क्राइम
नकली आयुर्वेदिक दवाइयां बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 6,373 लोगों को लगाया करीब दो करोड़ का चूना
पुलिस ने देश में नामी कंपनियों के नाम पर चल रहे मिलावटी दवाइयों के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। बता दें कि दिल्ली की स्पेशल सेल (IFSO) ने इस गिरोह के 10 लोगों को धर दबोचा है। इन आरोपियों ने 6,373 लोगों से तीन फर्जी कॉल सेंटर (Fake Call Center) चलाकर और नकली प्रोडक्ट को बेचकर पूरे 1.94 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
एक न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, साइबर सेल के डीसीपी के अनुसार ये मामला उस वक्त सामने आया जब उनायुर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड (UMPL) के मैनेजर ने पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत के अनुसार कुछ लोग UMPL के वर्कर बनकर उनके ग्राहकों यानी Customers को नकली और गलत दवाएं बेच रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि ग्राहकों को इन आरोपियों ने अलग-अलग नंबरों से फोन किया और उन्हें अपनी दवाइयां बेची।
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आरोपियों के पास कैसे पहुंचा मरीजों का डेटा ?
डीसीपी ने बताया,’इन आरोपी के पास पहले से ही रोगियों की एक लिस्ट और उनका डेटा था। वे उन लोगों को दवाइयां खरीदने पर रियायत थे। दवाएं नकली होने के कारण लोगों को समस्याएं होने लगीं और वे लोग कंपनी को दोषी मानने लगे। इसके बाद मार्केटिंग कंपनी (UMPL) ने इस मामले में पुलिस से संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनका डेटा किसी ने चोरी कर लिया है और कोई उनके साथ धोखा हो रहा है। कुछ लोगों ने मिलकर कंपनी के ग्राहकों से अब तक 1.94 करोड़ रुपये की ठगी की है।
23 मार्च को दर्ज हुआ था केस
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 23 मार्च को इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 66C/66D और IPC की धारा 419/420/120B के तहत एक FIR दर्ज हुई थी। इसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी। उन्होंने कई बैंक अकाउंट और कॉल डिटेल्स को खंगाला, दवाओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के बारे में सारी जानकारी निकली। इस दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी दिल्ली और लखनऊ से इस रैकेट को चला रहे हैं। इन आरोपियों की लोकेशन को ट्रेस किया गया और पुलिस की टीमों को वहां छापा मारने के लिए भेजा गया। जिसके बाद तीन फर्जी कॉल सेंटर से कई आरोपियों को दबोचा गया। ये तीनों फर्जी कॉल सेंटर तीन अलग-अलग जगहों पर मिले, एक बाहरी दिल्ली के स्वरूप नगर में जबकि दो लखनऊ के जानकीपुरम और इंदिरा नगर में। पुलिस का यह दावा है कि इस रेड के दौरान 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और नकली दवाओं के डब्बे भी बरामद किए गए हैं।
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गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक राहुल सिंह नाम के व्यक्ति को गिरोह का सरदार बताया जा रहा है। वह इंदिरा नगर में बैठे-बैठे ही अन्य आरोपियों समर सिंह, उग्रसेन और जितेंद्र सिंह के साथ काम करता था। डीसीपी ने बताया कि राहुल ने ही Telecom Company में काम करने वाले एक राजेश नाम के शख्स से ग्राहकों का डेटा हासिल किया था। उसके बाद उसने ये डेटा दिल्ली निवासी विकास पाल और अन्य किसी व्यक्ति को 60 प्रतिशत कमीशन के साथ बेच दिया। इस मामले में राजेश की भी गिरफ्तार हो चुकी है। इस पूरे मामले में पुलिस ने आरोपियों के पास से 7 लैपटॉप, 42 मोबाइल फोन, नकली आयुर्वेदिक दवाएं, UMPL और कुडोस आयुर्वेद का डेटा बरामद किया है।
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