क्राइम
2004 में दर्ज हुआ पहला Digital Attack, अब 100 में से 18 लोग हो रहे साइबर अटैक के शिकार, चौंकाने वाली है ये रिपोर्ट
हाईटेक होते जमाने और दिनों दिन बढ़ती पुलिस की मुस्तैदी ने सड़क पर होने वाले अपराध में लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है। इसका दावा हाल ही में सामने आई साइबर सिक्योरिटी फर्म Surfshark की एक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से किया गया है। रिपोर्ट की मानें तो आज से 18 साल पूर्व यानि 2004 में देश में पहला साइबर अटैक का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन अब यह साइबर अटैक से लेकर ठगी आम हो चुकी है।
तेजी से बढ़ रहा डेटा ब्रीच आंकड़ा
फर्म द्वारा जारी की गई रिपोर्ट की मानें तो साइबर अपराधियों का जाल फैलता जा रहा है। यही कारण है कि देश में 100 में से हर 18 वां शख्स साइबर अटैक ( Cyber Attack) का शिकार हो रहा है। इसकी एक बड़ी वजह लोगों की कॉन्टैक्ट डिटेल से लेकर बैंक समेत अन्य डेटा का ब्रीच होना है। जिसका फायदा उठाकर साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी फर्म Surfshark का दावा है देश में पिछले 18 सालों में डेटा ब्रीचिंग (उल्लंघन) की वजह से 962.7 मिलियन से अधिक लोग साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं। फर्म का दावा हे कि देश में मजबूत डेटा सुरक्षा कानून के अभाव के चलते यह संख्या और भी बढ़ सकती है। जो एक चिंता का विषय है।
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दुनिया में डेटा ब्रीच में छठे पायदान पर पहुंचा भारत
साइबर सिक्योरिटी फर्म का दावा है कि देश में डेटा सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर कानून न होने की वजह से डेटा उल्लंघन मामले में भारत दुनिया में 6 स्थान पर आ गया है। अब तक करीब 962.7 मिलियन लोग डेटा ब्रीच (data breach) के शिकार हो चुके हैं। वहीं यह आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि देश में 2004 के बाद से साइबर हमलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। पिछले 18 सालों में 14.9 बिलियन से ज्यादा लोग खातों की जानकारी से लेकर अपने जरूरी डेटा चोरी के शिकार हो चुके हैं। इनमें भारतीयों की संख्या करीब 254.9 मिलियन यानि 25.49 करोड़ है।
हर मिनट 304 खातों की डिटेल हुई चोरी
रिपोर्ट की मानें तो 2022 की पहली तिमाही में हर मिनट 304 खातों की जानकारी को चोरी किया गया है। जो अगली तिमाही में 6.7 प्रतिशत बढ़ गई है। इसके साथ ही साल 2021 की डेटा ब्रीच की बात की जाये तो इसमें 740 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। साइबर फर्म द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत हर एक डेटा उल्लंघन पर 3.8 डेटा पॉइंट्स खाता है। इसकी वजह भारतीय यूजर्स की ऑनलाइन चीजों को इस्तेमाल करने के दौरान उनकी लापरवाही से लेकर ऑनलाइन सर्विस देने वाली कंपनियों की हेवी डेटा कलेक्शन प्रैक्टिस करना हो सकती है।
डेटा उल्लंघन कानून का फायदा उठाकर, ऐसे पहुंचाया जा रहा लोगों को नुकसान
फर्म की मानें तो भारत में गोपनीयता कानून की कमी के चलते देश में यूजर्स का डेटा बेचने से लेकर उनहें दोबारा इस्तेमाल में लेने या अपराधियों तक पहुंचने के चलते लोगों को खतरे में डाल देता है। यह डेटा तमाम ऐप कंपनी व दूसरी डिजिटल डेटा कंपनियों द्वारा एकत्र किया जाता है। इसकी वजह मौजूदा लीगल एक्ट का पुराना होने और उनमें सुधार की जरूरत होना है।
देश में वीपीएन सर्विस को बंद कर चुका है Surfshark
साइबर हमलों को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करने के साथ ही Surfshark ने भारत में अपने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क VPN सर्विस को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इसकी वजह कंपनी ने भारत के साइबर सिक्योरिटी कानून को को हल्का होना बताया है। वहीं Surfshark से पहले Express Vpn ने देश में अपनी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस को बंद करने का ऐलान किया था। वहीं हाल ही में साइबर सिक्योरिटी कानून में कहा गया है कि VPN सर्विस को यूजर का डेटा कम से कम 5 सालों तक स्टोर रखना होगा।
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