क्राइम
मोबाइल या लैपटॉप से रहें दूर नहीं तो आप भी हो सकते हैं साइबर सिकनेस का शिकार
भारत में बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ-साथ हर काम ऑनलाइन हो रहा है। ये हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बनता जा रहा है। एक दिन हमारे फोन का नेट खत्म हो जाए तो मानो ऐसा लगने लगता है कि हमारे शरीर के अहम हिस्से ने काम करना बंद कर दिया हो। इसका उपयोग पैसों का लेन-देन, पढ़ाई, मनोरंजन और लगभग हर काम ऑनलाइन हो गया है।
इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हम कोई भी काम आसानी से कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की उपयोग करना पड़ता है। आज के समय में बच्चों से लेकर बड़े सभी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते है, लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल न सिर्फ हमारे मानसिक और शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाता है बल्कि ये जानलेवा भी हो सकता है। आज हम इस आर्टिकल में इसी के बारे में जानने वाले हैं।
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क्या है साइबर सिकनेस है ?
स्क्रीन का इस्तेमाल आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है। जब व्यक्ति अधिकतम समय स्क्रीन के सामने गुजारता है तो ऐसे में साइबर सिकनेस की परेशानी हो सकती है। कुछ लोगों को बेचैनी, सिर में दर्द, उल्टी का अनुभव होना, चक्कर आना जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। शरीर में दिखने वाले इन लक्षणों को ही साइबर सिकनेस के नाम से जाना जाता है। यह समस्या हर उम्र के लोगों को परेशान कर सकती है।
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साइबर सिकनेस के ये हैं लक्षण
साइबर सिकनेस बीमारी की चपेट में आने के बाद शरीर में कई लक्षण दिखने लगते है जैसे- सर दर्द, चक्कर आना, नींद न आना, उदासीनता, जी घबराना, चिड़चिड़ापन, थकान का एहसास, आंखों में जलन होना, काम में ध्यान न लगना, गर्दन और कंधे में दर्द रहना, उल्टी का अनुभव होता है।
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ऐसे करें बचाव
– हल्की फुलकी एक्सरसाइज सुबह-शाम नियमित करें।
– ऑफिस टाइम में काम स्क्रीन पर करना ही पड़ता है, लेकिन इसके बाद मोबाइल या – टीवी की स्क्रीन से खुद को दूर रखें।
– सोते समय मोबाइल का इस्तेमाल न करें और जल्दी सोने की कोशिश करनी चाहिए।
– अपने लैपटॉप या कंप्यूटर फॉन्ट का आकार बड़ा रखें ।
– ट्रेवल करते समय मोबाईल या लैपटॉप न देखें ।
– वीडियो गेम्स या वीडियो अधिक समय तक न देखें नही तो साइबर सिकनेस की समस्या बढ़ सकती है ।
– स्क्रीन की कंट्रास्ट कम रखें ।
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