Cyber Crime
MobiKwik से 10 करोड़ यूजर्स का सीक्रेट डेटा लीक, डार्कवेब पर बेचा जा रहा डेटा
मोबीक्विक (MobiKwik) इस्तेमाल करने वाले 10 करोड़ यूजर्स का 8.2 टेराबाइट सीक्रेट डेटा लीक हो गया है। ये डेटा डार्क वेब (Darkweb) पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। इस डेटा में यूज़र्स के पासपोर्ट की कॉपियां, सेल्फीज़, ईमेल आइडीज़ , फ़ोन नंबर, घर के पते, पासवर्ड और अनेक गोपनीय जानकारियां उपलब्ध हैं। अभी तक मोबीक्विक ने इस विषय में कोई भी आधिकारिक ज़िम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कंपनी जल्द ही इस विषय में एक बयान जारी कर सकती है।
मोबीक्विक एक डिजिटल पेमेंट कंपनी है। इसके ज़रिये लोग आपस में रुपयों का लेन-देन कर सकते हैं। मोबाइल फोन के सरल उपयोग से लोग मोबीक्विक के एप के ज़रिये बैंक व्यवस्थाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। इन सब के चलते आरबीआई ने मोबिक्विक जैसी कंपनियों को अपने ग्राहकों की केवाईसी करने के निर्देश जारी किये थे। वो यही केवायसी डेटा है जिसके अब लीक होने के दावे इस डार्क वेब की वेबसाइट पर किये जा रहे है। राजशेखर राजहरिया नामक एक साइबर शोधकर्ता ने इस डेटाबेस को देखा और ट्वीट कर इसकी जानकारी शेयर की है।
मोबीक्विक का दावा : डेटा लीक जैसा कुछ नहीं
वही, इस मामले को लेकर मोबिक्विक ने इस डेटा लीक को झूठा ठहराते हुए कहा की उन्होंने इस दावे की जांच कराई और उन्हें डाटा लीक का कोई सबूत नहीं मिला।लेकिन एक्सपर्ट का यह मानना है की मोबीक्विक ने इस डेटा लीक की ज़िम्मेदारी लेने से इसलिए इंकार किया है क्योंकि इस सितम्बर, मोबीक्विक आईपीओ के ज़रिये मार्किट से पैसा उठाने की तैयारियों में लगा हुआ है और वो ऐसी कोई खबर नहीं चाहता जिससे की इन्वेस्टर्स का भरोसा कंपनी से उठे। डार्क वेब पर जो व्यक्ति ये डेटाबेस बेच रहा है, वह इस डेटाबेस की कीमत 1.5 बिटकॉइन दिखा रहा है. उसका दावा है कि 1.5 बिटकॉइन, यानिकि करीब 63 लाख रुपयों की प्राप्ति के बाद वह इस डेटाबेस को डार्क वेब से हटा देगा.
यह पहली बार नहीं है कि मोबीक्विक से साइबर सुरक्षा में कोई चूक हुई हो, इससे पहले 2010 में एक हैकर ने मोबीक्विक के IT सिस्टमों में अनधिकृत प्रवेश कर लिया था।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ व इन्वेस्टिगेटर नितिन पाण्डेय का कहना है, “मोबीक्विक जैसी कंपनियां जो कि यूज़र्स का इतना महत्वपूर्ण डेटा अपने सर्वर्स में रखती है, उनको इस प्रकार के डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. ऐसी डाटा लीक की घटनाएं न सिर्फ यूज़र्स के गुप्त दस्तावेज़ हैकरों के हाथों में दे देती हैं, अपितु यह राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी कड़ा प्रहार कर सकती हैं|”