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Cyber Kidnapping : आखिर क्या है साइबर किडनैपिंग? जानिए कैसे स्कैमर्स लोगों की कमजोरियों का उठाते हैं फायदा

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Cyber Kidnapping : आखिर क्या है साइबर किडनैपिंग? जानिए कैसे स्कैमर्स लोगों की कमजोरियों का उठाते हैं फायदा

दुनिया भर के लिए साइबर किडनैपिंग एक सिरदर्द बन गया है। हाल ही के महीनों की बात कि जाए तो चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। मॉडर्न उपकरणों से लैस साइबर अपराधी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं।

क्या है साइबर किडनैपिंग?

सेक्सटॉर्शन, निवेश घोटाले, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, अवैध डिजिटल ऋण कॉल, गलत पहचान, पिग बुचड़ धोखाधड़ी और नौकरी घोटाले सहित साइबर अपराध के विभिन्न रूप व्यापक खतरे बन गए हैं। वहीं, अब साइबर किडनैपिंग भी चिंता का कारण बनकर उभर रहा है। डिजिटल लैंडस्केप जैसे-जैसे विकसित होता है, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीतियां भी बढ़ती हैं। जिससे वर्चुअल किडनैपिंग अपहरण में वृद्धि होती है जो ऑनलाइन सुरक्षा में कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। अपराधी अक्सर संदिग्ध लोगों और संगठनों का शोषण करने के लिए फिशिंग, रैंसमवेयर हमले और सोशल इंजीनियरिंग जैसी रणनीति अपनाते हैं।

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साइबर किडनैपिंग को वर्चुअल किडनैपिंग या ई-किडनैपिंग के नाम से भी जाना जाता है, यह किडनैपिंग से अलग है इसमें साइबर अपराधी किडनैपिंग पीड़ितों से पैसे या अलग-अलग माध्यमों से पते, परिवार की डिटेल्स या वर्कप्लेस की जानकारी तक पहुंचते हैं।

जानकारी हासिल करने के बाद अपराधी परिवार के किसी सदस्य के अपहरण का दावा कर पीड़ितों में डर पैदा करते हैं, इसके बाद धमकियां भी देते हैं। कथित पीड़ित की सुरक्षा के बदले में फिरौती की मांग की जाती है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर किडनैपिंग के परिणाम भावनात्मक और आर्थिक रूप से गंभीर हो सकते हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इन घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।

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डर के कारण पीड़ित व्यक्ति को होता है नुकसान

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पीड़ित अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए चिंता भय से पीड़ित हो सकते हैं। वित्तीय नुकसान भी काफी ज्यादा हो सकता है, दरअसल कुछ लोग, अपने परिवार की सुरक्षा के डर से, जबरन वसूली की मांगों के आगे झुक जाते हैं और मांगी गई फिरौती का भुगतान भी कर देते हैं। विशेषज्ञ साइबर किडनैपिंग के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, मजबूत पासवर्ड मैनेजमेंट और रेगुलर सॉफ्टवेयर अपडेट सहित साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के महत्व पर जोर देते हैं।

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