Cyber Crime
गाजियाबाद में बैठकर जापान में लोगों को लगा रहे थे चूना, करोड़ों की कर चुके हैं ठगी, छह गिरफ्तार
साइबर ठग इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे भारत में बैठकर जापान के लोगों को चूना लगा रहे हैं। मामला गाजियाबाद के इंदिरापुरम का है। यहां साइबर सेल ने छह बदमाशों को गिरफ्तार किया है, जो जापान के लोगों और वहां की कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट और एंटी वायरस अपडेट के नाम पर ठगते थे। इनमें से 4 को जापानी भाषा भी बोलने आती है। इनमें एक तो सिर्फ 12वीं पास है। यह गैंग करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है।
पुलिस के अनुसार आरोपियों का नाम आशीष सूरी,अवनीश,आदर्श एडविन जॉर्ज, उमेश नेगी और विक्रम चंद है। ये सभ दिल्ली-एनसीआर के रहने वाले हैं। इस गैंग से जुड़े दो और लोगों को तालाश रही है। ये दोनों इन्हें डेटा मुहैया कराते थे। जानकारी के अनुसार गौरव और रामकुमार नाम के दो शख्स इंदिरापुरम शक्तिखंड-3 में किराए के ऑफिस में कॉल सेंटर चला रहे थे।
ये दोनों जापानी नागरिकों का डेटा उपलब्ध कराते थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक ने बताया कि उन्हें एक स्क्रिप्ट दी जाती थी, उसके अनुसार ही बात करते थे। अविनाश गुप्ता, एडविन जॉर्ज, उमेश नेगी और आदर्श जापानी भाषा बोलने में माहिर हैं। इनमें तीन ने जापानी भाषा की पढ़ाई की है। वहीं आदर्श 12वीं पास है। वे एकदम जापानी लोगों की तरह बात करते हैं। कारण ये सभी उन लोगों से सीधे जुड़कर उनको झांसे में लेकर ठगी करते थे। इन्होंने बताया है कि वे डेटा के अनुसार ही काम किया करते थे।
कैसे करते ठगी
पुलिस के अनुसार आरोपी उपलब्ध डेटा के अनुसार स्काइप एक्स-लाइट ऐप से लोगों को कॉल करते थे। फिर वे उन्हें सिस्टम के सॉफ्टवेयर अपडेट और सिस्टम में आने वाली दिक्कत के बारे में जानकारी देते थे। इसके बाद वे लोगों को उनके मेल पर सिस्टम की डिटेल भेजते थे। इससे लोगों को उनपर विश्वास हो जाता था। फिर वे सिस्टम का रिमोट एक्सेस ले लेते। उसमें कई कमियां बताते थे और ऑनलाइन सुधारने के लिए रुपये की मांग करते थे। बेंक अकाउंट में पैसे न मंगाकर वे गूगल पे या गिफ्ट बाउचर से लिया करते थे।
हवाला कनेक्शन
जानकारी के अनुसार आरोपी पेमेंट के लिए जिस बाउचर का इस्तेमाल करते थे उसमें उन्हें पेमेंट डॉलर में मिलती थी। इसके बाद बाद इसे वे ब्रोकर्स के माध्यम से रुपये में बदलवाते थे। इनके पास से पास से 80 पन्नों का डेटा बरामद हुआ है। पुलिस को अंदेशा है कि गौरव और रामकुमार की गिरफ्तारी के बाद और डेटा मिल सकता है।