क्राइम
Covid-19 Software से हो रहा था अवैध Railway Reservation बुकिंग का धंधा, RPF ने बड़े नेटवर्क का किया पर्दाफाश
देश में Indian Railway से रोजाना लाखों यात्री सफर करते हैं और इसके लिए लाखों की संख्या में रोज Ticket Reservation भी कराए जाते हैं। अभी भी देश में सभी लोगों के Ticket Confirm नहीं होते हैं। हजारों की संख्या में लोगों को Waiting Ticket से ही संतोष करना पड़ता है। इस कारण देश में Ticket Reservation की मांग और आपूर्ति को लेकर लगातार अंतर बना रहता है और इसका फायदा टिकट रिजर्वेशन के दलाल उठाते हैं जो अवैध Software का इस्तेमाल कर रिजर्वेशन को Confirm कराते हैं और अवैध कमाई करते हैं।
Railway Protection Force यानी आरपीएफ (RPF) ने ऐसे ही एक देशव्यापी नेटवर्क का खुलासा करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो Covid -19, Black Tiger जैसे अवैध Software से रिजर्वेशन कंफर्म कराते थे।
ऐसे समझिए पूरे Network को
Cyber Criminals रेल रिजर्वेशन प्रणाली में Fake Software के माध्यम से टिकट की Booking करते थे और इनका Network गुजरात मुंबई से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था।
गिरफ्तार Cyber Criminals कोविड-19, कोविड- एक्स, ब्लैक टाइगर जैसे अवैध Software का इस्तेमाल कर रेलवे टिकट बनवाते थे और Confirm करते थे। इनके पास से लगभग 45 लाख रुपए के टिकटों को जप्त किया गया है और इन लोगों ने पूछताछ में बताया कि अब तक यह साइबर जालसाज 28 करोड़ से अधिक रुपए के टिकट बेच चुके हैं।
RPF की टीम ने दरअसल 8 मई को राजकोट में मन्नान बघेला नामक एक आरोपी को अवैध Software कोविड-19 का संचालन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और इसके पूछताछ के आधार पर 17 जुलाई को मुंबई से कन्हैया गिरी को गिरफ्तार किया गया था। अभी इन दोनों से पूछताछ के बाद RPF की टीम ने अभिषेक शर्मा वीरेंद्र गुप्ता अभिषेक तिवारी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार मन्नान बघेला Travel Agent का काम करता था और उसी के इशारे पर Software का इस्तेमाल इस Network द्वारा किया जा रहा था।
अवैध Software का Admin था अभिषेक
रेलवे टिकट रिजर्वेशन के लिए जिन अवैध Software का इस्तेमाल इस गिरोह द्वारा किया जा रहा था उन सभी Software का Admin अभिषेक शर्मा था।
यह आरोपी IRCTC के Virtual फर्जी नंबर और Fake User ID प्रदान करने के साथ-साथ Social Media जैसे टेलीग्राम व्हाट्सएप आदि का उपयोग कर इन इन अवैध Software को Develop किया था और आरोपियों के पास नकली आईपी ऐड्रेस बनाने वाले सॉफ्टवेयर थे जिनका इस्तेमाल ग्राहकों के Ticket प्राप्त करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध को दूर करने के लिए किया जाता था।
यह आरोपी डिस्पोजेबल Mobile Number और ई-मेल भी रखते थे जिनका इस्तेमाल IRCTC की फर्जी यूजर आईडी बनाने के लिए OTP सत्यापन में किया जाता था।
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