क्राइम
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट को रूसी हैकर्स ने बनाया निशाना: CloudSEK
CloudSEK के Cyber-Security Researcher ने भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट में सेंधमारी का दावा किया है। दावे के मुताबिक, Indian Health Ministry के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली यानी HMIS में एक रूसी ग्रुप द्वारा छेड़छाड़ की गई है। इतना ही नहीं AI-संचालित साइबर सुरक्षा कंपनी CloudSEK ने बताया कि यह छेड़छाड़ और किसी ने नहीं बल्कि एक रूस समर्थक हैकर ग्रुप फीनिक्स ने की है और कथित तौर पर एचएमआईएस पोर्टल से देश के सभी अस्पतालों के कर्मचारियों और Chief Doctors के डेटा तक पहुंच बनाई।
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CloudSEK के प्रासंगिक AI Digital Risk Platform Xvigil के मुताबिक, “इस लक्ष्य के पीछे का उद्देश्य रूसी संघ के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध को माना जा रहा है। जहां भारतीय अधिकारियों ने इन प्रतिबंधों का उल्लंघ नहीं करने का फैसला किया और रूसी तेल के लिए MSP का अनुपालन करने का फैसला किया। इस फैसले के परिणामस्वरूप Russia Hacktivist Phoenix के टेलीग्राम चैनल पर कई पोल किए गए, जिनमें फॉलोअर्स से उनके वोटों की मांग की गई।”
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Security Researchers के मुताबिक, ठग साइबर अपराध मंचों पर एक्सफिल्टर्ड लाइसेंस दस्तावेज और व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी (PII) बेच सकते हैं और पीआईआई और लाइसेंस दस्तावेजों का उपयोग कर धोखाधड़ी को अंजाम दे सकते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि, इसी साल जनवरी से सक्रिय, रूसी हैक्टिविस्ट समूह फीनिक्स को phishing मामले में लोगों को लालच देने के लिए स्पेशल इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए देखा गया था और उसके बाद ठगों ने Password चुराकर पीड़ितों के बैंक या E-Payment Account तक पहुंच गए थे।
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इतना ही नहीं फीनिक्स हार्डवेयर हैकिंग, चोरी हुए और खोए हुए iPhone को Unlock करने और उन्हें नियंत्रित आउटलेट्स के नेटवर्क की मदद से Kyiv और Kharkiv में फिर से बिक्री करने में भी लगा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूसी हैक्टिविस्ट ग्रुप ने पहले American Army की सेवा करने वाले एक अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा संगठन के साथ Japan और Britain में स्थित अस्पतालों पर हमला किया था।
पिछले साल के आखिर में, Delhi में AIIMS ने बड़े पैमाने पर रैंसमवेयर हमले का शिकार हुआ था, जिसमें China का हाथ बताया जा रहा है। Hacking में संभावित रूप से राजनीतिक नेताओं और अन्य VIP सहित कम से कम 40 मिलियन रोगियों के संवेदनशील डेटा से समझौता किया गया था।
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