क्राइम
15 हजार करोड़ के GST Fraud में शामिल 25 हजार का इनामी आरोपी नोएडा से गिरफ्तार
3 हजार से अधिक फर्जी फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक के GST Fraud मामले में पिछले कई महीने से फरार चल रहे एक आरोपी को थाना सेक्टर-20 पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। फरार आरोपी पर 25 हजार रूपये का ईनाम भी घोषित था। इस हाई प्रोफाइल मामले में अब तक 29 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है और 5 के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई भी की गई है। इस मामले की जांच एसआईटी (Special Investigation Team) की टीम कर रही है।
इस तरह पकड़ा गया 29 वां आरोपी
नोएडा के Additional DCP मनीष मिश्रा कुमार मिश्र ने बताया कि जीएसटी फर्जीवाड़े में वांछित चल रहे दिल्ली के मुबारकपुर निवासी विकास डबास को सेक्टर-20 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस फर्जीवाड़े में अबतक 29 आरोपियों को देश के अलग-अलग कोने से दबोचा जा चुका है। विकास और उसके साथी पिछले पांच वर्षों से फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार कर फर्जी बिलों का उपयोग करने के बाद GST Refund लेकर सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा चुके हैं। गिरफ्तार आरोपी की घर की कुर्की का आदेश न्यायालय द्वारा जारी हुआ था। इस मामले में फरार चल रहे चार लोगों के घर की कुर्की तीन दिन पूर्व पुलिस ने की है। 4 मई 2023 को एक मीडियाकर्मी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके आधार कार्ड और पैन कार्ड का दुरुपयोग करके उनके नाम से कंपनी खोली गई है। जिसकी सहायता से करोड़ों रुपए के जीएसटी का आईटीसी लिया गया है। मीडिया कर्मी की शिकायत पर घटना की रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच कर रही पुलिस ने इस घटना का खुलासा जून माह में किया था। अब तक इस मामले में गौरव सिंघल, गुरमीत सिंह, राजीव ,राहुल, श्रीमती विनीता, अश्वनी, अतुल सेंगर, दीपक मुरजानी, यासीन, विशाल, राजीव, जतिन, नंदकिशोर, अमित कुमार ,महेश, प्रीतम शर्मा, राकेश कुमार, अजय कुमार, दिलीप कुमार, मनन सिंघल, पीयूष, अतुल गुप्ता, सुमित गर्ग समेत 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
जानिए क्या है GST Fraud
मई 2023 में नोएडा कमिश्नरेट पुलिस ने एक हाई प्रोफाइल गैंग को पकड़ा था जो फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को जीएसटी के इनपुट क्रेडिट टैक्स के रूप में चूना लगा रहा था। दरअसल यह गैंग पूरे देश में फैला हुआ था। इस गैंग के आरोपी अलग-अलग लोगों के फर्जी आधार कार्ड बिजली बिल फोटो आदि का इस्तेमाल कर कागज पर फर्जी कंपनियां बना रहे थे और जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में फर्जीवाड़ा कर रहे थे। ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी, जिसमें पहले भुगतान किए गए जीएसटी के बदले में क्रेडिट मिल जाते थे। ये क्रेडिट फर्म के जीएसटी अकाउंट में दर्ज हो जाते थे। फर्जी कंपनियों द्वारा वास्तविक माल का आदान-प्रदान नहीं किया जाता है। गिरोह के आरोपियों ने, जो कंपनियां बनाई थीं, वह धरातल पर नहीं थीं, उसका वजूद महज कागजों में ही था। जाली बिल पर करोड़ों रुपये का लेनदेन दिखाया गया। सभी बिल फर्जी होते थे। कंपनियां एक दूसरे से फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का आदान-प्रदान करती रहीं। फरार आरोपियों में कई के विदेश भागने की भी आशंका है। आरोपियों ने देश के अलग-अलग हिस्से में रहने वाले कामगारों से आधार कार्ड हासिल किए। इसी दस्तावेज के सहारे फर्जी पैन कार्ड का सहारा लिया और सिम भी इसी दस्तावेज से ली। बाद में इसी का इस्तेमाल जीएसटी रजिस्ट्रेशन में हुआ। कागजों पर फर्म का अस्तित्व रहा और कई साल तक आरोपी जीएसटी रिफंड के नाम पर लाभ लेते रहे।