Digital Rape को ऑनलाइन सेक्शुअल हैरेसमेंट समझने की गलती न करें, जानें - अपराध के बारे में सबकुछ

Digital Rape को ऑनलाइन सेक्शुअल हैरेसमेंट समझने की गलती न करें, जानें – अपराध के बारे में सबकुछ

Prateek Sharma
4 Min Read

‘डिजिटल रेप’ ने पूरे देश में तहलका मचा दिया है। शब्द सुनते ही आपको लगता होगा कि यह साइबर या इंटरनेट वर्ल्ड से जुड़ा होगा। हालांकि, डिजिटल रेप का कंप्यूटर, फोन, लैपटॉप या मेटा के  प्लेटफॉर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यौन उत्पीड़न इंटरनेट के माध्यम से किया गया हो। यह शब्द अंग्रेजी के ‘डिजिट’ शब्द से बना है। हिंदी में इसका मतलब संख्या होता है।

अंग्रेजी नें डिजिट शब्द का अर्थ उंगली या पैर की अंगुली भी कहा जाता है। अगर किसी महिला के प्राइवेट पार्ट्स को बगैर उसके  सहमति के अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ जाता है तो उसे डिजिटल रेप कहा जाता है। यानी कोई शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके महिला का यौन उत्पीड़न करता है। बलात्कार पीड़ितों कोदो श्रेणियों में बांटा गया है: माइनर और मेजर्स।

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पोक्सो अधिनियम (POCSO) की धारा 375 के अनुसार अपराध करने वाले दो प्रकार के अपराधी हो सकते हैं – माइनर डिजिटल रेपिस्ट और मेजर डिजिटल रेपिस्ट। इस तरह का अपराध करने वालों पर पोक्सो अधिनियम की धारा 5 और 6 के तहत 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।

पोक्सो अधिनियम की धारा 3 पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट माना जाता है। डिजिटल रेप को लेकर कानून 2012 के बाद लागू हुए। तब तक, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में डिजिटल रेप का उल्लेख नहीं  था। पहले, यह रेप के बजाय छेड़छाड़ की श्रेणी में आता था।

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डिजिटल रेप: जरूरी बातें

डिजिटल रेप के मामले नोएडा में काफी सामने आ रहे हैं। ताजा मामला नोएडा के थाना 39 क्षेत्र का है। एक महिला ने अपनी बेटी के साथ डिजिटल रेप होने का केस दर्ज कराया है। पुलिस के अनुसार बच्ची नोएडा सेक्टर 37 के एक निजी स्कूल में पढ़ती है और वह 4 साल की है। मां की ओर शिकायत में कहा गया है कि स्कूल के बाथरूम में एक युवक ने उसकी बेटी के साथ डिजिटल रेप जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। महिला के अनुसार घटना 7 सितंबर की है।

इससे पहले एक 65 वर्षीय व्यक्ति पर तीन साल की बच्ची का डिजिटल रेप करने के मामले सजा हुई थी। घटना नोएडा पश्चिम के सलारपुर कस्बे में अकबर अली नाम के शख्स ने तीन साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया। शख्स ने छोटे बच्चे को टॉफी का लालच दिया और उसके घर पर अकेले रहने का फायदा उठाया।

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व्यक्ति को 30 अगस्त, 2022 को सजा सुनाई गई। उसे पोक्सो अधिनियम की धारा 5 (एम) / 6 के तहत अपराधों के आरोप में दोषी ठहराया गया और उसे उम्र कैद की सजा हुई। प्रारंभ में, अपराधी को हिरासत में लिया गया था और उसे बलात्कार के अपराध से जुड़े भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के अनुसार न तो दंडित किया गया और न ही कोई आरोप लगाया गया था।

डिजिटल रेप : सजा

पोक्सो अधिनियम के अनुसार अपराधी को पांच साल की जेल की सजा होती है और यदि यह पोक्सो अधिनियम की धारा 376 के तहत आता है, तो जेल की अवधि को 10 वर्ष की अवधि से लेकर आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

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