क्राइम
Cyber Crime: साइबर क्रिमिनल्स पर नकेल कसने की तैयारी, नोएडा में बनेगी हाईटेक साइबर फॉरेंसिक लैब
नोएडा में सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में साइबर फोरेंसिक लैब बनेगी। इस लैब के बन जाने से नोएडा में साइबर स्टॉकिंग, बुलिंग, फ्रॉड की घटनाओं की जांच तेजी से होगी।
नोएडा में आए दिन हो रहे साइबर क्राइम (cyber crimes) पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस के हाथ और भी मजबूत किए जायेंगे। नोएडा में सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में साइबर फोरेंसिक लैब (Cyber forensic lab) बनेगी। स्पीकिंग, फ्रॉड, बुलिंग, की जांच के लिए नए संसाधन नोएडा पुलिस (Noida Police) के पास साइबर होंगे। इस लैब के माध्यम से डीपफेक, गलत मंशा के साथ वीडियो वायरल करने वाले क्रिमिनल्स (criminals) को पुलिस रोक सकेगी।
आपको बता दें, नोएडा में सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में साइबर फोरेंसिक लैब बनेगी। इस लैब के बन जाने से नोएडा में साइबर स्टॉकिंग, बुलिंग, फ्रॉड की घटनाओं की जांच तेजी से होगी। डीपफेक वीडियो वायरल करने वालों को पुलिस रोक सकेगी। डीप फेक के मामले तेजी से बढ़ रहे है। डीप फेक पुलिस के लिए नई चुनौती भी बन रहा है, उसके केस की जांच के लिए भी पुलिस तैयार हो जाएगी। तेजी से बढ़ रहे साइबर क्राइम के घटनाओं के बीच नोएडा पुलिस के पास इसकी जांच के कोई संसाधन पर्याप्त नहीं थे। लैब के लिए निर्भरता दिल्ली व लखनऊ पर ही थी।
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Centralized Desk से मिलेगी रफ्तार
साइबर क्राइम थाने में एक सेंट्रलाइज्ड डेस्क (Centralized Desk) भी बनाने की तैयारी है। इस डेस्क की मदद से सभी थानों के साइबर हेल्प डेस्क (cyber help desks) को जोड़ा जाएगा। किसी भी थाने में शिकायत पर तकनीकी जांच की जरूरत पड़ने पर यह डेस्क तेजी से फॉरेंसिक लैब (forensic lab) से काम करवाएगी।
सबूत जुटाने में होगी आसानी
साइबर क्राइम और फ्रॉड के केस की जांच के लिए लैब बन जाने से तकनीकी सबूत जुटाने में आसानी होगी। साइबर अपराधी धोखाधड़ी करने के बाद चैट व लिंक तेजी से डिलीट करते हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित के मोबाइल से पुलिस साइबर फोरेंसिक लैब के जरिए बहुत सा डेटा इन अपराधियों का आसानी से ट्रेक कर पाएगी।
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साइबर फॉरेंसिक लैब क्या है?
साइबर फॉरेंसिक लैब (Cyber forensic lab) से अपराधों की मॉनिटरिंग करने में सहायता मिलती है। साइबर फॉरेंसिक (cyber forensics) के माध्यम से साक्ष्य जुटाना आसान हो जाता है। फॉरेंसिक लैब (forensic lab) में उन्नत फॉरेंसिक टूल्स (forensic tools) लगाए जाते हैं, जिसमें डिजिटल उपकरणों, जैसे कंप्यूटर, सैटेलाइट फोन, लैपटॉप, मोबाइल फोन और जीपीएस के सहारे ई-एविडेंस (e-evidence) को एकत्र करने, जानकारी जुटाने में मदद मिलती है।