क्राइम
जामताड़ा के बाद देवघर बना साइबर ठगों का केंद्र, आठ महीने में पकड़े गए 579 ठग
कुछ महीने पहले एक अज्ञात व्यक्ति ने हिमाचल प्रदेश में कार्यरत एक महिला आइपीएस अधिकारी को फोन कर एटीएम कार्ड बंद होने की बात कहकर चालू कराने के नाम पर बैंक खाते से संबंधित विवरण मांगे। आइपीएस अफसर इस तरह की साइबर फ्रॉड को लेकर जागरूक थी,तो वह झांसे में आने से बच गईं। जानकारी देने से इन्कार करने पर ठगों ने गालियां देते हुए फोन रख दिया। इसके बाद महिला अधिकारी को फोन करने वाले व्यक्ति का डिटेल खंगाला गया, तो उसका लिंक झारखंड के देवघर से जुड़ता दिखा। उन्होंने फिर देवघर पुलिस से संपर्क किया गया। इसके बाद देवघर पुलिस ने जिले के मोहनपुर थाना क्षेत्र के घोरमारा निवासी मुकुल मिर्धा को गिरफ्तार किया।
यह इकलौता मामला नहीं है, जिसमें देश के अन्य हिस्सों में हो रही साइबर ठगी के तार झारखंड के देवघर से जुड़े हों। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। पूरे देश में साइबर ठगी के लिए कुख्यात जामताड़ा के बाद अब देवघर उनका नया केंद्र बन गया है। खास बात यह है कि यहां के ठगों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के साथ भी ठगी की या ठगने की कोशिश की।
आठ महीने में 579 साइबर ठग गिरफ्तार
देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा के अनुसाप साइबर अपराधियों के खिलाफ देवघर पुलिस लगातार अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत पिछले आठ माह के दौरान जिले में साइबर ठगी के 579 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से करीब 28.26 लाख नकद, 27 चार पहिया वाहन, 76 मोटरसाइकिलें, 1027 मोबाइल, 1577 सिम, 467 एटीएम, 94 पासबुक, 77 चेकबुक, 23 लैपटाप, तीन माइक्रो पास मशीन तथा चार राउटर व अन्य सामान बरामद हुए हैं। वहीं इस दौरान जिले में साइबर से जुड़े 82 मामले दर्ज किए गए हैं।
सीएसपी व ठगों के गठजोड़ का हुआ पर्दाफाश
पुलिस ने जिले में सक्रिय साइबर ठगों व कस्टमर सर्विस प्वाइंट (सीएसपी) संचालकों के गठजोड़ को भी तलाशा। इस सिलसिले में आधा दर्जन से अधिक सीएसपी संचालकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान पता चला कि ये सीएसपी संचालक कमीशन लेकर साइबर आरोपितों के पैसे सीएसपी से गलत तरीके से निकासी करते थे। बदले में उन्हें 15 से 20 फीसद तक कमीशन मिलता था। इतना ही नहीं कुछ लोगों के बैंक खातों की जानकारी भी साइबर ठग इन सीएसपी संचालकों से लेते थे।