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क्राइम

साइबर ठग ने दोस्त बनकर दरोगा को लगाया चूना, गाजियाबाद में सामने आया हैरान करने वाला मामला

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साइबर ठग ने दोस्त बनकर दरोगा को लगाया चूना, गाजियाबाद में सामने आया हैरान करने वाला मामला

साइबर अपराधी लगातार लोगों को ठगी के लिए अपना शिकार बना रहे हैं। इसके साथ, अब उन्होंने आम आदमी के अलावा पुलिस वालों को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से उभरकर सामने आया है, जहां साइबर अपराधी ने एक पुलिसकर्मी को दोस्त बनकर चूना लगा दिया।

पुलिसकर्मी ने अपराधी के मदद मांगने पर उसे पैसे दे दिए थे, लेकिन जब दूसरी बार पैसे मांगे तो पुलिसकर्मी ने सोचा कि एक बार फोन पर जानकारी लेनी चाहिए। इसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।

यह मामला गाजियाबाद के विजयनगर का बताया जा रहा है। जहां साइबर ठग ने थाने में तैनात एक पुलिसकर्मी से उसका दोस्त बनकर पैसे ठग लिए। दरोगा को खुद पर भरोसा दिलाने के लिए अपराधी ने अपने वॉट्सऐप डीपी (WhatsApp Display Picture) पर उसके दोस्त की फोटो लगा रखी थी, जिससे दरोगा को उस पर कोई शक नहीं हुआ।

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इस बात का खुलासा तब हुआ, जब दरोगा ने अपने दोस्त को कॉल किया उससे हालचाल पूछा। फिलहाल पुलिस ने केस दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

दरअसल साइबर ठगों ने वॉट्सऐप पर दारोगा से एक इंस्पेक्टर की डीपी लगाकर पूरे 5 हजार रुपए ठग लिए। ठगी का शिकार हुए दारोगा शैलेंद्र कुमार गौड़ का इस पर कहना है कि उनके पास कुछ दिन पहले एक अनजान नंबर से वाट्सएप पर किसी ने पैसे मांगे थे। दोस्त की फोटो देखकर शैलेंद्र ने पांच हजार रुपए उसे भेज दिए। उसके बाद जब दूसरी बार पैसों के लिए मैसेज आया तो दारोगा ने इंस्पेक्टर के असली नंबर पर कॉल किया। तब जाकर उसे पूरे सच का पता चला।

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दरोगा ने दी अहम जानकारी

दरोगा ने इस पूरी घटना की जानकारी देते हुए कहा कि उनके पास वॉट्सऐप पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया था। नंबर पर बुलंदशहर पुलिस आफिस (Bulandshahr Police Office) में तैनात इंस्पेक्टर सुशील कुमार गौतम की DP लगी हुई थी। मैसेज में दरोगा से 35 हजार रुपए की अपराधियों ने मदद मांगी थी। शैलेंद्र कुमार सुशील कुमार गौतम को काफी अच्छी से जानते थे। इसलिए उन्होंने चार-पांच हजार रुपए अपराधी को भेज दिए।

दूसरी बार अपराधी ने दोस्त के भाई का Accident होने की झूठी बात कहकर पांच हजार रुपए फिर मांगे। शैलेंद्र ने हालचाल पूछने के लिए अपने दोस्त के असली नंबर पर कॉल किया और उससे बात की। इसके बाद दरोगा को ठगी के बारे में पता चला।

 

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