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क्राइम

Cryptocurrencies के विज्ञापनों को लेकर सख्त नियम, देनी होगी उत्पाद से जुड़े सभी जोखिमों की जानकारी, जानें क्या-क्या हुए बदलाव

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Cryptocurrencies क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी (Non Feasible Token) से जुड़े विज्ञापनों पर भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने नकेल कसी है। एक अप्रैल से इस तरह का विज्ञापन देने वालों को यह बताना अनिवार्य होगा कि यह अत्यधिक जोखिम और बिना नियमन वाले उत्पाद हैं। साथ ही यह भी उल्लेख करना होगा इस तरह के लेनदेन से अगर किसी को कोई नुकसान होता है तो उसके लिए एएससीआइ जिम्मेदार नहीं होगी।

विज्ञापन मानक परिषद ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के दिशानिर्देशों की घोषणा उद्योग से जुड़े लोगों, सरकार और वित्तीय नियामकों के साथ परामर्श के बाद की गई है। नियामक की तरफ से ये दिशानिर्देश उस समय जारी किए गए हैं जब क्रिप्टो और एनएफटी से जुड़े विज्ञापनों की संख्या बढ़ती जा रही है।

सरकार ने अभी तक इस तरह की डिजिटल संपत्तियों को लेकर किसी तरह का कानून नहीं बनाया है। हालांकि ऐसे लेनदेन से होने वाले लाभ टैक्स लगाने की बात जरूर कही है। क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का रुख बहुत सख्त है।

केंद्रीय बैंक ना केवल इस तरह की करेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कहता है बल्कि इसे देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा भी बताता है। विज्ञापन मानक परिषद के चेयरमैन सुभाष कामत ने कहा, ‘एनएफटी और क्रिप्टो के विज्ञापन के लिए तय दिशानिर्देशों की आवश्यकता है। यह निवेश का एक नया और उभरता हुआ तरीका बन रहा है। इसलिए उपभोक्ता को जोखिम के बारे में जागरूक करने की जरूरत है।’

पांचवां हिस्सा होगा डिस्क्लेमर (Disclaimer)

समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कुल विज्ञापन का पांचवां हिस्सा डिस्क्लेमर का होना चाहिए। टीवी पर विज्ञापन के खत्म होने के अंत में एक सादा स्क्रीन पर डिस्क्लेमर पांच सेकेंड तक दिखाया जाएगा और एक व्यक्ति शर्तो को सामान्य गति से पढ़कर भी सुनाएगा। अगर कोई विज्ञापन दो मिनट से अधिक समय का है तो उसकी शुरुआत और अंत दोनों समय डिस्क्लेमर को दिखाना होगा। लगभग इसी तरह के डिस्क्लेमर लगाने के निर्देश आडियो, इंटरनेट मीडिया के लिए भी हैं। जिन विज्ञापनों में शब्दों की सीमा होती है, उन्हें संक्षिप्त डिस्क्लेमर (क्रिप्टो और एनएफटी अत्यधिक जोखिम और बिना नियमन वाले उत्पाद हैं) जारी करना होगा। साथ ही आम लोग डिस्क्लेमर से जुड़ी और जानकारी हासिल कर सकें, इसलिए एक लिंक भी विज्ञापनदाता को देना होगा।

मुद्रा जैसे शब्दों का नहीं कर सकेंगे प्रयोग
विज्ञापनदाता वर्चुअल करेंसी से जुड़े उत्पादों के विज्ञापन के दौरान मुद्रा, प्रतिभूतियां, कस्टोडियन और डिपाजिटरी शब्दों का भी प्रयोग नहीं कर सकेंगे। साथ ही 12 महीने से कम अवधि के रिटर्न को भी विज्ञापन में दिखाया नहीं जा सकेगा। मुनाफे में वृद्धि का वादा या गारंटी वाले बयान भी विज्ञापन में नहीं दिखाए जा सकेंगे।

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