Bureaucracy
सरकार ने मंत्रियों, IAS और IPS अधिकारियों के लिए सलामी शस्त्र पर लगाई रोक, ब्रिटिश युग की परंपरा का अंत!
मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश पुलिस मुख्यालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए औपनिवेशिक युग की सलामी प्रथा को समाप्त करने का निर्देश दिया है। इसे पुरानी परंपरा बताते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि केवल माननीय राज्यपाल को सलामी देने का अधिकार है, जो राज्य शासन के 2007 के आदेश के अनुरूप है।
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हालांकि, इस आदेश का सही तरीके से पालन न होने की शिकायतें सामने आई हैं। इससे पुलिस विभाग में अनुशासनहीनता और पेशेवर मानकों में गिरावट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। पुलिस मुख्यालय ने सख्त चेतावनी दी है कि सरकारी आदेशों की अनदेखी न केवल अनुशासन को कमजोर करती है बल्कि उन औपनिवेशिक परंपराओं को भी बढ़ावा देती है जो अब असंवैधानिक और अप्रासंगिक हैं।
क्या है सलामी ?
पुलिस परंपरा में “सलामी” का मतलब सलामी शस्त्र की प्रस्तुति से है, जिसमें औपचारिक संगीत और मंत्रियों, वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों, राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों और वर्दीधारी अधिकारियों को सलामी दी जाती है। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार ने अब इस परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया है, और इसे केवल राज्यपाल के लिए ही सीमित कर दिया है। इसमें मुख्यमंत्री समेत सभी अन्य व्यक्तियों को शामिल नहीं किया गया है।
पुलिस विभाग ने अधिकारियों और कर्मियों को सेवा की दक्षता और उत्तरदायित्व को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। आदेश में कहा गया है कि इस तरह की पुरानी प्रथाओं को जारी रखना पुलिस बल की आधुनिक छवि को धूमिल करता है और आंतरिक अनुशासन को प्रभावित करता है।
इस सुधारात्मक कदम को एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो पुलिस विभाग को आधुनिक संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप बनाएगा। पुलिस कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि वे आदेश का सख्ती से पालन करें।
यह निर्णय पुलिस बल की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने और एक स्वतंत्र, आधुनिक भारत की आकांक्षाओं के साथ कदम मिलाने का प्रतीक है।