बीते 3 साल में मैलवेयर से प्रभावित उपकरणों की 600 फीसदी बढ़ोतरी, 2023 में भारत के 80 लाख से अधिक अकाउंट्स से छेड़छाड़

Titiksha Srivastav
By Titiksha Srivastav - Assistant Editor
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पेमेंट से लेकर शॉपिंग तक आज इस डिजिटल युग में सबकुछ मोबाइल और इंटरनेट की मदद से हो रहा है। इसके इस्तेमाल के साथ-साथ डेटा चोरी के भी मामले बढ़े हैं, जो साइबर फ्रॉड का कारण बनते हैं। इसी बीच एक हैरान कर देने वाला रिपोर्ट सामने आया है। इसमें दावा किया गया है कि पिछले 3 सालों में डेटा चोरी करने वाले मैलवेयर से प्रभावित हुए उपकरणों की संख्या में 600 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

साइबर सुरक्षा फर्म कैसपरस्काई के अनुसार, डिजिटल फुटप्रिंट इंटेलीजेंस के डेटा से पता चलता है कि 2023 में मैलवेयर से प्रभावित पर्सनल और कॉरपोरेट डिवाइस से डेटा चोरी की संख्या लाखों में पहुंच गई। बीते 3 साल के दौरान 643 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। डेटा चोरी करने वाले मैलवेयर से प्रभावित कस्टमर्स और बिजनेस की संख्या 2023 में एक करोड़ से ज्यादा थी। 2023 में भारत के 80 लाख से अधिक अकाउंट्स से छेड़छाड़ हुई।

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साइबर अपराधियों ने औसतन एक उपकरण से 50.9 लॉगइन की जानकारियां चुराई हैं। इनमें सोशल मीडिया, ऑनलाइन बैकिंग सर्विस, क्रिप्टो वॉलेट, ईमेल और अन्य ऑनलाइन सर्विसेज की जानकारियां शामिल हैं। असल में डेटा चुराने वाले मैलवेयर से प्रभावित उपकरणों की संख्या काफी अधिक है। ये संख्या एक करोड़ से ज्यादा की हो गई।

रिपोर्ट के अनुसार डार्क वेब पर लॉगइन डेटा कई बातों पर निर्भर करता है। ये डेटा बेचा जाता है, इसके लिए सब्सक्रिप्शन सर्विस और रेगुलर अपलोड जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है। इन लॉगइन जानकारियों की बिक्री यूएस डॉलर में होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में दुनियाभर में 4,43,000 वेबसाइट्स की लॉगइन डिटेल्स के साथ खिलवाड़ हुआ है। डोमेन नाम भी शामिल हैं। इसमें इंडिया, ब्राजील, कोलंबिया और वियतनाम जैसे देश हैं। इंडिया डोमेन नाम के साथ 2023 में 8 मिलियन से अधिक अकाउंट्स से छेड़छाड़ हुई।

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