क्राइम
SIM Swapping से WhatsApp यूजर्स को निशाना बना रहे साइबर ठग, जानें- कैसे किया जा लोगों का बैंक अकाउंट खाली? कैसे अपना अकाउंट करें सिक्योर?
इंसटेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप (WhatsApp) यूजर्स आजकल साइबर अपराधियों के निशाना पर हैं। इसके लिए सिम-स्वैपिंग (SIM Swapping) तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराई जा रही है और उसके बाद बैंक अकाउंट खाली कर दी जा रही है। मेटा (पहले फेसबुक) के स्वामित्व वाले इस एप का आज आम हो खास व्यक्ति हर कोई इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में ठग इस प्लेटफार्म लोगों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं।
व्हाट्सएप हमेशा से ही दुनियाभर में अपनी लोकप्रियता के कारण ऑनलाइन स्कैमर्स के निशाने पर रहा है। पिछले एक साल में इस प्लेटफार्म पर स्कैम की संख्या में भारी वृद्धि हुई ह। व्हाट्सएप जैसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप्लिकेशन पर फिशिंग और रैंसमवेयर अटैक के मामलों में लगभग 120 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। साइबर सुरक्षा फर्म कैस्परस्की की रिपोर्ट से यह पता चला है। जानिए कैसे साइबर अपराधी आपके व्हाट्सएप नंबर का क्लोन बना लेते हैं।
सिम कार्ड क्लोनिंग के बारे में जाने
सिम-स्वैपिंग तकनीक
‘सिम-स्वैपिंग’ के रूप में जानी जाने वाली तकनीक से करोड़ो व्हाट्सएप यूजर्स को खतरा है। स्कैमर्स लोगों का बैंक अकाउंट खाली कराने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन स्कैमर्स किसी भी व्हाट्सएप फोन नंबर को क्लोन करते हैं और एक नए सिम कार्ड में इस्तेमाल करते हैं।
क्लोन-सिम कार्ड की मदद से वे आसानी से लोगों के कॉन्टैक्ट, पासवर्ड और बैंक खाते के जानकारी हासिल कर लेते हैं। आखिरकार, ऑनलाइन धोखेबाजों को किसी भी तरह लोगों की निजी जानकारी हासिल करना चाहते हैं, ताकि वे बैंक अकाउंट खाली कर सकें। बहुत से लोग इन अपराधियों के जाल में फंसकर अपनी जानकारी खुद भी शेयर कर देते हैं। कई बार फेक कॉल करके लोगों से उनकी संवेदनशील जानकारी ले ली जाती है। जब तक लोगों को इसके बारे में पता चलता तबतक उन्हें भारी नुकसान हो चुका होता है।
सिम-स्वैपिंग स्कैम से कैसे बचें
टू-स्टेप ऑथेंटिकेशन सेट करें
व्हाट्सएप का टू-स्टेप वेरिफिकेशन महत्वपूर्ण है। इससे हैकर्स आपके अकाउंट को एक्सेस नहीं कर पाएंगे। टू-स्टेप वेरिफिकेशन को ऑन करने के लिए आपको अपने व्हाट्सएप की सेटिंग्स में जाना होगा और फिर अकाउंट पर टैप करना होगा। वहां आपको टू-स्टेप वेरिफिकेशन सेटिंग्स मिलेगी।
संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें
अधिकांश साइबर ठगी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से होती है। ये लिंक किसी बड़े समूह या अज्ञात ईमेल से या अब आपके व्हाट्सएप पर अज्ञात नंबरों से आते हैं। हमें किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचना चाहिए। लिंक फेक है या सही? इसे जानने के लिए यूआरएल पर ध्यान दें। अगर लिंक फेक होगी तो उसमें स्पेलिंग या कोई अन्य गलती जरूर होगीय़
सबसे महत्वपूर्ण – ‘निजी जानकारी किसी के साथ शेयर न करें’
आपको अपनी निजी जानकारी कभी भी किसी से भी शेयर नहीं करनी चाहिए। भले ही वह कितना ही विश्वसनीय इंसान या संगठन हो। हमेशा उनकी विश्वसनीयता को सत्यापित करें।
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