क्राइम
how to keep your child safe in school : इस कानून को जरूर जानें
हर बच्चे के लिए स्कूल एक तरह से दूसरा घर होता है। जहां वह खुद को सुरक्षित महसूस करता है। माता-पिता भी यही सोचकर बच्चे का किसी स्कूल में दाखिला कराते हैं, जिससे वह सेफ रहे। अच्छे माहौल में पढ़ाई करे। अच्छा करियर बनाए। मगर जब उसी बच्चे के साथ स्कूल में कोई शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न होता है, तब स्थित असहनीय बन जाती है। बच्चा और उसके माता-पिता दोनों ट्रोमा में चले जाते हैं। खासतौर पर उस समय जब बच्चा काफी छोटा होता है और उसे किसी उत्पीड़न की जानकारी भी नहीं होती है। ऐसी स्थिति डरावने सपने जैसे हो जाती है। इसीलिए ऐसी घटनाओं से बचने के लिए हर माता-पिता को अवेयर रहने की जरूरत है। स्कूल के माहौल और वहां की गतिविधियों के बारे में हमेशा अपडेट रहने की जरूरत है। इसके अलावा अपने ही बच्चे से दोस्त बनकर उससे भी जानकारी लेकर अपडेट रहना जरूरी है ताकि उसे कोई दिक्कत हो तो समय पर पता चल जाए। दरअसल, स्कूल में भी बच्चों को कई अधिकार होते हैं और जिससे स्कूल प्रबंधन अगर लापरवाही करे तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। मगर जानकारी के अभाव में कई बार ऐसा नहीं हो पाता है। इसलिए कई स्कूल भी मनमानी करते रहते हैं। आइए जानते हैं स्कूल में सुरक्षा को लेकर अहम जानकारी..
स्कूल में असॉल्ट हो तो मैनेजमेंट की ये है जिम्मेदारी
आपको बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली व इससे सटे नोएडा व गुड़गांव के बड़े व नामी स्कूलों में बच्चों के उत्पीड़न व सेक्सुअल असॉल्ट के कई मामले सामने आ चुके हैं। सभी मामलों में चौंकाने वाली बात सामने आई कि इनके उत्पीड़न की जानकारी मिलने के बाद भी स्कूल मैनेजमेंट ने अपनी तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया। खुद पुलिस को जानकारी नहीं दी। खुद अभिभावकों को कुछ नहीं बताया। इसके बजाय ये घटना को ही छिपाने और आरोपियों का बचाव करने में जुट जाते हैं। ऐसी स्थिति में आखिर क्या होना चाहिए। यहां आपको बता दें कि ज्यादातर सीबीएसई से मान्यता रखने वाले स्कूल सीबीएसई की गाइडलाइन को ही नजरअंदाज कर देते हैं।
जानें क्या है सीबीएसई की गाइडलाइंस
स्कूल में बच्चों के साथ होने वाली असॉल्ट की घटनाओं को रोकने और जागरूक करने के संबंध में सीबीएसई की तरफ से मार्च 2015 में एक सर्कुलर जारी किया गया था। इस सर्कुलर में पॉक्सो एक्ट से संबंधित कानून की जानकारी भी दी गई थी। स्कूलों को यह बताया गया था कि पॉक्सो एक्ट के बारे में स्कूल स्टाफ को पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। इसके बाद भी किसी भी स्कूल में इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं दी जाती है।
1- स्कूल की भूमिका
स्कूल के टीचर, प्रबंधन, सभी तरह के कर्मचारियों को पॉक्सो एक्ट-2012 के कानून के बारे में जानकारी देना जरूरी है।
2- पॉक्सो एक्ट के बारे में बताना
स्कूल के सभी स्टाफ को यह बताना जरूरी है कि पॉक्सो एक्ट के सेक्शन-21 के तहत प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि स्कूल में अगर कोई असॉल्ट की घटना हो तो तुरंत सूचना देना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर सेक्शन-19 के तहत 1 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है।
3 – भरोसेमंद व्यक्ति को ज्यादा सजा
सभी स्कूल के स्टाफ को यह बताना जरूरी है कि अगर वह किसी बच्चे के साथ असॉल्ट करता है तो उसे अन्य किसी मामले में मिलने वाली सजा से कहीं ज्यादा बड़ी सजा मिलेगी। इसलिए हमेशा खुद अवेयर रहें ताकी किसी बच्चे का उत्पीड़न न हो सके।
4- Good Touch-Bad Touch के लिए अवेयर करना
सीबीएसई ने स्कूल मैनेजमेंट को यह जिम्मेदारी दी है कि वह बच्चों को भी इस एक्ट के बारे में बताए और जागरूक करे। उन्हें गुड टच व बैड टच के बारे में बताए। इसके लिए वीडियो या अन्य माध्यम से उन्हें समय-समय पर जागरूक करे।
बच्चों की सेफ्टी के लिए टिप्स
- सबसे पहले आप अपने बच्चों से दोस्त बनकर रहें। बच्चा कोई भी बात कहे तो पहले आप उस पर भरोसा करें।
- कई बार भरोसा नहीं करने की वजह से धीरे-धीरे बच्चा अपनी बात पैरेंट्स से शेयर करना बंद कर देता है, यहीं से दिक्कत शुरू होती है।
- स्कूल से बच्चे के आने पर आप दोस्त की तरह रोजाना या हर कुछ दिन पर स्कूल की सभी गतिविधियों के बारे में जरूर पूछें।
- बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जरूर बताएं। यू-ट्यूब या अन्य माध्यम में कई वीडियो हैं, उसे जरूर दिखाएं।
- अगर बच्चा कोई भी शिकायत करता है तो उसे गंभीरता से लेकर मनोचिकित्सक या किसी डॉक्टर से जरूर राय लें।
- स्कूल में काम करने वाले पुरुष कर्मचारियों समेत अन्य के बारे में समय-समय पर वेरिफिकेशन की डिटेल स्कूल मैनेजमेंट से जरूर लें।
- स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की समय-समय पर जरूर चेकिंग कराएं कोई लापरवाही हो तो उसकी शिकायत तत्काल कराएं।