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क्राइम

7 घंटे तक बुजुर्ग महिला रहीं डिजिटल अरेस्ट, AI से बेटे की आवाज बदलकर सुनाया, इसके बाद क्या हुआ यह जान कर उड़ जाएंगे होश

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7 घंटे तक बुजुर्ग महिला रहीं डिजिटल अरेस्ट, AI से बेटे की आवाज बदलकर सुनाया, इसके बाद क्या हुआ यह जान कर उड़ जाएंगे होश

साइबर जालसाजों ने फरीदाबाद में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला को सीबीआई अधिकारी बताकर 7 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) रखा। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)  तकनीक से बेटे की आवाज सुनाकर धमकी दी और बेटे के हाथ पैर काटने की बात कही। साइबर क्रिमिनल्स ने बुजुर्ग महिला को डर दिखाकर 4 लाख से अधिक की रकम Online  Transfer कर दी । इस मामले में अब फरीदाबाद पुलिस मामले की जांच कर रही है।

आखिर महिला के साथ क्या हुआ

फरीदाबाद की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला के पास साइबर क्रिमिनल्स का फोन आया और बताया गया कि उनका बेटा शुभम कौशिक दिल्ली में रेप केस में पकड़ा गया है। यह सुनते ही मां सहम गई और साइबर क्रिमिनल्स ने कहा कि अगर बेटे को बचाना चाहती है तो उनके कहे अनुसार वह कम करें। बुजुर्ग महिला को यकीन दिलाने के लिए क्रिमिनल्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बेटे की फर्जी आवाज भी सुना दी। इसमें बेटा यह कह रहा है की मां यह लोग जैसे कह रहे हैं वैसा ही करो। इसके बाद साइबर क्रिमिनल्स ने सीबीआई अधिकारी बनकर बताया कि अगर फोन काट दिया और किसी को भी परिवार में बताया तो उसके बेटे का हाथ पैर काट देंगे। इसके बाद करीब 7 घंटे तक साइबर क्रिमिनल्स बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट किए रखा और चार लाख रुपए से अधिक की रकम 14 अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कराए। क्योंकि महिला के पास इतनी रकम नहीं थी इस कारण वह 7 घंटे तक साइबर क्रिमिनल से ऑनलाइन बात करती रही और पैसों की भी जुगाड़ करती रही। इसके बाद महिला को जब पता चला कि उसके साथ साइबर फ्रॉड हुआ है तब फरीदाबाद पुलिस से इसकी शिकायत की।

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क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है।

यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है। उसे इतना डरा दिया जाता है कि उससे लाखों रुपये का ट्रांजैक्शन के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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एप डाउनलोड कराकर भी रखी जाती है निगरानी

दरअसल डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल साइबर जालसाज करते हैं। ये जालसाज पुलिस क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी के अधिकारी बनकर एप डाउनलोड कराकर उनसे वर्चुलअ जांच का झांसा देते हैं और पीडि़त शख्स से पुलिस के अंदाज में पूछताछ करते हैं। इसके बाद पीडि़त से मनी लॉंड्रिंग, मानव तस्करी, हवाला कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी में शामिल होने की बात कहकर लाखों की वसूली करते हैं। ऐसे में आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। बस उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करता है।

ऐसे बरतें सावधानी

– अगर कोई अनजान सेक्स आपके पास फोन करके आपके घर वालों की आवाज फोन पर सुनाता है तो आसानी से उस पर विश्वास ना करें। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आवाज बदलकर फर्जीवाड़ा किया जा सकता है।

– डिजिटल अरेस्ट होने की आशंका पर आरोपियों से बात करने के दौरान अपने घर वालों या रिश्तेदारों को जरूर बताएं। अगर घर में कोई ना हो तो एसएमएस या किसी अन्य माध्यम से भी जानकारी देकर मदद मांग सकते हैं।

– किसी भी अनजान नंबर से वीडियो कॉल पर बात ना करें। वीडियो कॉल करने वाला साइबर फ्रॉड हो सकता है।

– साइबर फ्रॉड की किसी भी स्थिति में आप 1930 पर कॉल कर सकते हैं।

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