Tech Talk
साइबर प्रोफेसर की सुपर क्लास : आपके आधार-पैन कार्ड की फोटो कॉपी से कैसे लेते हैं फर्जी लोन, जानें
साइबर प्रोफेसर की सुपर क्लास : Episode-1
साइबर क्राइम (Cyber Crime)। ऐसा क्राइम जिसे कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए अंजाम दिया जाए। साइबर क्राइम में सिर्फ आपको आर्थिक रूप से ही नुकसान नहीं पहुंचाया जाता बल्कि आपको मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया जाता है। कभी सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक फोटो या वीडियो अपलोड करके। या फिर ब्लैकमेल करके भी परेशान किया जाता है। साइबर क्राइम (Cyber Crime Research) पर एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि 90 प्रतिशत से ज्यादा घटनाएं सिर्फ हमारी लापरवाही से होती है। यानी अगर हम अलर्ट हो जाएं तो 90 फीसदी साइबर क्राइम को रोका जा सकता है।
रिसर्च रिपोर्ट ये भी बताती है कि 75 फीसदी से ज्यादा लोग यही समझते हैं कि हमें कोई आसानी से साइबर क्राइम के जाल में नहीं फंसा सकता है। इस वजह से वह रोजाना होने वाले साइबर क्राइम के नए ट्रेंड के बारे में नहीं जानना चाहते हैं। और फिर ऐसे ही लोग आसानी से साइबर क्रिमिनल के ट्रैप में फंस जाते हैं। इसके बाद लाखों रुपये तक गंवा देते हैं। या फिर कई लोग साइबर क्रिमिनल के ट्रैप में आकर आत्महत्या करने तक के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में देश-दुनिया में होने वाले साइबर क्राइम ट्रेंड के बारे में अलर्ट रहना बेहद जरूरी है।
इसलिए साइबर क्राइम को लेकर आपको अलर्ट करेगा (India’s First Cyber Crime news Portal : The420.in) भारत का पहला साइबर न्यूज पोर्टल The420.in। आपको अलर्ट करने के लिए हमने शुरू की है एक स्पेशल सीरीज। इस सीरीज का नाम है साइबर प्रोफेसर की सुपर क्लास। साइबर क्राइम में पीएचडी करने वाले अधिकारी प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह आपको साइबर क्राइम के नए-नए ट्रेंड के बारे में जानकारी देंगे। प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह आपको ना सिर्फ जानकारी देंगे बल्कि उन लापरवाही के बारे में भी बताएंगे जिसकी वजह से आप साइबर क्राइम के शिकार हो जाते हैं। ऐसे साइबर सेफ्टी टिप्स भी देंगे जिससे आप खुद को और अपने परिवार व दोस्तों को साइबर क्राइम से बचा सकेंगे। इस सीरीज का पहला एपिसोड है…मिसयूज ऑफ डॉक्युमेंट्स
Misuse Of Documents : Cyber Crime
सबसे पहले- एक सवाल। आपकी पहचान क्या है? जैसे आपका नाम अमित गुप्ता है। इसका सबूत क्या है कि आप ही अमित गुप्ता हैं? जाहिर है हम सबूत के लिए अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या राशन कार्ड या फिर और भी कई तरह के आइडेंटिटी प्रूफ दिखाते हैं। यानी ये हमारी पहचान के सबसे बड़े सबूत हैं। लेकिन इसके बाद भी सबसे अहम पहचान पत्र के कागजात की फोटो कॉपी को हम कितनी आसानी से किसी से फोन पर बात करके ही भेज देते हैं। सिर्फ इसलिए कि मेरा काम बिना बैंक गए और घर बैठे ही आसानी से हो जाए। लेकिन क्या कभी सोचा है कि जिस डॉक्यूमेंट की बदौलत हमारी पहचान है उसे ही हम इतनी आसानी से क्यों दे देते हैं? क्या इससे कोई क्राइम नहीं हो सकता है? तो जानिए इस बारे में प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह क्या बताते हैं।
