क्राइम
बीमा और इंश्योरेंस पॉलिसी के बहाने ठगी करने वाले गिरोह पर्दाफाश, सरगना के बारे में जानकर रह जाएंगे हैरान

बीमा और इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए मंगलवार को नोएडा पुलिस ने एक महिला सहित कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना नीरज 30 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर ठगी के धंधे में उतर आया था। आरोपियों के पास से 47 लाख 55 हजार रुपये नकद, ब्रीजा, आइ-टेन और दो आई-20 कार, 16 मोबाइल, छह लैपटाप, एक हार्ले डेविडसन बाइक और 85 आधार कार्ड सहित अन्य सामान बरामद हुआ है। आरोपियों की पहचान गाजियाबाद के विकास, अमरपाल, सोहन, नीतू आर्या, सुशील और बुलंदशहर के अजहर और शाहरुख खान व मेरठ के नीरज के रूप में हुई है।
एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि सेक्टर-58 कोतवाली में छह महीने पहले मोहम्मद रियाज ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराते हुए शिकायत की थी कि शातिरों ने फर्जी नाम बताकर धोखा देने की नीयत से पैसा निवेश कराकर करीब दो करोड़ रुपये की ठगी की है। उसके बाद कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए कोतवाली पुलिस आरोपियों तक पहुंची।
डीसीपी राजेश एस ने बताया कि विकास, सोहन और नीतू 2017 में सेक्टर-63 स्थित एक कंपनी में नौकरी करते थे। यहां तीनों की मुलाकात नीरज, अजहर और अमरपाल से हुई। सभी आरोपी अलग-अलग कंपनी के इंश्योरेंस कंपनी के पॉलिसी का डाटा अपने पास रखते थे और उसी के सहारे व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा करते थे। आरोपियों के पास एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस, भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस, रिलाइंस निपोन लाइफ इंश्योरेंस, डीएचएफएल इंश्योरेंस कंपनी, पीएनबी मेटलाइफ इंश्योरेंस कंपनी का डाटा रहता था।
इन्हीं कंपनी के सहारे आरोपियों ने रियाज अहमद के साथ दो करोड़ की ठगी की थी। डीसीपी ने बताया कि आरोपियों ने अब तक सैकड़ों लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया है। फर्जीवाड़े से अमरपाल ने डासना में एक प्रापर्टी, राजनगर एक्टेंशन में वीवीआइपी फ्लैट और देहरादून में प्लाट खरीदा है। वहीं नीरज ने गाजियाबाद में फ्लैट व प्लाट और अजहर ने मकान और कई प्लाट खरीद रखे हैं। पूछताछ में सामने आया है कि सभी शातिर अलग-अलग गिरोह बनाकर कई जिलों में सीनियर सिटीजन और रिटायर्ड आफिसर सहित अन्य लोगों के साथ पालिसी के नाम पर धोखाधड़ी करते थे।
एमबीए-एमसीए पास हैं आरोपी
गिरोह का मास्टरमाइंड नीरज दिल्ली से एमबीए है। नीरज मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में 30 लाख सालाना पैकेज पर काम करता था। बाद में वह नोएडा की एक कंपनी में काम करने लगा था। आरोपित अमरपाल ने एमसीए किया था। उसके बाद कुछ समय कंपनी में काम किया। कंपनी छोड़ने के बाद वह एक एनजीओ चलाने लगा और उसकी आड़ में फर्जीवाड़ा करता था। गिरोह पिछले पांच वर्षों से सक्रिय है। अजहर गिरोह को आपरेट करता था।
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