क्राइम
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर ऐसे खड़ी की 37 फर्जी फर्म, 215 करोड़ रुपये का GST फ्रॉड करने वाला आरोपी चढ़ा UP Cyber Crime के हत्थे
साइबर क्राइम की मदद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Online Registration) कर फर्जी पत्ते पर 37 फर्में खड़ी कर जीएसटी विभाग (GST Department) को 215 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले एक शातिर को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
आरोपी ने एक या दो नहीं बल्कि 37 फर्जी फर्म शुरू की। यहां पर आरोपियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट आईटीसी का फायदा उठाकर विभाग को 215 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। इस फर्जीवाड़े में शामिल एक शातिर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं आरोपी के अन्य साथियों का पता लगाने में जुटी है।
दरअसल, एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के अनुसार, पिछले काफी समय से फर्जी बिजनेस फर्म (Fake Company) बनाकर जीएसटी चोरी (GST) करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की सूचना मिल रही थी।
इसको लेकर आज से दो साल पूर्व लखनऊ स्थित अमीनाबाद और 2020 में थाना पीजीआई में केस दर्ज हुआ था। जिसमें फर्जी पत्तों पर रजिस्ट्रेशन कर जीएसटी चोरी की बात सामने आई। इसकी जांच साइबर क्राइम (Cyber Crime) थाना इंचार्ज मो मुस्लिम खान को सौंपी गई।
जांच शुरू होते ही सामने आया कि जीएसटी चोरी करने वाला यह गिरोह लखनऊ से लेकर दिल्ली और नोएडा में सक्रिय है। इसी के बाद साइबर क्राइम पुलिस ने उन्नाव के फतेपुर चौरासी स्थित पवारनखेड़ा निवासी संजय सिंह यादव को हिरासत में लिया। इसी के बाद खुलासा हुआ कि उसने फर्जी पत्ते पर एक या दो नहीं बल्कि 37 फर्में बना ली। इतना ही नहीं उसने इसी से कई संपत्तियां खड़ी कर ली। इतना ही नहीं संजय का दिल्ली से लेकर लखनऊ में घर है। आरोपी के पास से पुलिस को जीएसटी में दर्ज मोबाइल नंबर भी प्राप्त हुआ।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर तैयार की फर्जी फर्में, ऐसे किया करोड़ों का लेनदेन
साइबर क्राइम इंस्पेकटर खान ने बताया कि जीएसटी चोरी रोकने के लिए सरकार ने ई वे बिल अनिवार्य कर दिया है। जिससे हर खरीद की सूचना विभाग को मिल जाये और इसे आसानी से ट्रैक किया जा सके। लेकिन इन शातिर अपराधियों ने माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए ऐसी प्लानिंग की।
जिसे ई-वे बिल भी प्राप्त कर लिया जाये और नाम भी सामने न आ पाये। इसी के लिए आरोपियों ने एक के बाद एक 37 फर्जी पत्तों पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर फर्जी फर्म तैयार कर ली। इसके आरोपियों ने एक ही व्यक्ति का मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया। साथ ही फर्जी कंपनी (Fake Company Registration) बनाकर उसका फर्जी तरीके से क्रय विक्रेय दिखकर करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी को अंजाम दिया।
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भौतिक सत्यापन में संजय की 37 फर्में मिली फर्जी, विभाग को लगाया 215 करोड़ का चूना
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के अनुसार, साइबर टीम ने जब जांच की तो पता चला कि संजय के नाम से चल रही सभी 37 फर्मों के पत्ते फर्जी हैं। आरोपी ने फर्जीवाड़ा कर ये फर्में तैयार की। साथ ही सभी फर्जी तरीके खाते खुलवाये। इन सभी खातों में आरोपी ने एक ही नंबर का इस्तेमाल किया। जिसके बाद फर्जी तरीके से खुले 37 खातों में आरोपी ने करीब 215 करोड़ रुपये का लेन देन किया। पुलिस ने आरोपी की कुंडली खंगाली तो पता चला कि संजय ने अपनी पत्नी के नाम पर भी इमपोर्टी से नाम की एक कंपनी बना रखी है। इसी के नाम पर दिल्ली में स्टोरी, फ्लैट और लखनऊ में मकान है।
1700 करोड़ की GST चोरी में भी आया था संजय का नाम
साइबर क्राइम एसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि गिरफ्त में आये आरोपी संजय सिंह यादव का नाम कुछ दिन पहले ही 1700 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के मामले में भी सामने आया था। इसका खुलासा मेरठ जीएसटी विभाग ने 650 फर्जी फर्मों मिलने पर किया। इस मामले में संजय यादव के अलावा उसके साथी चार्टेड अकाउंटेंट प्रदीप कुमार का नाम भी सामने आया है। प्रदीप दिल्ली का रहने वाला है और उसके कई बड़े कारोबारियों से संबंध हैं।
एसपी साइबर क्राइम ने बताया कि जीएसटी विभाग से मामले की जांच में मदद ली जाएगी। इस फर्जीवाड़े का खुलासा साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो मुस्लिम खां, सब इंस्पेक्टर गुलाम हुसैन, आरक्षी संतोष कुमार, धनिश यादव, सौरभ गंगवार, प्रशांत शुक्ला, संजय कसौधन ने बड़ी भूमिका निभाई।
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