क्राइम
मध्य प्रदेश : जस्ट डायल से डाटा लेकर गेहूं खरीदी के नाम पर 45.70 लाख की ठगी, पांच गिरफ्तार

भोपाल क्राइम ब्रांच ने गेहूं खरीदने के नाम पर 45 लाख 70 हजार की धोखाधड़ी करने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के सरगना ने साथियों के साथ मिलकर फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी खोल रखी थी। उसके साथी जस्ट डायल से डाटा निकालकर गेहूं के खरीदार और विक्रेता से संपर्क करते थे। खरीदने के लिए तैयार व्यक्ति को बेचने वाले के गोदाम में रखा गेहूं दिखा दिया जाता था। इसके बाद सौदा पक्का कर अपने खातों में गेहूं के एवज में अग्रिम राशि डलवाकर रपये ह़़डप लेते थे। पुलिस ने आरोपितों के खाते में जमा छह लाख 88 हजार रपये फ्रीज करा दिए हैं।
पुलिस उपायुक्त सांई कृष्णा थोटा ने बताया कि तीन दिसंबर को क्राइम ब्रांच को एक शिकायत मिली थी। उसमें बताया गया था कि एसएम एक्सपोर्ट कंपनी के संचालकों ने उससे 1250 टन गेहूं प्रदाय करने का सौदा किया था। इसके बाद गेहूं के ट्रांसपोर्ट एवं बारदाना के लिए फरियादी से 45 लाख 70 हजार रपये चार अलग–अलग बैंक खातों में जमा कराकर धोखाध़़डी कर ली। शिकायत की जांच के दौरान संबंधित बैंकों से जानकारी जुटाकर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था।

लखनऊ से किया गिरफ्तार
साइबर क्राइम टीम द्वारा तकनीकी विश्लेषषण के आधार पर साक्ष्य जुटाते हुए लखनऊ, फरुखाबाद , ग्वालियर एवं भोपाल में दबिश देकर पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से वारदात में इस्तेमाल किए गए छह मोबाइल फोन, 12 सिम कार्ड, 13 एटीएम कार्ड, दो चेक बुक, दो लाख 10 हजार रपये बरामद किए हैं। इसके अलावा ठगी की राशि से खरीदी गई एक कार भी जब्त की गई है।
वारदात का तरीका
गिरोह का मुखिया अंशु सिंह एवं गोपाल सोमवंशी अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी का संचालन करता था। लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए जस्ट डायल से ब़़डे व्यापारियों, किसान की जानकारी हासिल कर लेते थे। गिरोह पहले गेहूं बेचने वाले से संपर्क करता था। इस बात का पता लगा लिया जाता था कि गेहूं का भंडारण कहां किया गया है। इसके बाद खरीदार से फोन पर संपर्क कर गेंहू बेचने का आफर देते थे। व्यापारी गेहूं खरीदने को तैयार हो जाता था है, तो गोदाम ले जाकर गेहूं भी दिखा दिया जाता था। सौदा पक्का होने पर उससे बारदाना, ट्रांसपोर्ट के नाम पर अग्रिम राशि अपने अलग–अलग खातों में डलवा लेते थे। बैंक खातों में राशि आते ही गिरोह के सदस्य दीपक कुमार, योगेश कुमार, विवेक और विक्रम मिलकर तत्काल बैंक खाते से पैसा निकाल लेते थे। नगद आहरण की सीमा समाा होने पर अन्य बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर कर नगद निकाल लेते थे।
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