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क्राइम

जामताड़ा के साइबर अपराधियों और पुलिस के बीच तूं डाल-डाल मैं पात-पात का खेल, जानें- कैसे पुलिस को चकमा देते हैं ये ठग

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जामताड़ा के साइबर अपराधियों और पुलिस के बीच तूं डाल-डाल मैं पात-पात का खेल, जानें- कैसे पुलिस को चकमा देते हैं ये ठग

साइबर क्राइम का कैपिटल कहे जाने वाला जामताड़ा में साइबर अपराधियों और पुलिस के बीच तूं डाल-डाल मैं पात-पात का खेल चलता है। रोजाना लोगों को लाखों चूना लगाने वाले यहां ठगों ने मुखबिर तैनात कर रखा है, जो पुलिस पर नजर रखते हैं। जैसे ही उन्हें भनक लगती है कि पुलिस छापेमारी के लिए निकली है, वो फौरन ठगों को इसकी सूचना देकर सतर्क कर देते है। नतीजा पुलिस हाथ मलते रह जाती है।

ये मुखबिर फोन पर ही इन शातिरों को इस बात की जानकारी दे देते हैं कि पुलिस की टीम छापेमारी के लिए निकल रही है। सावधान हो जाओ या अपना ठिकाना बदल लो। ऐसे में छापेमारी को लाव-लस्कर लेकर पहुंची पुलिस टीम को अक्सर खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। इतना ही नहीं, सूत्रों के मानें तो पुलिस के थानों के आसपास भी इनकी मौजूदगी रहती है और पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही शातिर आसानी से सतर्क हो जाते हैं।

कौन निभाता है मुखबिर की भूमिका
साइबर अपराधियों ने पैसे के बल पर सूचना तंत्र इतना मजबूत बना लिया है कि गांव की गलियों से लेकर शहर के कोने-कोने तक इनके मुखबिर मौजूद होते है। अक्सर देखा जाता है कि गांव के बुजुर्ग और गांव के आसपास के छोटे और चलते फिरते दुकानदार इनके झांसे और लोभ में पड़ कर इनकी मुखबिर बन जाते हैं। फिर इन तक पुलिस के आने की सूचना आसानी से पहुंच जाती है। गांव की गलियों, चौक चौराहे, चाय-पान की दुकानों पर ठगों के मुखबिर तैनात रहते हैं। ये पुलिस की गतिविधियों की जानकारी शातिरों तक पहुंचाते हैं।

पुलिस के आने की सूचना पलभर में ही मिल जाती है
गांव की दुकानों और चौराहों पर बैठने वाले कई छोटे और चलते-फिरते फेरी वालों और बुजुर्गों को भी इन साइबर अपराधियों ने मोबाइल तक मुहैया करवा रखा है। इससे पुलिस के आने की सूचना इन्हें पलभर में ही मिल जाती है। इतना ही नहीं इन मुखबिरों को पुलिस की पल-पल की खबर देने के एवज में साइबर अपराध करने वाले शातिर महीने में खर्चा-पानी के नाम पर पैसे देते रहते हैं। ताकि इनका सूचना तंत्र मजबूत बना रहे।

क्या कहना है पुलिस का
साइबर थाना प्रभारी सुरेश प्रसाद के अनुसार पुलिस की टीम लगातार इनके कॉल डिटेल्स और अन्य सूचना के मद्देनजर साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने में जुटी रहती है, लेकिन हर आम-खास पर शक करना मुश्किल है। इसी का फायदा कई बार इन अपराधियों को मिलता है और पुलिस के आने की सूचना इन्हें इनके मुखबिरों से मिल जाती है। आज के समय में हर किसी के पास मोबाइल है। अब ऐसे में कौन सी सूचना किस तक पहुंच रही यह पता करना मुमकिन नहीं होता।

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