Mahamedha Bank : 100 करोड़ की धोखाधड़ी में 24 बैंक अधिकारियों पर FIR

Sunil Maurya
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बैंक में लूट या चोरी की खबरें तो बहुत सुनी होंगी लेकिन ऐसा शायद ही सुना होगा कि बैंक की स्थापना कराने वाले खुद ही लुटेरे बन गए। एक या दो नहीं बल्कि बैंक की शुरुआत करने वाले सचिव, सभापति से लेकर बैंक मैनेजर तक मिलीभगत करके खाताधारकों के करीब 100 करोड़ रुपये गायब कर दिए। ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि किसी बैंक के 24 लोगों के खिलाफ एक साथ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से एक आरोपी की मौत भी हो चुकी है लेकिन उसकी संपत्ति से वसूली की जाएगी।

18 सितंबर की रात गाजियाबाद में दर्ज हुई FIR

चौंकाने वाला ये मामला यूपी के गाजियाबाद (Ghaziabad Mahamedha Bank) का है। गाजियाबाद में महामेधा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (Ghaziabad Mahamedha Urban co-operative Bank Fraud) के खाताधारकों से करीब 100 करोड़ रुपये गबन के मामले में तत्कालीन बैंक सचिव समेत 24 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ये एफआईआर 18 सितंबर की रात गाजियाबाद के कोतवाली में दर्ज हुई। अब जल्द ही नामजद अभियुक्तों से गबन के पैसों की रिकवरी का काम शुरू किया जाएगा। ये एफआईआर गाजियाबाद के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता देवेंद्र सिंह की शिकायत पर हुई है। इस पूरे मामले में स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई की गई है। अब गाजियाबाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जल्द ही गिरफ्तार करने का प्रयास करेगी।

2001 में बैंक का मिला लाइसेंस, 2017 में हुआ निरस्त

बैंक में गड़बड़ी का ये सनसनीखेज मामला कई बार चर्चा में रहा है। क्योंकि हजारों लोगों की मेहनत की कमाई के पैसे इस बैंक में डूब चुके हैं। महामेधा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गाजियाबाद, हापुड़ और गौतमबुद्ध नगर में बैंकिंग करने के लिए वर्ष 2001 में अनुमति प्रदान की थी। इस बैंक में अनेक प्रकार की वित्तीय अनियमितताएं, गबन और धोखाधड़ी के प्रकरण प्रकाश में आए थे। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने 11 अगस्त 2017 को महामेधा बैंक का बैंकिंग लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके बाद 27 जून 2018 को स्पेशल ऑडिट करने का आदेश जारी किया गया था। 28 जनवरी 2019 में ये कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम-1965 की धारा -68 के तहत बैंक के हिस्सेदारों के खिलाफ एफआईआर कराने के साथ वसूली भी की जाएगी। गाजियाबाद कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में कुल 99 करोड़ 85 लाख 12 हजार 347 रुपये का ये फर्जीवाड़ा है। इस फर्जीवाड़े के मुख्य सूत्रधार तत्कालीन बैंक के सचिव E. S. ल्यूक, स्व. पप्पू भाटी, राज सिंह भाटी, अशोक चौहान समेत 24 लोग शामिल हैं।

इन 3 जिलों के 37 हजार खाताधारकों के पैसे डूबे 

महामेधा बैंक के तीन जिलों गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और हापुड़ में कुल 37,588 खाताधारक थे। इन खाताधारकों में 36,176 खाता धारक एक लाख से कम जमा वाले हैं। इनके करीब 100 करोड़ से ज्यादा रुपये बैंक में जमा थे। कुछ महीने पहले ही जारी किए गए निर्देश के मुताबिक, इन सारे खाताधारकों को अब केवल 1-1 लाख रुपये बतौर बीमा राशि मिलेंगे। इनकी बाकी धनराशि डूब गई है।

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