क्राइम
मृत आश्रित की नौकरी दिलाने के लिए घूस मांगने वाले लखनऊ के समीक्षा अधिकारी के खिलाफ FIR, जांच रिपोर्ट से खुलासा
EXCLUSIVE :
- लखनऊ सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी ने जून 2019 में मांगी थी रिश्वत
- मृत अधिकारी की पत्नी को आश्रित की नौकरी व पेंडिंग भुगतान के बदले मांगी थी रिश्वत
- महिला की शिकायत के 24 घंटे के भीतर ही आरोपी समीक्षा अधिकारी हुआ था सस्पेंड
- मुख्य सचिव के आदेश पर शुरू हुई थी जांच, अगस्त 2020 में आई जांच रिपोर्ट
- सतर्कता विभाग की जांच में रिश्वत मांगने की हुई पुष्टि, अब दर्ज की गई एफआईआर
लखनऊ : लखनऊ सचिवालय में मृत अधिकारी की पत्नी से आश्रित नौकरी और ग्रेच्युटी के भुगतान के बदले रिश्वत मांगने वाले समीक्षा अधिकारी के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज भी की गई है। समीक्षा अधिकारी पर रिश्वत मांगने के आरोपों की पुष्टि होने के बाद ये कार्रवाई की गई है। इससे पहले, जुलाई 2019 में जब ये मामला पहली बार सामने आया था तभी तत्काल आरोपी समीक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद विभागीय जांच शुरू की गई थी। करीब 1 साल बाद इस मामले में अब एफआईआर दर्ज की गई है। ये एफआईआर लखनऊ स्थित विजिलेंस विभाग में हुई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार में रिश्वत लेने वाले हर स्तर के अधिकारी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है। मुख्यमंत्री के आदेश के मद्देनजर ही भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को ना सिर्फ सस्पेंड ही किया जा रहा है बल्कि विभागीय जांच के बाद उन पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।
6 दिसंबर 2018 को पति की हुई मौत के बाद पत्नी ने मृत आश्रित कोट से मांगी थी नौकरी
लखनऊ स्थित सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी जितेंद्र कुमार यादव की 6 दिसंबर 2018 को मौत हो गई थी। उनके निधन के बाद जितेंद्र की पत्नी गीता यादव ने मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी देने के साथ ग्रेच्युटी, लीव कैश, जीपीएफ, जीवन बीमा और पारिवारिक पेंशन का लाभ पाने के लिए आवेदन किया था। उस समय गीता यादव को इस आवेदन को स्वीकर करने के लिए काफी परेशान किया गया। जून 2019 में किए गए आवेदन के बदले सचिवालय प्रशासन लेखा अनुभाग में तैनात समीक्षा अधिकारी शिव कुमार भौतिया ने उन्हें नौकरी देने व बकाया भुगतान के लिए मोबाइल फोन पर लगातार धमकाया। इस मामले में गीता के भाई को फोन पर बार-बार धमकाया गया और 50 हजार रुपये की रिश्वत की माग की गई थी। हालांकि, जब कार्यालय में मिले तब 5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग करने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में गीता यादव की तरफ से 5 जुलाई 2019 को यूपी के मुख्य सचिव से लिखित शिकायत की गई थी। जिसमें फोन पर रिश्वत मांगने को लेकर सबूत भी दिए गए थे। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव के आदेश पर शिकायत के अगले दिन ही यानी 6 जुलाई को गीता यादव को तुरंत बकाया भुगतान किया गया था। इसके बाद आरोपी समीक्षा अधिकारी (लेखा) शिव कुमार भौतिया को तत्काल निलंबित कर दिया गया था और जांच के आदेश दिए गए थे।
सतर्कता विभाग की जांच में और ऑडियो से रिश्वत मांगने के मिले पुख्ता सबूत
सतर्कता विभाग की सीक्रेट रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिसंबर 2019 को आरोपी समीक्षा अधिकारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग ने जांच शुरू की थी। इस जांच को 8 महीने में पूरा किया गया। इसके बाद 11 अगस्त को सतर्कता विभाग ने उत्तर प्रदेश शासन को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में पाया गया कि आरोपी निलंबित समीक्षा अधिकारी (लेखा) शिव कुमार भौतिया दोषी है। उसने मृत अधिकारी जितेंद्र कुमार की पत्नी गीता यादव के मृत आश्रित कोटे से नियुक्ति कराने, लंबित भुगतानों को जारी करने के लिए बार-बार आवेदन देने के बाद भी नजरअंदाज किया गया। इसके बाद महिला अपने भाई के साथ कार्यालय में मिलने भी आई तब भी सुनवाई नहीं की गई और रिश्वत की मांग की गई। कॉल डिटेल और ऑडियो की जांच में भी 50 हजार रुपये रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई है। जिसके आधार पर अब शासन के आदेश के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1998 की धारा-7 के तहत शिव कुमार भौतिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ये एफआईआर अक्टूबर 2020 में यूपी सतर्कता विभाग, लखनऊ सेक्टर में दर्ज की गई। इसे विभाग के इंस्पेक्टर जय प्रकाश राय ने दर्ज कराया है।