क्राइम
15 हजार करोड़ के GST फ्रॉड में दिल्ली के तीन करोड़पति कारोबारी गिरफ्तार
15 हजार करोड़ से अधिक के जीएसटी फ्रॉड (GST Fraud) में नोएडा पुलिस ने दिल्ली के तीन करोड़पति कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार कारोबारी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) के रूप में 68 करोड़ के फ्रॉड करने का आरोप है। आरोपी फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा रहा था।
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इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के नाम पर कर रहा था फ्रॉड
तीन हजार से अधिक फर्जी जीएसटी फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक की ठगी के मामले
में पुलिस ने बुधवार को ईस्ट पंजाबी बाग दिल्ली निवासी संजय ढींगरा, कनिका ढींगरा और मयंक ढींगरा को गिरफ्तार कर लिया है। ये तीनों दिल्ली के कारोबारी हैं। संजय व कनिका पति पत्नी हैं और मयंक इनका बेटा है। DCP Crime शक्ति मोहन अवस्थी का कहना है कि जीएसटी फ्रॉड मामले की जांच में पता चला कि दिल्ली के पंजाबी बाग का एक कारोबारी परिवार पांच सालों फर्जी तरीके से आईटीसी लेकर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है। जांच के दौरान यह जानकारी मिली कि तीनों कारोबारियों ने नौ सेल कंपनियों से 68.15m करोड का ITC का लाभ फर्जी तरीके से प्राप्त किया है। ये आरोपी फर्जी GST Firm बनाकर फर्जी इन्वॉयस/बिलिंग कर अवैध लाभ कमा रहे थे और सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने आईटीसी क्लेम नौ फर्जी कंपनियों के आधार पर प्राप्त किया था। गिरफ्तार तीनों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी की तरफ से भी जांच की जा रही है। आरोपी संजय ढींगरा पहले भी जेल जा चुका है।
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फिल्म अभिनेता से खरीदी कार भी सीज
इन आरोपियों के पास से मेड इन इटली की एक कार बरामद की गई है। यह कार उन्होंने एक फिल्म अभिनेता से खरीदी थी। इसके अलावा इनके पास मर्सिडीज समेत कई लग्जरी कारें भी मिली हैं। पुलिस से बचने के लिए फरारी के दौरान इन कारों से ही स्थान बदलते रहते थे।
फर्जीवाड़ा की रकम से ये आरोपी प्रापर्टी डीलिंग और रियल इस्टेट का कारोबार भी शुरू किया था। करनाल में तीनों ने करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी है। आरोपियों का छतरपुर में फॉर्महाउस भी है।
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ऐसे करते थे फ्रॉड
आरोपी देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड का डाटा हासिल करने के बाद फर्जी कंपनी और फर्म खोलने थे। इस कंपनियों और फर्मों का अस्तित्व महज कागजों पर होता था,धरातल पर कोई भी कंपनी नहीं होती थी। इसके बाद आरोपी जीएसटी नंबर लेकर फर्जी बिल बनाकर जीएसटी रिफंड प्राप्त कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाते थे। जांच में यह पता चला है कि जालसाज फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच भी देते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद करने का भी काम भी व्यापक स्तर पर होता था। इस फर्जीवाड़े में शामिल कई आरोपियों की चल और अचल संपत्ति को कुर्क भी किया जा चुका है।