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Cyber Crime: बीते तीन साल में लोगों से Rs 2537 करोड़ की ठगी, 100 में से सिर्फ 8 की हुई वसूली

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Cyber Crime: बीते तीन साल में लोगों से Rs 2537 करोड़ की ठगी, 100 में से सिर्फ 8 की हुई वसूली

देशभर में साइबर अपराध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। हर रोज साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। जिससे, अब लोग एटीएम(ATM) और मोबाइल बैंकिंग (Mobile Banking) का इस्तेमाल करने से डरने लगे हैं।

आपको बता दें कि, बीते तीन साल में ऐसे मामले तीन गुना बढ़े हैं तो वहीं इनमें फंसी रकम करीब पांच गुना तक बढ़ गई है। साइबर क्राइम (Cyber Crime) की जांच करने वाली एक संसदीय समिति ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को बताया है कि साल 2021 में साइबर फ्रॉड के करीब 7.05 लाख केस सामने आए थे, जबकि 2023 में यानी अब तक कुल 19.94 लाख केस सामने आ चुके हैं। इन तीन साल में ठगी में फंसा पैसा भी 542.7 करोड़ रुपए से बढ़कर 2537.35 करोड़ तक पहुंच गया है।

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बैंकिंग ट्रांजेक्शन से ठगी

पूरे देश में प्रतिदिन करीब 60 हजार बैंकिंग ट्रांजेक्शन (Banking Transaction) में से एक में लगातार धोखाधड़ी हो रही है, जिससे लोगों की रकम उनके पास आने की बजाय फ्रॉड के पास जा रही है। ऐसे में साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए निर्मित सिस्टम ठगी के 100 रुपए में से केवल 8 रुपए की ठगी को ही पकड़ पा रहा है।

गृह और आईटी मंत्रालय (IT Ministry) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक,देश में 81% साइबर क्राइम के मामले सिर्फ 10 जिलों से सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद सिर्फ 1.7% मामलों ही दर्ज पुलिस में दर्ज हुए है। आरबीआई  (RBI) से समिति ने यह सिफारिश की है कि पैसा निकालने और जमा करने के लिए पूरे सिस्टम को ओटीपी आधारित (OTP) कर दिया जाए, ताकि अगर किसी भी खाताधारक के खाते से पैसे निकलते हैं तो उसे इसकी सूचना तुरंत मिल सके।

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दो साल में दोगुने हुए एटीएम से ठगी के केस

राजस्व मंत्रालय के मुताबिक, सबसे ज्यादा फ्रॉड बैंकिंग में एटीएम से किए जा रहे हैं। साल 2020 में एटीएम से हुए फ्रॉड के 10.80 केस सामने आए थे। साल 2022 में 17.60 लाख केस दर्ज हुए थे। इन सालों में ठगी मे फंसी रकम भी 1119 करोड़ से अधिक बढ़कर 2113 करोड़ रुपए तक पहुंच गई हैं।

आरबीआई से समिति ने बचाव के लिए की चार सिफारिशें

* एक साइबर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाई जाए, जो डिजिटल फाइनेंशियल सिस्टम को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए नियम बना सके।

* डिजिटल कर्ज (Digital Loan) के लिए एक लैंडिंग एजेंसी (Landing Agency) की व्हाइट लिस्ट जारी की जाए, ताकि सिर्फ एजेंसियों द्वारा ही लॉन लिया जा सके।

* इतना ही नहीं, कर्ज देने वाली उन एजेंसियों की निगेटिव लिस्ट भी जारी की जाए जो पहले से ही दागदार हैं।

* लास्ट और आखिरी सिफारिश में ठगे गए ग्राहकों को Automatic मुआवजा देने की व्यवस्था की जाए।

 

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