क्राइम
दुनिया में सबसे ज्यादा रैंसमवेयर अटैक भारत में, अब भारतीय फर्मों को साइबर हमले से बचने का खर्च 3 गुना बढ़ा, जानें पूरी डिटेल
भारत अब साइबर हमले का केंद्र बन चुका है। पूरी दुनिया में भारत में ही रैंसमवेयर अटैक (Ransomware Attack) सबसे ज्यादा हुए हैं। हाल में आई ‘द स्टेट ऑफ रैनसमवेयर 2021’ (‘The State of Ransomware 2021) की रिपोर्ट के अनुसार रैंसमवेयर अटैक के मामले में दुनिया के 30 देशों में भारत नंबर-1 पर है। यानी भारत में पिछले एक साल में सबसे ज्यादा रैंसमेवयर अटैक हुए हैं। आपको बता दें कि इंडिया में हल्दीराम पर रैंसमवेयर अटैक का सनसनीखेज मामला सामने आया था। जिसके बाद देश में कई बड़े रैंसमवेयर अटैक के मामले आए थे।
रैंसमेवयर अटैक के प्रभाव से बचने का खर्च हुआ 3 गुना ज्यादा
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले साल रैंसमवेयर हमले के प्रभाव से उबरने की लागत तीन गुना हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक, रैंसमवेयर अटैक की वजह से डेटा को सुरक्षित प्राप्त करने और बचाए रखने के लिए जहां साल 2020 में औसतन 1.1 मिलियन डॉलर यानी करीब 8 करोड़ रुपये खर्च हुए थे वहीं वर्ष 2021 में 3.38 मिलियन डॉलर यानी करीब 24.5 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस तरह पिछले साल की तुलना में ये लागत 3 गुना ज्यादा हो गई।
86 फीसदी भारतीय फर्म मानते हैं साइबर अटैक अब बड़ी चुनौती
इस रिपोर्ट में बढ़ते साइबर अटैक को लेकर एक सर्वे भी किया गया है। इसमें 30 देशों के 5400 आईटी इंडस्ट्री से जुड़े सीनियर अधिकारियों को शामिल किया गया था। जिसमें भारत से 300 लोग शामिल थे। इस सर्वे में ये बात सामने आई है कि 86 प्रतिशत भारतीय फर्म यानी संगठन ये मानते हैं कि अब साइबर अटैक के मामले काफी जटिल तरीके से हो रहे हैं जिसे हमारी आईटी टीम को नियंत्रण करने में मुश्किल हो रही है। जबकि दुनिया में इसका औसत 54 प्रतिशत ही है। रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि 67 प्रतिशत भारतीय संगठनों ने साइबर हमले के बाद अपना डाटा वापस पाने के लिए फिरौती का भुगतान किया जो पिछले साल 66 प्रतिशत था।
सोफोस इंडिया और सार्क के प्रबंध निदेशक-सेल्स सुनील शर्मा ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि “पिछले साल की तुलना में रैंसमवेयर की चपेट में आने वाले संगठनों के अनुपात में गिरावट आई है, लेकिन किसी भी अन्य देश में सर्वेक्षण किए गए संगठनों की तुलना में भारतीय संगठनों के प्रभावित होने की संभावना अधिक है.”उन्होंने कहा, “व्यवसायों के लिए इन जटिल हमलों से उबरना कठिन और अधिक महंगा है, जो उनके परिचालन बजट को काफी प्रभावित कर सकता है.”