क्राइम
सावधान! डॉक्टर से मेजर जनरल तक फंसे, IAS-IPS भी नहीं बचे; ये 5 केस बता रहे Digital Arrest देश के लिए कितना बड़ा खतरा
ठगी और इंसान का संबंध मानव सभ्यता की शुरुआत से ही है। हालांकि, डिजिटल युग में ठगी की संख्या में इजाफा हो गया है। इसके तरीके रोज बदलते हैं। नए जमाने के स्कैमर्स सोशल मीडिया से लोगों की जानकारी निकालते हैं, डराते-धमकाते हैं और मेहनत की कमाई चपत कर लेते हैं।
आजकल सबसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ ट्रेंड में है, जहां लोगों को तबतक वीडियो कॉल पर रहने के लिए कहा जाता है, जब तक कि वे अपना सारा पैसा ट्रांसफर नहीं कर देते। हैरानी की बात यह है कि कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज है ही नहीं। इसके बाद भी डॉक्टर से लेकर सेना के रिटायर जनरल तक ठगी के शिकार हो रहे हैं। और तो और आईएएस-आईपीएस तक को निशाना बनाया जा रहा है। आज हम हाल ही में हुए डिजिटल अरेस्ट के 5 केस के बारे में जानेंगे।
लोहिया अस्पताल के महिला डॉक्टर से 90 हजार की ठगी
पोर्ट ब्लेयर की निवासी और लखनऊ के डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाली डॉक्टर रूबी थॉमस एक बड़े साइबर स्कैम का शिकार हो गईं। जालसाजों ने उन्हें पांच घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा। इसकी शुरुआत अरेस्ट वारंट और एक पुलिस अधिकारी का आईडी कार्ड व्हाट्सएप के माध्यम से उनके पास भेजने के साथ हुई। डॉक्टर को आत्महत्या करने तक का ख्याल आया | जालसाजों ने डॉ. थॉमस को वीडियो कॉल किया। उन्होंने पूछा कि क्या कमरे में कोई और मौजूद है। कॉल पर रूबी ने मुंबई पुलिस का आधिकारिक मोनोग्राम देखा और एक आवाज सुनी। उन पर नरेश गोयल गिरोह में शामिल होने का आरोप लगाया गया। रुपये के विवाद में गोलीबारी लगने की बात कही गई। जालसाजों ने फिजिकल वेरिफिकेशन की मांग की। इससे डॉक्टर डर गईं। उन्हें आत्महत्या करने तक का ख्याल आया। स्कैमर्स ने उनसे 90,000 रुपये ऐंठने के बाद अचानक कॉल समाप्त कर दी। फर्जी आईडी और गिरफ्तारी वारंट पर भरोसा कर बैठीं, डॉ. थॉमस ने बताया कि व्हाट्सएप पर भेजे गए आईडी कार्ड पर एक साइबर इंस्पेक्टर प्रदीप सावंत का नाम था और उस पर मुंबई पुलिस का मोनोग्राम था। आईडी को असली मानकर वह लगातार चिंता में थीं।
ALSO READ: ‘Cyber Safe Uttar Pradesh’ से जुड़ें: 17 अक्टूबर, 2024 को लखनऊ में FCRF का कार्यक्रम अटेंड करें
जालसाजों ने सीबीआई के आधिकारिक लेटरहेड पर गिरफ्तारी वारंट भेजकर उन्हें और डरा दिया। वारंट में उन पर नरेश गोयल गिरोह से जुड़े होने का आरोप लगाया गया था। गिरोह से जुड़े 247 फर्जी बैंक खातों की जानकारी सामने आने की बात कही गई। दावा किया गया कि स्कैम में उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया था और। उन्हें भेजे गए दस्तावेजों में भी एक आधार नंबर था। सहयोग न करने पर फांसी की धमकी, डॉ. रूबी को जारी गिरफ्तारी वारंट में सख्त दिशा-निर्देश थे। इसमें उन्हें देश छोड़ने से मना किया गया था और सहयोग न करने पर फांसी पर लटकाने की धमकी दी गई थी। जालसाजों ने उन पर मुंबई जाने का आरोप लगाया, जहां कथित तौर पर एक गोलीबारी की घटना के दौरान नरेश गोयल के साथ उनकी बहस हुई थी, जिसमें उन्हें गोली लग गई थी। उनके इन्कार करने पर कहा गया कि उनके पास वीडियो फुटेज और कॉल रिकॉर्ड हैं। जब डॉ. रूबी