क्राइम
क्या टैक्स लगाने से वैध हो जाएंगी Crypto Currency? क्यों लिया गया यह फैसला, जानें- सीबीडीटी ने क्या कहा

वर्चुअल डिजिटल एसेट या क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स (Tax on Crypto Currency) लगाने से आयकर विभाग (Income Tax Department) को पता चलेगा कि देश में कौन से लोग इसमें निवेश कर रहे हैं और इसकी ट्रेडिंग (Trading) किस स्तर तक और कहां-कहां हो रही है। हालांकि क्रिप्टो (Crypto) या डिजिटल एसेट (Digital Asset) पर टैक्स ((Tax) लगाने का अर्थ यह कतई नहीं है कि ऐसी संपत्ति वैध हो जाएगी। यह बात केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBT) के चेयरमैन जेबी मोहपात्रा ने कही। दरअसल, बजट में टैक्स का एलान होने के बाद ऐसी बातें उठने लगी हैं कि यह क्रिप्टो या डीवीए को वैध करने का सरकार का यह पहला कदम हो सकता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी कर अधिकारी के लिए यह सबसे अच्छा समय है कि वह इस क्षेत्र में घुसे और इसके बारे में जानकारी हासिल करें। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी यह बयान आया था कि वे क्रिप्टो से जुड़े लोगों और संस्थाओं से बात कर रही हैं ताकि आने वाले समय में एक राष्ट्रीय नीति बनाई जा सके। वित्त मंत्री ने बजट में माना है कि देश में वर्चुअल डिजिटल एसेट के लेनदेन में वृद्धि हुई है और इसे देखते हुए 30 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा। एक प्रतिशत का टीडीएस एक्सचेंज के जरिये अलग से काटा जाएगा।
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सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा,’ विभाग किसी भी लेनदेन की वैधता पर फैसला नहीं लेता है। आयकर विभाग या आयकर अधिनियम केवल यह देखता है कि आपने जो लेनदेन किया है या जिस लेनदेन में शामिल हुए हैं, उस पर कमाई होती है या नहीं। टैक्स विभाग किसी भी आमदनी की वैधता को नहीं देखता बल्कि उसका काम आय पर कर वसूलना है। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी पर आपने कर का भुगतान कर दिया है तो वह वैध हो जाएगी।’ उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बन रही है। आयकर विभाग डिजिटल या वर्चुअल एसेट के क्षेत्र में ऐसे समय प्रवेश कर रहा है जब इसके लिए कोई नीति बन रही है। इसलिए आयकर विभाग के लिए डिजिटल मार्केट में उतरने का यह सही समय है।
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सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा, ‘कोई भी चीज जब डिजिटल ट्रेड में लाभ या सरप्लस में जाती है तो उसे यह भी बताना होता है कि जो पैसा निवेश किया गया है वह कहां से आया है। अगर निवेश सही है और वैध है तो सरप्लस पर टैक्स लगेगा। टैक्स लगने से हमें यह भी पता चलता है कि निवेश अवैध या फर्जी तो नहीं है। अगर कोई व्यक्ति अघोषित संपत्ति रखता है या किसी और की बेनामी संपत्ति अपने नाम रखता है तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। इसलिए हम केवल सरप्लस पर नहीं बल्कि किसी व्यक्ति के जरिये किए गए निवेश के तरीके पर भी गौर कर रहे हैं।’
टीडीएस के जरिये हर लेनदेन पर रहेगी नजर
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसीपर एक प्रतिशत टीडीएस लगाने से मार्केट में उसकी ट्रेडिंग और वैल्यू के बारे में पता चलेगा। टीडीएस के जरिये हर लेनदेन पर नजर रहेगी कि कौन और कहां निवेश कर रहा है। बजट में क्रिप्टोकरेंसी से एक साल में 10 हजार रुपये से अधिक के भुगतान पर एक प्रतिशत टीडीएस लगाने का नियम लाया गया है। अगर कोई व्यक्ति क्रिप्टो को गिफ्ट के तौर पर लेता है तो उसे टैक्स भरना होगा। आयकर अधिनियम के तहत एक साल में अधिकतम 50 हजार रुपये तक टीडीएस काटा जा सकता है।
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कितने भारतीयों ने किया है निवेश उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहा जाता है कि भारत में 10 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है। हम जानना चाहते हैं कि यह संख्या 10 करोड़ है या एक करोड़। यह संख्या वास्तविक है या बाजार बनाने के लिए सिर्फ शोर मचाया जा रहा है। हम बाजार में उतरकर समझना चाहते हैं कि यह कैसे काम करता है।’ देश में क्रिप्टो अर्थव्यवस्था के मौजूदा अनुमानों के बारे में पूछे जाने पर सीबीडीटी ने कहा कि इससे जुड़ा कोई डाटा नहीं है और अनुमान लगाकर किसी तरह का संशय पैदा नहीं करना चाहता हूं। हालांकि इस संबंध में चलाए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ डाटा मिला है, लेकिन उन्हें बताना ठीक नहीं होगा। हालांकि कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि देश में लगभग 40 क्रिप्टो एक्सचेंज हैं और इस अनियमित व्यापार का वार्षिक कारोबार 30 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष है।
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