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UP के इस थाने में पुलिस और पब्लिक के बीच है परिवार जैसा माहौल, इसीलिए देश के टॉप-10 थानों में आया नाम, जानिए पहले नंबर पर कौन
खास बातें
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के टॉप-10 बेस्ट पुलिस स्टेशन के नामों की घोषणा की
- इस लिस्ट में मणिपुर के थौबल का नोंगपोक सेमकई थाना रैंकिंग में नंबर-1 पर
- उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के कांठ थाने को मिला देशभर में आठवां स्थान
- बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व वेस्ट बंगाल के थाने टॉप-10 में नहीं
सुनील मौर्य : नई दिल्ली
पुलिस वाले अच्छे इंसान होते हैं। अच्छे दोस्त भी होते हैं। पब्लिक की बात परिवार की तरह समझते हैं। ये सुनकर शायद आप चौंक जाएंगे लेकिन यूपी का एक थाना ऐसा भी है जहां के लोगों को पुलिस से कोई शिकायत नहीं है। पुलिस के व्यवहार को लेकर अक्सर शिकायत करने वाले लोग यहां काफी खुश हैं। किसी विवाद को लेकर थाने जाते हैं तो उस पर तुरंत सुनवाई होती है। क्या वीआईपी और क्या साधारण? यहां सभी को बराबर सम्मान मिलता है। अगर वीआईपी से गलती हुई है तो वो भी थोड़ी देर बाद अपनी गलती का अहसास करता है। यही वजह है कि यूपी का पहला थाना है जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के टॉप-10 सर्वश्रेष्ठ थानों में जगह दी है।
यूपी का ये थाना है मुरादाबाद जिले का कांठ। इस थाने को भारत के टॉप-10 सर्वश्रेष्ठ थानों में 8वां स्थान मिला है। इसमें भारत में सर्वश्रेष्ठ पुलिस स्टेशन मणिपुर में थौबल का नोंगपोक सेमकई थाना है। इस थाने की रैंकिंग नंबर-1 है। दूसरे और तीसरे नंबर पर तमिलनाडु व अरूणाचल प्रदेश के पुलिस स्टेशन हैं। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, गोवा, छत्तीसगढ़, सिक्किम, तेलंगाना के एक-एक पुलिस स्टेशन को भी इस लिस्ट में जगह मिली है। हालांकि बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का एक भी पुलिस स्टेशन टॉप-10 में शामिल नहीं है.
इन खासियत की वजह से टॉप-10 में आया कांठ थाना
वैसे तो यूपी के मुरादाबाद जिले का कांठ थाना प्रदेश के अन्य थानों से कोई खास अलग नहीं है। शहर से दूर करीब 30 हजार की आबादी वाला ये नगर पालिका क्षेत्र है। यहां का थाना है कांठ। इस थाने के प्रभारी हैं इंस्पेक्टर अजय कुमार गौतम। इनकी तैनाती करीब 16 महीने पहले हुई थी। थाने में तैनाती के बाद इंस्पेक्टर अजय कुमार गौतम ने सबसे पहले पब्लिक की सुनवाई के लिए दो डेस्क बनाए। इसमें एक खास महिला डेस्क बनाया। जहां कोई भी महिला कभी भी आकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती थी। कोई भी शिकायतकर्ता अगर थाने में आया तो इंस्पेक्टर अजय गौतम उससे जरूर मिलते हैं।
इन्होंने पब्लिक के साथ मिलकर ही पब्लिक के लिए पानी और शौचालय की व्यवस्था कराई। इस थाने की खासियत ये भी है कि शिकायत चाहे कोई छोटी या बड़ी सभी पर त्वरित कार्रवाई। और सबसे खास कि थाना प्रभारी सभी शिकायतकर्ता से फीडबैक खुद लेते थे। अगर किसी शिकायतकर्ता को नाराजगी है तो खुद उसके घर तक जाकर हल निकालते हैं।
पब्लिक में कभी वीआईपी या कमजोर नहीं देखा, सिर्फ शिकायत सुनी : कुंवर सुरेंद्र
कांठ कभी प्रदेश की एक रियासत हुआ करती थी। यहां की रियासत से ताल्लुक रखने वाले और रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल कुंवर सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि इतने वर्षों में कांठ में कई थाना प्रभारी आए। लेकिन ज्यादातर पुलिस अधिकारी किसी समस्या का निस्तारण शिकायतकर्ता की हैसियत देखकर करते थे। इसीलिए कोई एक पक्ष संतुष्ट होता तो दूसरा नाराज। लेकिन एक साल पहले जब इंस्पेक्टर अजय कुमार गौतम आए तो इन्होंने सबके साथ समान व्यवहार किया। यही इनकी सबसे बड़ी खासियत रही। अगर कोई कमजोर वर्ग का भी व्यक्ति किसी वीआईपी के खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंचा तो उसकी पूरी सुनवाई हुई। अगर जरूरत पड़ी तो वीआईपी को भी खुशी-खुशी अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगनी पड़ी। इसलिए दोनों पक्ष खुश रहे। यही वजह है कि यहां कि पब्लिक आज पुलिस के साथ काफी फ्रेंडली है और थाने में शिकायत करने में कभी झिझकती नहीं है। आज यहां पुलिस और पब्लिक एक परिवार की तरह मिलकर किसी समस्या का हल निकालते हैं। इसी वजह से यहां कोई बड़ा क्राइम भी नहीं हुआ है।
देश के टॉप-10 पुलिस स्टेशन की लिस्ट
- नोंगपोक सेमकई (थौबल, मणिपुर)
- एडब्ल्यूपीएस सुरमंगलम (सालेम, तमिलनाडु)
- खरसांग (चांगलांग, अरुणाचल प्रदेश)
- झिलमिल (सुरजापुर, छत्तीसगढ़)
- संगुएम (दक्षिण गोवा, गोवा)
- कालिघाट (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
- पॉकयोंग (पूर्वी जिला, सिक्किम)
- कांठ (मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश)
- खानवेल (दादरा और नागर हवेली, दादरा और नागर हवेली)
- जम्मीकुंटा टाउन (करीमनगर, तेलंगाना)
कुल 19 मापदंडों पर हुई रैंकिंग, पब्लिक फीडबैक सबसे खास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में गुजरात के कच्छ में पुलिस महानिदेशकों को संबोधित करते हुए ग्रेडिंग से संबंधित एक निर्देश दिया था। इसके बाद से पुलिस स्टेशन में सुधार की तकनीकों की पहचान करने के लिए 19 मापदंड बनाए गए थे। इसमें सबसे खास पब्लिक का फीडबैक माना गया था। क्योंकि किसी भी पुलिस की कार्यशैली से वहां की जनता सीधे प्रभावित होती है। अगर पब्लिक अपनी पुलिस के साथ फ्रेंडली फील करे तो उसे काफी बेहतर माना गया है। इसके अलावा मापदंडों में संपत्ति विवाद से संबंधित अपराधों की संख्या, महिलाओं के खिलाफ अपराध और एक पुलिस स्टेशन में कमजोर वर्गों के खिलाफ होने वाले अपराध पर किस तरह से त्वरित कार्रवाई की गई। इसे भी काफी अहम माना गया है। इस साल के सर्वेक्षण में कोरोना प्रोटोकॉल के पालन को भी एक श्रेणी में रखा गया था। इस सर्वे में पुलिसकर्मियों का समर्पण, ईमानदारी, अपराध को रोकने और नियंत्रित करने के साथ राष्ट्र की सेवा करने के जज्बे को भी परखा गया।