभग 77 ट्रेजरी कार्यालय हैं। यूपी में औसतन हर महीने 3-4 हजार सरकारी कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। इनमें से 4-5 ट्रेजरी विभागों के पेंशनर्स से ही सबसे ज्यादा ठगी के मामले हुए हैं। इनमें भी लखनऊ सचिवालय में तैनात कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद सबसे ज्यादा ठगी हुई है। ऐसे में साइबर क्रिमिनल और किसी विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होने की पूरी आशंका है। जिसके बारे में यूपी पुलिस जांच कर रही है।
कौन है सरकारी ट्रेजरी विभाग का मुखबिर, जल्द होगा गिरफ्त में : SP
यूपी के जिन-जिन विभागों से रिटायर होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का डेटा लीक किया गया है, उससे एक बात तय है कि इसमें विभाग का ही कर्मचारी शामिल है। रिटायर्ड होने वाले कर्मचारी की डिटेल तीन स्तर पर होती है। पहला जिस विभाग से रिटायर्ड हुए उस विभाग के अकाउंटेंट के पास पूरी डिटेल होती है। दूसरा जहां से पेंशन बनाई जाती है, यानी PPA। यहां के कर्मचारी के पास भी रिटायरमेंट की डिटेल होती है। और तीसरा मुख्य ट्रेजरी कार्यालय के पास भी पूरी जानकारी होती है। ऐसे में यूपी पुलिस इन तीनों स्तर पर डेटा लीक करने वाले सरकारी मुखबिर की तलाश में जुटी हुई है।
इस बारे में एसपी साइबर क्राइम प्रो. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इन घटनाओं में जामताड़ा गैंग का हाथ हो सकता है। जिनके बारे में हमें काफी अहम जानकारी मिली है। इसके अलावा ठगी करने वाले साइबर क्रिमिनल तक डेटा पहुंचाने में कुछ सरकारी विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। जिनके बारे में हमारी टीम पड़ताल कर रही है। उम्मीद है जल्द ही इन घटनाओं में शामिल गैंग का खुलासा करेंगे।
जानिए, चीफ ट्रेजरी ऑफिसर ने ऐसे साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या कहा
चीफ ट्रेजरी ऑफिसर (CTO) स्वतंत्र कुमार ने बताया कि पेंशनर्स के साथ साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में हमलोग विभागीय जांच करा रहे हैं। पेंशनर की डिटेल कहां से लीक हो रही है, इसे लेकर विभाग काफी गंभीर है और यूपी के साइबर क्राइम प्रभारी एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह के साथ मिलकर जांच कराई जा रही है। CTO ने पेंशनर के साथ होने वाले फर्जीवाड़े को लेकर निर्देश भी जारी किया है कि अब ट्रेजरी कार्यालय की तरफ से किसी पेंशनर को फोन नहीं किया जाएगा और ना ही कोई अपडेट देगा। इस बारे में रिटायर होने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी बताया जा रहा है ताकि वो ऐसे फ्रॉड के जाल में ना फंसे।
रिटायर हो रहें तो इन टिप्स को समझ लीजिए
- अब ट्रेजरी विभाग की तरफ से फोन कर कोई जानकारी नहीं मांगी जा रही है इसलिए जैसे कोई कॉल करें उसे कट कर दें
- ट्रेजरी विभाग के कर्मचारियों से संपर्क करना है तो पेंशनर फोन करने के बजाय सीधे कार्यालय आएं, ताकी ठगी ना हो सके
- फोन पर बात करते हुए बैंक से जुड़ा कोई काम ना करें, इसके बजाय कोई दिक्कत हो तो सीधे बैंक या ट्रेजरी कार्यालय में जाएं
- साइबर क्रिमिनल कई बार पैसों के ट्रांसफर कराने के नाम पर वेरिफिकेशन कोड मांग रहे हैं, इसलिए फोन पर ऐसी बात ना करें
- अगर किसी के पेंशन खाते में दिक्कत आ भी रही है तो इसके लिए फोन ना करें, इसके बजाय कार्यालय में आकर ही बात करें
- सभी पेंशनर अपने मोबाइल नंबर को बैंक अकाउंट से अपडेट रखें और एटीएम कार्ड का पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें
- पेंशनर कभी भी बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड डिटेल, आधार कार्ड या कोई जानकारी किसी को भी ना बताएं
- रिटायरमेंट होने के बाद बैंक में जाकर भी अपनी निजी जानकारी खुलकर ना बताएं वरना वहां मौजूद शख्स भी फर्जीवाड़ा कर सकता है