क्राइम
सचिन तेंदुलकर के बाद विराट कोहली, आखिर क्या बला है Deepfake? जानें कैसे इसे पहचानें और ठगी से बचें
इंटरनेट का इस्तेमाल एक समय सूचना और लोगों से बातचीत के लिए होता था। अब इसका इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए हो रहा है। साइबर अपराधी एडवांस टेक्नोलॉजी के सहारे नामी लोगों के नाम ठगी का काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी है डीपफेक। इसकी मदद से सेलिब्रिटिज का वीडियो बनाया जा रहा और लोगों को चूना लगाया जा चुका है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर तक का डीपफेक वीडियो आ चुका है। इस कड़ी में भारत के पूर्व कप्तान विराट कोहली का भी नाम जुड़ गया है। कोहली के मामले में तो हद ही पार हो गई। इसमें आजतक जैसे नामी न्यूज चैनल और अंजना ओम कश्यप जैसी चर्चित पत्रकार का भी इस्तेमाल हुआ है। इस वीडियो में विराट कोहली एक गेम का प्रमोशन करते दिख जाएंगे। साथ ही लोगों से उस गेम को खेलने के लिए अपील भी कर रहे हैं।
डीपफेक क्या है?
डीपफेक फोटो या वीडियो को स्पेशल मशीन लर्निंग की मदद से बनाया जाता है। इसे डीप लर्निंग कहते हैं। डीप लर्निंग में दो वीडियोज या फोटो को एक ही जैसा बनाता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई बच्चा किसी चीज की नकल करता है। इस तरह के फोटो वीडियोज में हिडेन लेयर्स होते हैं, जिन्हें सिर्फ एडिटिंग सॉफ्टवेयर से ही देखा जा सकता है। डीपफेक एक तरह से रियल इमेज-वीडियोज को बेहतर रियल फेक फोटो-वीडियोज में बदल देता है। ये फोटो और वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं। बहुत ही आसान भाषा में कहें तो डीपफेक एक एडिटेड वीडियो होता है, जिसमें किसी अन्य के चेहरे को किसी अन्य के चेहरे से बदल दिया जाता है।
Then there is this deepfake of Virat Kohli where an advertisement first shows a deepfake of a TV newscaster announcing how he has won big on a betting app, followed by Kohli saying how “hands are shaking” after winning Rs 8 lakh pic.twitter.com/4fzW4fXO4b
— Soumyarendra Barik (@imsoumyarendra) November 24, 2023
डीपफेक वीडियोज इतने सटीक होते हैं कि इन्हे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। डीपफेक वीडियो बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की भी मदद ली जाती है।
कैसे बनते हैं डीपफेक?
डीपफेक इनकोडर और दूसरा डीकोडर नेटवर्क के इस्तेमाल से बनता है। इनकोडर नेटवर्क सोर्स कंटेट को एनालाइज करता है और फिर डाटा को डीकोडर नेटवर्क को भेजता है। उसके बाद फाइनल आउटपुट निकलता है। यानी वह फेक कंटेंट, जो असली लगता है। इसके लिए सिर्फ एक फोटो या वीडियो की जरूरत होती है। डीपफेक फोटोज या वीडियोज बनाने के लिए कई वेबसाइट्स और एप हैं।
डीपफेक वीडियो कैसे पहचानें
- वीडियो को बारिकी से देखें।
- चेहरे के एक्सप्रेशन, आंखों की मूवमेंट और बॉडी स्टाइल पर ध्यान दें।
- बॉडी कलर पर ध्यान दें। आमतौर पर ऐसे वीडियोज में चेहरे और बॉडी का कलर मैच नहीं करता।
- लिप सिंकिंग पर ध्यान दें।
- ऐसे वीडियोज को आप लोकेशन और एक्स्ट्रा ब्राइटनेस से भी पहचान सकते हैं।