कंबोडिया:हजारों भारतीयों को चीनी गैंग ने बनाया गुलाम, कैसिनो की आड़ में चला रहे साइबर अपराध के अड्डे

Titiksha Srivastav
By Titiksha Srivastav - Assistant Editor
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कंबोडिया में चीनी गिरोह कैसिनो की आड़ में साइबर अपराध के अड्डे चला रहे हैं। इन कैसिनो में हजारों लोगों को गुलाम बनाकर काम करवाया जा रहा है। पीड़ितों में भारतीय शामिल हैं। इनमें तेलंगाना का एक शख्स शामिल था। वह अपनी आजादी खरीदकर भारत लौटने में कामयाब रहा। जगतियाल के पीड़ित मार्था प्रवीण ने अनुमान लगाया कि जिस कैंप में उसे रखा गया था,वहां भारत से लगभग 5,000 लोग थे।

‘थानुगुला वामशी कृष्णा’ और ‘टोटा महेश’ द्वारा एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘अजरबैजान श्री ओवरसीज’ पर नौकरी की पेशकश के बाद प्रवीण ने पिछले साल की शुरुआत में 1 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे। उन्हें कई महीनों तक लटकाए रखा गया और फिर अगस्त में कंबोडिया में डेटा एंट्री ऑपरेटर के काम के बारे में बताया गया।

टैक्सी ड्राइवर ने पासपोर्ट जब्त कर लिया

कंबोडिया में उतरने पर प्रवीण को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है। टैक्सी ड्राइवर ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें कई कॉल सेंटर वाले एक बड़े ऑफिस में ले गया, जहां पहले से ही करीब 5,000 भारतीय थे।

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कॉल सेंटर रैकेट को ‘कैसीनो’की तरह चलाया जा रहा था

प्रवीण ने कहा कि धोखे और शोषण का स्तर दिल दहला देने वाला था। इसमें काफी कठोर परिस्थितियों में काम कराया जाता था। लोगों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाया जाता था। उन्हें नोम पेन्ह से लगभग 200 किमी दूर सिहानोकविले के एक ऑफिस में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां एक कॉल सेंटर रैकेट को ‘कैसीनो’ के तौर पर संचालित किया जा रहा था।

लोगों को कोड नाम दिए गए थे

प्रवीण ने बताया, लोगों को कोड नाम दिए गए थे। मुझे ‘जोश’ कहा जाता था। टीम लीडर केरल से ‘थोर’, रॉबिन और ‘लोकी’, तमिलनाडु से ‘रोलेक्स’, बांग्लादेश से ‘डेविड’, चीन से ‘एर्क’ आदि थे। कस्टमर केयर सर्विस में काम करने वाले हमारे सहयोगियों के पास डेटा तक पहुंच थी।”

वेतन 600 डॉलर लेकिन कभी दिया नहीं गया

प्रवीण ने कहा कि श्रमिकों को व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से मना किया गया था और टीम लीडर्स को उन पर नजर रखने के लिए कहा गया था। किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना और वेतन कटौती होती थी। हालांकि, उनका वेतन 600 डॉलर था, लेकिन इसे कभी पूरा नहीं दिया गया।

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