वीडियो कॉल के माध्यम से की फिजिकल वेरिफिकेशन की मांग को अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने इनपर्सन वेरिफिकेश के लिए एक महिला कांस्टेबल को भेजने की धमकी दी। पांच घंटे तक उन्हें इस डिजिटल अरेस्ट करके रखने के बाद स्कैमर्स ने उन्हें 90,000 रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया, जिसके बाद उन्होंने कॉल काट दी। प्रमुख पुलिस अधिकारियों की फर्जी आईडी का इस्तेमाल किया गया | आगे की जांच में पता चला कि स्कैमर्स ने मुंबई में वर्तमान में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) प्रदीप सावंत की पहचान का इस्तेमाल करके फर्जी आईडी कार्ड बनाया था। इस फर्जी कार्ड पर सावंत को साइबर क्राइम यूनिट में इंस्पेक्टर बताया गया था। फर्जी गिरफ्तारी वारंट में लखनऊ कमिश्नरेट में वर्तमान में कार्यरत आईपीएस अधिकारी आकाश कुल्हरी का नाम भी शामिल था।
डॉ. सात्विका राठौर को भी गैंग ने ठगा
डॉ. सात्विका राठौर को भी साइबर अपराधियों के इसी गैंग ने निशाना बनाया। स्कैंमर्स ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी आइडेंटिटी का इस्तेमाल करके केनरा बैंक में फर्जी खाते खोले और उनसे 50,000 रुपये की ठगी की।
डॉ. रुचिका टंडन – पीजीआई, लखनऊ में न्यूरोलॉजिस्ट
डॉ. रुचिका टंडन, लखनऊ के पीजीआई की न्यूरोलॉजिस्ट हैं। उन्हें स्कैमर्स ने डिजिटल अरेस्ट किया। उन्होंने दावा किया कि उनके बैंक खाते अवैध मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं। दो दिनों में उनके बैंक खातों से 2.81 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। जालसाजों ने उन्हें बताया कि उनका फोन नंबर और आधार कार्ड कुछ खातों से लिंक किया गया है। इनसे जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। इसके बाद उन्हें डिजिटल या फिजिकल वेरिफिकेशन कराने को कहा गया। अत्यधिक दबाव और धमकियों के कारण उनका वित्तीय शोषण हुआ।
रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर – नोएडा
नोएडा से रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर को 10 से 14 अगस्त के बीच डिजिटली अरेस्ट किया गया। डीएचएफएल कूरियर सेवा के अधिकारी बनकर स्कैमर्स ने उन्हें बताया कि उनके नाम पर मुंबई से ताइवान के लिए एक संदिग्ध पार्सल बुक किया गया है। पार्सल में पांच पासपोर्ट,चार बैंक क्रेडिट कार्ड, कुछ कपड़े, 200 ग्राम एमडीएमए (ड्रग्स) और एक लैपटॉप होने की बात कही गई। कॉल किसी और को ट्रांसफर करके ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए कहा गया। जालसाजों ने उन्हें डिजिटल या फिजिकल वेरिफिकेशन कराने को कहा। इस बहाने से वे उनसे 2 करोड़ रुपये ऐंठने में सफल रहे।
प्रोफेसर श्रीजता डे – बिट्स पिलानी, राजस्थान
राजस्थान के बिट्स पिलानी की प्रोफेसर श्रीजता डे को तीन महीने में कई बार डिजिटल अरेस्ट हुईं। इस दौरान स्कैमर्स ने उनसे 7.67 करोड़ रुपये ऐंठ लिए। उन्होंने इसके लिए 80 लाख रुपये लोन लिए। जालसाजों ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया और दावा किया कि उनके मोबाइल नंबर के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। एक घंटे के भीतर उनका नंबर बंद करने की धमकी दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके आधार पर पंजीकृत एक अन्य नंबर का इस्तेमाल अवैध विज्ञापन और परेशान करने वाले |