क्राइम
मध्य प्रदेश साइबर पुलिस ने ‘रोमांस स्कैमिंग’का किया भंडाफोड़, पाकिस्तान और चीन से है सीधे कनेक्शन
मध्य प्रदेश साइबर सेल मुख्यालय ने चीनी और पाकिस्तानी नागरिकों से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। यह सिंडिकेट ‘रोमांस स्कैमिंग’ के जरिए अमीर भारतीय व्यवसायियों को ऑनलाइन डेटिंग साइटों पर उलझा रहे थे और फेक मोबाइल इंवेस्टमेंट और ट्रेडिंग एपलिकेशन के माध्यम से उनके साथ धोखाधड़ी कर रहे थे। भोपाल के एक कपड़ा व्यापारी की शिकायत मिलने के बाद राज्य के साइबर सेल द्वारा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। यह व्यक्ति बंबल नाम के डेटिंग एप पर डोरिस नाम की एक महिला के हाथों हनी ट्रैप का शिकार हो गया था। पुलिस के अनुसार इस डेटिंग साइट पर ‘पार्टनर’ की तलाश में इस व्यवसायी ने लगभग 1 करोड़ रुपये का खर्च किए। इंदौर के एक व्यवसायी सहित दो अन्य व्यवसायियों ने इसी तरह के रोमांस स्कैमर्स के जाल में फंसकर लगभग 75 लाख रुपये गंवाए हैं और उनके मामलों की जांच की जा रही है।
हरियाणा (गुरुग्राम) के चार्टर्ड अकाउंटेंट अविक केडिया, दिल्ली की कंपनी सेक्रेटरी डॉली मखीजा, गुजरात के दिलीप पटेल और दिल्ली के विक्की मखीजा सहित चार लोगों को इस स्कैम में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है। एक चीनी नागरिक समेत छह अन्य की तलाश की जा रही है। पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए किसी भी सूचना पर प्रत्येक पर 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया है। पाकिस्तान के रावलपिंडी और पल्लांद्री शहरों में आरोपियों का लिंक मिलने से केंद्रीय और बाहरी खुफिया एजेंसियों से भी जांच में सहयोग लिया जा रहा है। एमपी के साइबर सेल के प्रमुख एडीजीपी योगेश चौधरी का कहना है कि इन फर्जी आवेदनों के माध्यम से एकत्र किए गए धन को कई कंपनियों के माध्यम से पाकिस्तान भेजा जा रहा था।
एडीजीपी योगेश चौधरी ने आगे कहा कि यह ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक ऐसा मामला है, जिसे हमारी टीम ने अत्यधिक मैनुअल और डिजिटल इंटेलिजेंस के साथ सुलझाया है। विदेशियों की संलिप्तता के बाद इसमें कई एजेंसियों से सहयोग लेना पड़ा। इंटरनेशनल क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से जानकारी एकत्र करना और आरोपियों के लोकेशन ने जांच को कठिन बना दिया। केंद्रीय खुफिया अधिकारियों ने समन्वित और समय पर जानकारी के साथ इस अभियान में मदद की।
जांचकर्ता एसपी गुरुकर्ण सिंह और एएसपी वैभव श्रीवास्तव ने रुपयों की लेन-देन और अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का भंडाफोड़ करने से पहले, गिरोह के संचालन को समझने के लिए घंटों मेहनत की । श्रीवास्तव ने एसआईटी का नेतृत्व किया और एएसपी ऋचा जैन, इंस्पेक्टर अभिषेक सोनकर, और तीन एसआई – विनय नरवरिया, अश्विनी चौधरी और अनुज समाधिया भी इसमें शामिल रहे। साइबर सेल के प्रमुख ने कहा कि एसआईटी लिंक किए गए पेमेंट गेटवे, यूपीआई और ट्रांजेक्शन आईडी और धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों की पहचान करने में सक्षम रही। उन्हें न केवल कनेक्टेड मोबाइल नंबर मिले, बल्कि यह भी पता चला कि उनमें से कुछ पाकिस्तान और चीन से संचालित हो रहे थे। वे उन कंपनियों का भी पता लगाने में कामयाब रहे जिनके खातों में पैसा ट्रांसफर हो रहा था।
चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कंपनी बनाने में आरोपियों की मदद की
जांच की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि जिन बैंक खातों का पता लगाया गया है, उनमें से एक के सक्रिय होने के दो महीने के भीतर 20 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन हुआ है। ये कंपनियां भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित थीं और पहचान छिपाने के लिए पैसे एक खाते से दूसरे खाते में भेजा जा रहा था। इससे पता चला कि इसमें पेशेवर अकाउंटेंट शामिल हैंएक अन्य अधिकारी ने बताया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट ने कंपनी बनाने में आरोपियों की मदद की। वह भुगतान करने के 6 घंटे से कम समय में कंपनी को पंजीकृत करवा देता है। यह आश्चर्यजनक है। ऐसा माना जा रहा है कि केडिया ने विभिन्न सिंडिकेट के लिए कई कंपनियां बनाई हैं।
चीनी नागरिक की पहचान करना इतना आसान नहीं था
अधिकारी ने यह भी बताया कि इस गिरोह में चीनी नागरिक की पहचान करना इतना आसान नहीं था। रिकॉर्ड पर उसका भारतीय पता एक पांच सितारा होटल का कमरा था। होटल के एंट्री रजिस्टर के आधार पर हम उसकी पासपोर्ट और यात्रा विवरण की जांच करने में सफल रहे। उसे लुकआउट और रेड कॉर्नर नोटिस देकर पकड़ने के लिए इंटरपोल से भी मदद ली जा रही है। उसने शुरू में उनके लिए एक बैंक खाता खोला था, लेकिन बाद में एक ऑपरेटिव के रूप में काम करना शुरू कर दिया, जिसका काम फंड ट्रांसफर का प्रबंधन करना था।
देशभर में नेटवर्क
चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी ने अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और कर्मचारियों के नाम पर कंपनियां बनाई और फिर उन्हें चीनी नागरिकों को 2-3 लाख रुपये में बेच दिए। वे टेलीग्राम, डिंगटॉक, वीचैट आदि के माध्यम से चीनियों के संपर्क में थे। केडिया को दिल्ली पुलिस ने इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया था, जहां गिरोह द्वारा 150 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी। यह गैंग ऑटोमेटेड फंड ट्रांसफर के लिए सॉफ्टवेयर और वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करता था। दिल्ली पुलिस के अनुसार, चीनी सिंडिकेट ने देश भर में गुर्गों का एक विस्तृत नेटवर्क तैयार किया। पुलिस ने कहा कि पश्चिम बंगाल, एनसीआर, बेंगलुरु, ओडिशा, असम और सूरत में उनकी फुटप्रिंट की पुष्टि हुई है।