क्राइम
बेंगलुरु में सेक्सटॉर्शन मामले की जांच कर रही पुलिस ने किया साइबर क्राइम रैकेट का भंडाफोड़, देशभर में लगभग 4,000 मामलों का खुलासा
बेंगलुरु में एक साइबर अपराध मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने अब देश भर में लगभग चार हजार मामलों का खुलासा किया है और कथित तौर पर यौन शोषण और अन्य साइबर धोखाधड़ी में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। मामले सेक्सटॉर्शन से जुड़ा है।
कर्नाटक के आपराधिक जांच विभाग (CID) के तहत साइबर पुलिस ने आरोपी की पहचान मोहम्मद मुजाहिद, मोहम्मद इकबाल और आसिफ के रूप में की है। टीम ने शुक्रवार को हरियाणा के विभिन्न स्थानों से आरोपी को गिरफ्तार किया। सीआईडी ने कहा, “गृह मंत्रालय के साथ साझा की गई जानकारी के आधार पर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने एक विस्तृत विश्लेषण किया और गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के संबंध पूरे देश में 3,951 मामलों में पाए गए।”
फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने वाले 45 वर्षीय व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर अपने कुछ प्राइवेट मोमेंट शेयर किया। कुछ मिनट बाद, उसे अपने प्राइवेट पार्ट्स की तस्वीरें मिलीं और एक व्यक्ति ने उसे फोन करके धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो वे तस्वीरें सार्वजनिक कर देंगे। पीड़ित ने इस साल 22 अगस्त को सीआईडी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। तब मामले की जांच वाले अधिकारियों को इस बात का थोड़ी भी भनक नहीं थी कि वे एक ऐसे गिरोह के पीछे हैं, जिसने देशभर में हजारों साइबर अपराध किए हैं।
पुलिस ने कहा कि मुजाहिद ने एक डिजिटल पेमेंट सर्विस के ई-वॉलेट से जुड़े पांच हजार से अधिक सिम कार्ड को सक्रिय करने के उद्देश्य से एक प्रतिष्ठित मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से फर्जी दस्तावेज हासिल किए थे और सिम कार्ड एजेंसी रिटेलरशिप प्राप्त की थी।
मुजाहिद के सब-एजेंट आसिफ ने फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए कई लोगों की तस्वीरें मुहैया कराईं। फर्जी दस्तावेजों से उसने मुजाहिद की जगह सिम कार्ड सक्रिय कर दिए। पुलिस ने कहा कि इकबाल एक प्रिंटिंग सेंटर चलाता है। उसने फर्जी आधार कार्ड बनाकर आसिफ द्वारा मुहैया कराई गई तस्वीरों के आधार पर मुजाहिद को सप्लाई किया।
आरोपी ने ई-वॉलेट खातों से जुड़े सिम कार्ड को सक्रिय करने के लिए मोबाइल सेवा प्रदाता के आवेदन के साथ-साथ ई-वॉलेट एप्लिकेशन में कमियों का फायदा उठाया। ई-वॉलेट एप्लीकेशन में मिले नामों के आधार पर मुजाहिद ने इसी नाम से जारी पैन नंबर की तलाशी ली। उन पैन नंबरों में से एक का उपयोग करके उसने पहले मोबाइल नंबर से जुड़े ई-वॉलेट खातों को सक्रिय किया। इस तरह से सक्रिय किए गए सिम कार्ड और ई-वॉलेट खाते राजस्थान में साइबर अपराधियों को भारी मात्रा में बेचे गए, जो बदले में उनका इस्तेमाल विभिन्न अपराध करने और पीड़ितों से पैसे वसूलने के लिए करते थे।