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जानें- क्या है VPN? कैसे करता है काम और Internet के इस्तेमाल को बनाता है सुरक्षित

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जानें- क्या है VPN? कैसे करता है काम और Internet के इस्तेमाल को बनाता है सुरक्षित

इंटरनेट (Internet) के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ साइबर ठगी (Cyber FRaud) का मामला भी बढ़ा है। आज जब पेमेंट (Payment) से लेकर पढ़ाई तक सबकुछ इंटरनेट (Internet) पर निर्भर हो गया है तो आए दिन लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। रेलवे और बस स्टेशन समेत अन्य सार्वजनिक जगहों पर वाई-फाई (Public WI-FI) के इस्तेमाल ने असुरक्षा को और बढ़ा दिया है। साइबर ठग (Cyber FRaud) अलग-अलग तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। वे लोगों की बैंक से जुड़ी जानकारी लेने के लिए तरह-तरह के हथकंडे आजमा रहे हैं। ऐसे में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) को लेकर काफी चर्चा हो रही है। आइए, जानते हैं क्या है वीपीएन?

क्या है वीपीएन
आमतौर पर जब लोग वीपीएन यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क शब्द सुनते हैं, तो उन्हें लगता है कि जो टेक की फील्ड से जुड़े लोगों के उपयोग की चीज है। मगर ऐसा नहीं है। वीपीएन का इस्तेमाल हर कोई कर सकता है। यह कई तरह से ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने में मददगार होता है। यह आपको पब्लिक वाई-फाई का उपयोग करते समय, संवेदनशील जानकारियों को साझा करने या फिर नेट सर्फिंग के दौरान उपयोगी हो सकता है। ये चीजें वीपीएन के माध्यम से अधिक सुरक्षित तरीके से की जा सकती हैं। आमतौर पर वीपीएन का प्रयोग नेटवर्क सिक्योरिटी के लिए किया जाता है। यह नेटवर्क टेक्नोलॉजी है, जो पब्लिक नेटवर्क जैसे कि इंटरनेट या प्राइवेट नेटवर्क पर एक अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है और आपकी वास्तविक पहचान को छिपा देता है। इससे यूजर को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इसकी मदद से जब इंटरनेट को एक्सेस करते हैं, तो यह सर्वर एक्सेस किसी और देश का देता है। इसमें इंटरनेट सर्फिंग के दौरान डिवाइस की लोकेशन बदल जाती है।

कैसे करता है काम
वीपीएन आपके आईपी एड्रेस को छिपा देता है और उसे होस्ट के रिमोट सर्वर पर रीडायरेक्ट कर देता है। इसका मतलब है कि यदि आप किसी वीपीएन के साथ आनलाइन सर्च करते हैं, तो वीपीएन सर्वर आपके डाटा का सोर्स बन जाता है। इससे आपका इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर(ISP)या फिर कोई अन्य यह नहीं देख सकता कि आप किन वेबसाइट्स पर जाते हैं और क्या आनलाइन शेयर करते हैं। वीपीएन एक तरह से फिल्टर का कार्य करता है, जो आपके सभी डाटा को एनक्रिप्ट कर देता है। यहां तक कि यदि कोई आपका डाटा हासिल भी कर लेता है, तो यह उसके लिए बेकार ही साबित होता है। जब आप इंटरनेट से जुड़ते हैं, तो आईएसपी आमतौर पर आपका कनेक्शन सेट करता है। यह आपको आइपी एड्रेस के माध्यम से ट्रैक करता है। आपके नेटवर्क ट्रैफिक को आइएसपी के सर्वर के माध्यम से रूट किया जाता है, जो आपके द्वारा ऑनलाइन किए जाने वाले कार्य को लाग या फिर उसे प्रदर्शित कर सकता है। भले ही आपको अपना आइएसपी भरोसेमंद लग सकता है, लेकिन यह ब्राउजिंग हिस्ट्री को विज्ञापनदाताओं, सरकार या अन्य पक्षों के साथ साझा कर सकता है। आइएसपी साइबर अपराधियों के हमलों का शिकार भी हो सकता है। यदि इसे हैक किया जाता है, तो आपके व्यक्तिगत और निजी डाटा से समझौता हो सकता है।

