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क्राइम

भारत की सरकारी वेबसाइट्स और सर्वर पर अटैक कर रहा बांग्लादेशी हैकर्स का ग्रुप, इन राज्यों की साइट्स हो चुकी हैं प्रभावित

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भारत की सरकारी वेबसाइट्स और सर्वर पर अटैक कर रहा बांग्लादेशी हैकर्स का ग्रुप, इन राज्यों की साइट्स हो चुकी हैं प्रभावित

जहां एक तरफ चीन भारत पर साइबर हमले कर कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। उसी में बांग्लादेश का नाम भी जुड़ गया है। इसकी वजह पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेशी साइबर हैकर्स के एक ग्रुप द्वारा भारत की सरकारी वेबसाइट्स पर साइबर अटैक करना है। इसकी खुलासा साइबर सिक्योरिटी रिसर्च में हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK के अनुसार, बांग्लादेशी मिस्टीरियस टीम नाम का यह ग्रुप भारत के कई राज्य सरकारों के डोमेन, उप डोमेन और वेब सर्वर पर हमलों के लिए DDoS (डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस) का इस्तेमाल कर रहा है। इतना ही नहीं हैकर्स मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, गुजराज, तमिलनाडु और पंजाब राज्य की सरकारों की वेबसाइट्स पर हमले कर चुके हैं।

इसका खुलासा हैकर्स द्वारा ही एक पोस्ट करने पर हुआ। जिसमें पता चला कि आरोपियों ने सरकारी वेबसाइट्स HTTP और DDoS पर हमले किये हैं। आरोपियों ने कुछ पोस्ट सोशल मीडिया फेसबुक, टेलीग्राम और व्हॉट्सऐप पर भी किये हैं।

कॉलेज स्टूडेंट्स का ग्रुप से संबंधित हैं बांग्लादेशी हैकर्स

साइबर सुरक्षा फर्म की मानें तो लगातार भारतीय सरकारी साइट्स को निशाना बनाने वाले गिरोह के सदस्य बांग्लादेश के चटगांव क्षेत्र से हैं। वहीं आरोपी अभी कॉलेज स्टूडेंट और स्नातक हैं। इस हैकर्स ग्रुप की Hacktivism प्रमुख प्रेरणा प्रतीत है। यह ग्रुप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, टेलीग्राम और ट्विटर के माध्यम से संचालित और संचार करता है”।

क्लाउडसेक के साइबर थ्रेट रिसर्चर अभिनव पांडे बताते हैं कि “कई समूहों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण और प्रोफाइलिंग के माध्यम से, यह सही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ऐसे हैक्टिविस्ट समूह साइबर अटैक को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे की मदद करते हैं। इसमें डीडीओएस प्राथमिक हैं, जिसके बाद हमलों को टाला जाता है।”

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पांडे ने बताया कि “इस तरह के हैक्टिविस्ट समूहों द्वारा इस तरह के प्रभावशाली डीडीओएस हमलों के लिए ‘रेवेन स्टॉर्म’ सबसे प्रचलित उपकरण रहा है। “

मिस्टीरियस टीम बांग्लादेश के सह-संस्थापकों में से एक तस्कीन अहमद के रूप में मानी जाती है।

इस ग्रुप में मुख्य रूप से 20 से 25 वर्ष साल स्टूडेंट हैं। जिन्होंने हाल ही में अपनी स्नातक पूरी की है। यह हैकर संगठनों द्वारा चलाये जाते थे। जैसे कि एलीट फोर्स 71, बांग्लादेश साइबर एनोनिमस टीम और टास्किन वाउ, आदि शामिल हैं।

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यह ग्रुप मुख्य रूप से हैक्टिविज्म से प्रेरित हैं और इंडोनेशिया स्थित हैक्टिविस्ट समूह, “गरुड़ के हैकटिविस्ट” के साथ अच्छे संबंध हैं।

टीम ने कहा कि “उनके पास Youtube, Facebook और Linkedin, आदि जैसे सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर सामग्री की बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग में शामिल होने का भी इतिहास है।”

DDoS हमले वेबसाइटों को अधिक असुरक्षित बना सकते हैं क्योंकि हमले के कारण कुछ सुरक्षा सुविधाएँ ऑफ़लाइन हो सकती हैं।

क्षतिग्रस्त अवसंरचना वेबसाइट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के पतन का कारण बन सकती है।

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