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Pornography Cyber Crime: FBI ने दिल्ली पुलिस की मदद से पकड़ा ऐसा साइबर गैंग, जिसके कारनामे सुन चौंक जाएंगे आप !

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Pornography Cyber Crime: FBI ने दिल्ली पुलिस की मदद से पकड़ा ऐसा साइबर गैंग, जिसके कारनामे सुन चौंक जाएंगे आप !

देश और दुनिया पर साइबर अपराधियों का जाल फैलता ही जा रहा है। ऐसे में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल (Special Cell) ने फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(FBI-अमेरिका) के साथ एक ज्वाइंट ऑपरेशन  कर अमेरिकियों के साथ ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। ऑपरेशन के दौरान चार संदिग्धों को मौके से गिरफ्तार किया है। इतना ही नहीं इसी सिंडिकेट के दो और सदस्य अमेरिका (America) और कनाडा (Canada) में पकड़े गए हैं। इस तरह इस मामले में करीब 6 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

पोर्नोग्राफी में फंसाने का डर दिखाकर लूटे करोड़ो

बता दें कि इस गैंग को अब तक का सबसे बड़ा वसूली गैंग कहा जा रहा है। अनुमान लगाया गया है कि इस सिंडिकेट ने पीड़ितों को डरा-धमकाकर उनसे करीब 20 मिलियन डॉलर वसूले हैं। इस मामले में FBI ने जांच के दौरान करीब 50 पीड़ितों से बात की। उनमें से दो से दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉल पर बात की।

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स्पेशल कमिश्नर पुलिस एचजीएस धालीवाल (HGS Dhaliwal) के मुताबिक, संदिग्धों ने प्रसिद्ध अमेरिकी वकील उत्तम ढिल्लो (Uttam Dhillon) के रूप में खुद को पेश किया। बता दें कि उत्तम ढिल्लो एक एक्स लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसर (Ex Law Enforcement Officer) रहे हैं। उन्होंने ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) में एक्टिंग एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम किया था। संदिग्धों ने पीड़ितों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ड्रग तस्करी के फर्जी और बेबुनियाद मामलों में गिरफ्तारी की धमकी देकर अपने जाल में फंसाया था।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी और ड्रग तस्करी का मामला

मामले में मुख्य संदिग्ध की पहचान वत्सल मेहता (पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी) के रूप में की गई है। इसमें उसका सहयोगी अहमदाबाद निवासी पार्थ अरमरकर भी शामिल है। एफबीआई के साथ धालीवाल की टीम का यह तीसरा ऑपरेशन था। इनकी टीम ने इससे पहले पश्चिमी दिल्ली (west Delhi) में ऐसे ही एक रैकेट का पर्दाफाश किया था।

जानकारी के अनुसार, मौजूदा रैकेट दिल्ली और युगांडा में ऑपरेट किया जाता है। इस काम में मेहता और अरमरकर के अलावा उनके दो अन्य साथी दीपक अरोड़ा और प्रशांत कुमार अलग-अलग जगहों से योजना का संचालन करते थे। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चकमा देने के लिए संदिग्ध युगांडा और भारत के बीच यात्रा किया करते थे।

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इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा

उत्तम ढिल्लों के रूप में संदिग्धों ने पीड़ितों से संपर्क किया। इसके बाद उन्होंने यह दावा किया कि उन्हें उनके खिलाफ चाइल्ड पोर्नोग्राफी और मादक पदार्थों की तस्करी वाले वीडियो मिले हैं। गूगल के जरिये पीड़ितों ने उत्तम ढिल्लो को सर्च किया। जिसके बाद उन्हें लगा कि ये असली पुलिस वाले होंगे।

पीड़ितों को अपने जाल में फंसाने के लिए आरोपियों ने उनके कंप्यूटर सिस्टम से आपत्तिजनक क्लिप निकाल कर उन्हें झूठे सबूत दिखाए। फिर उन पर यह आरोप लगाया कि वे ग्लोबल ड्रग कार्टेल के लिए काम करते हैं। मामला रफा-दफा करने उनसे एक लाख डॉलर मांगे। जेल जाने के डर से कई पीड़ितों ने उन्हें  कैश, गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी के जरिये रकम दे दी।

इन पीड़ितों में से कुछ लोगों ऐसे भी थे जिन्होंने FBI और  DEA से संपर्क किया था। इसके बाद FBI ने दिल्ली स्पेशल सेल के साथ संपर्क किया और सीबीआई (CBI) के माध्यम से इंटरपोल से कॉर्डिनेट कर गिरोह का पर्दाफाश किया।

 

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