क्यों करें वीपीएन का उपयोग
साइबर अपराधी बेहद शातिर होते हैं। वे किसी-न-किसी तरीके से आपके डाटा तक पहुंच बनाने की कोशिश करते हैं। अपराधियों ने एक नया तरीका निकाला है, जिससे वे पब्लिक वाई-फाई पर आइफोन से भी डाटा चुरा सकते हैं। ऐसी स्थिति में वीपीएन कई तरीकों से आपकी मदद कर सकता है

पब्लिक वाई-फाई पर सेफ्टी
पब्लिक वाई-फाई का दायरा बढ़ रहा है। मेट्रो, ट्रेन या फिर हवाईअड्डे आदि पर इसका उपयोग खूब होता है। हालांकि पब्लिक वाइ-फाइ सुविधाजनक और मुफ्त सेवा है, लेकिन इसके साथ खतरा भी है। क्योंकि साइबर अपराधी इसमें आसानी से सेंध लगा सकते हैं। जब आप इन जगहों पर ईमेल का जवाब दे रहे होते हैं या फिर इंटरनेट मीडिया पर बिना सोचे-समझे इस्तेमाल कर रहे होते हैं, तो हो सकता है कि कोई व्यक्ति आपकी ऑनलाइन गतिविधि को ट्रैक कर रहा हो। मगर जब आप अन्य नेटवर्क यानी वीपीएन पर होते हैं, तो यह न सिर्फ डाटा की सुरक्षा करता है, बल्कि ब्राउजिंग हिस्ट्री, बैंकिंग जानकारी, एकाउंट पासवर्ड आदि को ट्रैक होने से रोकता है।

आइएसपी से डाटा गोपनीयता
यदि घर के वाइ-फाइ का उपयोग करते हैं, तो यह सार्वजनिक कनेक्शन की तुलना में कहीं ज्यादा सुरक्षित होता है। साथ ही, साइबर हमले की आशंका भी कम होती है। हालांकि, डाटा अभी भी असुरक्षित है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर आपके इंटरनेट डाटा तक पहुंच सकते हैं। आपका आइएसपी देख सकता है कि आप कब, कहां और कैसे ब्राउज करते हैं। आपका डाटा एकत्र किया जा सकता है और उसे विज्ञापनदाताओं को बेचा जा सकता है। भले ही आप प्राइवेट ब्राउजिंग का उपयोग क्यों न कर रहे हों। डाटा गलत हाथों में पड़ने की आशंका बनी ही रहती है। ऐसे में वीपीएन आपका आईपी एड्रेस छिपाने में मदद कर सकता है। इससे किसी के लिए आपको ट्रैक करना आसान नहीं होगा। वैसे, देखा जाए तो डाटा का खतरा केवल आइएसपी से ही नहीं, बल्कि एप्स और वेबसाइट्स से भी होता है। वीपीएन एप्स और वेबसाइट को आपकी इंटरनेट गतिविधियों को ट्रैक करने से रोकता है।

कहीं से भी कंटेंट तक पहुंच
इंटरनेट पर बहुत से ऐसे कंटेंट हैं, जो दुनिया के हर हिस्से के लिए उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन वीपीएन की मदद से इन कंटेंट तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, वीपीएन की खासियत इसका डाटा एनक्रिप्शन है। इससे गोपनीय जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। अगर इंटरनेट सर्च के दौरान ज्यादा सुरक्षा पसंद है, तो फिर वीपीएन को आजमाना चाहिए। वीपीएन का उपयोग करना आसान है। कई वीपीएन सर्विस यूजर फ्रेंडली इंटरफेस के साथ आते हैं, जिसका उपयोग गैर-तकनीकी लोग भी सहजता के साथ कर सकते हैं। वीपीएन का उपयोग फोन, टैबलेट, लैपटाप, डेस्कटाप कंप्यूटर आदि के लिए किया जा सकता है। वीपीएन कंपनियां अलग-अलग सेफ्टी फीचर्स की पेशकश करती हैं। इसलिए जब भी वीपीएन का चुनाव करें, तो यह ध्यान रखें कि उसमें मजूबत एनक्रिप्शन के साथ बेहतर कस्टमर सपोर्ट भी हो।

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