क्राइम
जामताड़ा : साइबर क्राइम के गढ़ में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की सोच कैसे कर रही है बदलाव, जानें पूरा मामला
जामताड़ा। अब ये नाम सिर्फ देश नहीं बल्कि दुनिया में साइबर क्राइम के लिए चर्चा में आ चुका है। अमेरिका भी जामताड़ा से होने वाले साइबर क्राइम को लेकर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन इन सबके अलावा भी जामताड़ा एक बार फिर से सुर्खियों में है। अबकी बार वजह है शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले यहां के बदलाव। जमाताड़ा को वैचारिक तौर पर बदलने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल की गई है।
जामताड़ा में 33 लाइब्रेरी की शुरुआत
दरअसल महान समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि जामताड़ा का नारायणपुर और करमाटांड प्रखंड विकास की राह पर अग्रसर होने को तैयार है। इस बदलाव की नींव सामुदायिक पुस्तकालय ने रखी है। राज्य सरकार ने युवाओं और बच्चों में सकारात्मक बदलाव और उनके शैक्षणिक विकास के लिए 33 सामुदायिक पुस्तकालय का शुभारंभ किया है। इनकी शुरुआत लालचंदडीह, महतोडीह एवं करमाटांड प्रखंड के सियाटांड़, नाला प्रखंड के पंचायत भवन, फतेहपुर पंचायत एवं कुण्डहित प्रखंड परिसर समेत अन्य स्थानों पर हुई है।
ईश्वर चंद्र ने ही संथाल लड़कियों के लिए खोला था देश का पहला बालिका स्कूल
संथाल इतिहास से पता चलता है कि समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने जीवन के सबसे अहम 18 वर्ष झारखंड के करमाटांड में ही बिताए थे। करमाटांड जो कि अब जामताड़ा जिला में स्थित है। जहां वो रहते थे उस स्थान का नाम ‘नंदन कानन’, है। यहां वे केवल संथालों के साथ रहे ही नहीं बल्कि उन्होंने उनके सामाजिक उत्थान के लिए बड़ा प्रयास किया| संथाल लड़कियों के लिए सबसे पहला औपचारिक विद्यालय इन्होंने ही शुरू किया था। माना जाता है कि बालिका विद्यालय के रूप में देश का शायद ये पहला स्कूल था। ऐसे में जिस जिले की शिक्षा के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने इतने बड़े प्रयास किए थे, वो जिला साइबर क्राइम का गढ़ बन गया। ये भी रिसर्च का विषय है। हालांकि, यहां शिक्षा की लौ फिर से जलाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ी पहल की है।
गरीब बच्चे नहीं पढ़ सकते ऑनलाइन, इसलिए बनाई लाइब्रेरी
पिछला एक साल पूरी दुनिया के लिए काफी परेशानी भरा रहा है। कोरोना महामारी के चलते हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इससे बच्चों की पढ़ाई भी अछूती नहीं रही। संक्रमण की वजह से क्लासरूम के दरवाजें बंद हो गए। इंटरनेट पर पढ़ाई शुरू हो गई। ऐसे में संपन्न परिवारों के बच्चों को तो ज्यादा दिक्कत नहीं हुई, लेकिन आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार वाले बच्चों को सामने बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई। इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने पुस्तकालय का शुभारंभ किया। ये लाइब्रेरी खासकर 10वीं और 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए। राज्य सरकार इनके लिए गणित और विज्ञान की कक्षाएं चलवा रही है। हर रविवार को शिक्षक छात्रों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याएं सुलझा रहे हैं। इससे छात्रों को होने वाली परीक्षाओं के लिए तैयारी करने में मदद मिल रही है। इन पुस्तकालयों का काफी बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
सभी पंचायतों में खुलेंगे सामुदायिक पुस्तकालय
वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल 33 सामुदायिक पुस्तकालय खुले हैं। इन्हें सीएसआर और सामुदायिक सहयोग से पुराने व बेकार जर्जर भवनों का जीर्णोद्धार करके खोला गया है। राज्य सरकार की अगले साल तक 118 पंचायतों में सामुदायिक पुस्तकालय शुरू करने की योजना है। पुस्तकालयों का संचालन आम सभा के द्वारा गठित पुस्तकालय प्रबंधन समिति कर रही है। सीएसआर फंड द्वारा सभी पुस्तकालयों में पुस्तकों और अन्य मूलभूत व्यवस्थाएं उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
पुस्तकालय खोलने के पीछे क्या है मकसद
पुस्तकालय खोलने के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट है। पुस्तकालय में बच्चे पनी रुचि, योग्यता तथा आवश्यकता के अनुसार किताब पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं। पुस्तकालय को व्यक्ति विशेष, धर्म विशेष, राजनीति से बिल्कुल परे रखा गया है। इससे यहां के युवा राज्य के विकास और उन्नति में अपनी भागीदारी देंगे और जामताड़ा को साइबर क्राइम के कलंक से मुक्ति दिलाएंगे। जामताड़ा के उपायुक्त फैज अहमद मुमताज के अनुसार इस बात बात से बिलकुल सहमत हैं। उनका मानना है कि बच्चों के शैक्षणिक विकास में पुस्तकालय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। यहां पाठ्यक्रम से अलग किताबें होती हैं।