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क्राइम

जम्मू-कश्मीर: आतंकी गतिविधियों पर लगाम के लिए हो रहा GPS ट्रैकर का इस्तेमाल, जमानत पर छूटे लश्कर के मददगार को पहनाया गया

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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बुधवार को कहा कि उसने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में लश्कर-ए-तैयबा (Let) के एक आतंकी मददगार पर जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगाई है। कोर्ट से प्राप्त आदेश के अनुपालन में, बारामूला में पुलिस ने एक विचाराधीन आतंकवादी मददगार पर जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगाई, जिसे पुलिस स्टेशन उरी के यूए(पी) मामले में जमानत पर रिहा किया गया है।

आरोपी को पुलिस स्टेशन उरी में धारा 13, 18, 18बी, 20, 23, 40 यूए(पी) एक्ट, 120 बी आईपीसी, 7/25 आर्म्स एक्ट के तहत एफआईआर नंबर 104/2023 के तहत गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट उसकी जमानत बढ़ा दी। उक्त आतंकी सहयोगी की गतिविधियों पर नजर रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस एंकलेट का इस्तेमाल किया जाएगा कि वह जमानत शर्तों का उल्लंघन न करे।

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जमानत पर छूटने वाले कुख्यात अपराधियों, नशा कारोबारियों, आतंकियों व उनके मददगारों, भू-माफिया की गतिविधियों की निगरानी के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जीपीएस ट्रैकर पहनाना शुरू किया है। इसका इस्तेमाल भारत में कहीं और नहीं होता। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सूबे में अब तक लगभग दर्जनभर अपराधियों को जीपीएस ट्रैकर पहनाए गए हैं। जीपीएस ट्रैकर से जबरन उतारने या छेड़खानी करने पर जमानत रद्द की जा सकती है। इस ट्रैकर जमानत पर छूटने वाले आरोपी की टांग में पहनाया जाता है।

ट्रैकर एंकलेट्स का उपयोग अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जमानत पर रिहा आरोपियों पर निगरानी रखने के लिए पहले से ही किया जा रहा है। भारत में पहली बार इसका इस्तेमाल नवंबर 2023 में हुआ था। जम्मू से स्पेशल एनआईए कोर्ट के आदेश पर आतंकवाद निरोधी कानून यूएपीए के तहत आतंकवाद को वित्तपोषित करने के मामले में गिरफ्तार गुलाम मोहम्मद भट पर जीपीएस ट्रैकर का इस्तेमाल हुआ था, जब उसने जमानत के लिए आवेदन किया था। अदालत ने जमानत की शर्तों के तहत भट पर कड़ी निगरानी रखने को कहा था। पुलिस को जीपीएस ट्रैकर लगाने का निर्देश दिया।

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