प्रो. त्रिवेणी सिंह : इस तरह के साइबर क्राइम के बारे में आपको एक रियल वाकया बताते हैं। यूपी की राजधानी लखनऊ में रहने वाले एक इंजीनियर को अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर पर्सनल लोन की जानकारी लेने लगे। इसके लिए वह गूगल पर लोन के अच्छे ऑफर की तलाश कर रहे थे। इस बीच, उन्हें एक कॉन्टैक्ट नंबर मिला। जिस पर बात की। इसके बाद उनके पास लगातार कई बैंकों के कर्मचारी लोन के लिए कॉल करने लगे। इसमें से कई ने सबसे कम इंटरेस्ट पर लोन दिलाने का वादा किया। इस लालच में आकर उन्होंने अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट्स, आईटी रिटर्न और पासपोर्ट फोटो की कॉपी उस कर्मचारी को वॉट्सऐप पर भेज दिया। इसके बाद किसी दूसरे कर्मचारी का फोन आया तो इंजीनियर ने उसे भी सारी डिटेल भेज दी।
ऐसे समझें
हालांकि, लोन लेने को लेकर इंजीनियर की कहीं पर बात नहीं बनी और आखिरकार एक दोस्त से इन्हें जरूरत के पैसे मिल गए। इस तरह फिर से उन्होंने लोन देने वालों से कोई संपर्क नहीं किया। लेकिन करीब 4 महीने बाद एक बैंक से इनके पास फोन आता है। कॉल करने वाला एक बैंक का अधिकारी था। बैंक अधिकारी ने इंजीनियर से पूछा कि आपने ऑटो लोन के लिए अप्लाई किया था। उसकी ईएमआई जमा नहीं हो रही है। ये सुनकर इंजीनियर के होश उड़ गए। वे तुरंत उस बैंक में पहुंचे। बैंक में अधिकारियों ने उन्हें बताया कि आपके आधार कार्ड और पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट के जरिए कई लोन लिए गए हैं। ये जानकर इंजीनियर जब पुलिस के पास पहुंचे तब उन्हें साइबर क्राइम के बारे में समझ आया।
आखिर कैसे हुआ ये साइबर क्राइम?
प्रो. त्रिवेणी सिंह : दरअसल, इंजीनियर ने लोन लेने के नाम पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट समेत जो-जो डॉक्युमेंट दिए थे उसी कॉपी पर साइबर क्रिमिनलों ने पहले एक सिमकार्ड इश्यू कराया और फिर फोटो को बदलकर बैंक से लोन ले लिया।
ऐसे समझें-
ऐसे क्राइम आजकल खूब हो रहे हैं। कई बार हम बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने के लिए कई स्कूलों में फॉर्म भरते हैं और अपनी पहचान के नाम पर आधार कार्ड और भी दूसरे आइडेंटिटी प्रूफ जमा कर देते हैं। लेकिन किसी एक स्कूल में बच्चे का दाखिला हो जाने पर क्या हम ऐसा करते हैं कि जिन दूसरे स्कूलों में डॉक्युमेंट्स जमा किए थे, उन्हें वापस ले लें। ऐसा हम कभी नहीं करते हैं। ये डॉक्युमेंट्स उन स्कूलों के लिए भी कबाड़ बन जाता है जिसे वे बेच देते हैं। इस तरह साइबर क्रिमिनल उन डॉक्युमेंट्स को कबाड़ में खरीदकर भी बैंक फ्रॉड जैसे क्राइम करते हैं।
ऐसे साइबर क्राइम से बचने के लिए क्या करें?
प्रो. त्रिवेणी सिंह : ऐसे साइबर क्राइम से बचने के लिए जरूरी है कि आप जागरूक हों। सबसे पहले तो किसी भी पहचान पत्र को कभी भी फोटो खींचकर या स्कैन कर किसी को भी ना भेजें। ऐसे तो आपकी पहचान को कोई क्रिमिनल जैसे चाहे वैसे प्रिंट निकालकर कई तरह के फ्रॉड को अंजाम दे सकता है।
इसके अलावा ये भी ध्यान रखें कि जब कभी कोई डॉक्युमेंट किसी लोन के लिए या बच्चे के एडमिशन के लिए दें तो उस पर ये जरूर लिखें कि ये किस काम के लिए है। जैसे आप HDFC बैंक में होम लोन के लिए डॉक्युमेंट्स दे रहे हैं तो बड़े शब्दों में लिखें कि ..This is Only For HDFC Home Loan। या किसी स्कूल में एडमिशन के लिए दे रहे हैं तो उस पर भी जरूर लिखें। इस तरह से डॉक्युमेंट्स का मिसयूज नहीं हो पाएगा। इसके अलावा फोन पर किसी से बात कर उसे कभी कोई पहचान पत्र वॉट्सऐप या ईमेल ना भेजें। इसके बजाय खुद बैंक में जाकर आवेदन करें।